Friday, September 26, 2025
29 C
Surat

हैदराबाद की शान में 170 साल से लोगों का स्वाद बढ़ा रही मुंशी नान


Last Updated:

साल 1851 में निज़ाम के दरबार के एक मुंशी ने चारमीनार के पास नान बनाने के लिए तंदूर लगाया था. जिसे लोग ‘मुंशी नान’ के नाम से जानते हैं. आज उसी नान ने ऐसा स्वाद और पहचान बनाई कि 170 साल बाद भी लोग सुबह-सुबह इसकी …और पढ़ें

हैदराबाद. निज़ाम के दरबार के एक मुंशी की विरासत आज 170 साल बाद भी एक गर्मागर्म, खुशबूदार नान के रूप में जिंदा है. यह सिर्फ एक दुकान की नहीं, बल्कि शहर की संस्कृति और इतिहास का जीवित हिस्सा बनने की कहानी है, कैसे एक मुंशी से ‘मुंशी’ ब्रांड बनने तक का सफर तय हुआ.

निज़ाम दरबार के मुंशी और एक सपना
साल 1851 में हैदराबाद पर उस समय निज़ाम मीर फ़रकुन्दा अली ख़ान, यानी तीसरे निज़ाम का शासन था. उनके दरबार में मोहम्मद हुसैन नाम के एक मुंशी काम करते थे. मुंशी का पद काफ़ी सम्मानजनक माना जाता था, यह लेखक, सचिव या प्रशासनिक अधिकारी की भूमिका होती थी. निज़ाम के दफ़्तर में सेवाएं देने के साथ-साथ मोहम्मद हुसैन के दिल में एक और जुनून पल रहा था, और वह था पाक-कला का. इसी शौक़ को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने हैदराबाद के पुराने शहर, चारमीनार के नज़दीक स्थित एक पुरानी हवेली में नान बनाने का छोटा-सा कारोबार शुरू किया.

मुंशी नान ब्रांड का जन्म
दुकान का नाम ‘मुंशी नान’ उनके पेशे से ही प्रेरित था. धीरे-धीरे यह नाम विश्वसनीयता का प्रतीक बन गया. लोग जानते थे कि यह नान किसी आम बावर्ची की नहीं, बल्कि निज़ाम के दरबार के एक शिक्षित और विश्वस्त व्यक्ति के हाथों से बनी है. गुणवत्ता और स्वाद पर विशेष ध्यान दिया जाता था. उनकी नान की ख़ासियत थी उसका अनोखा स्वाद, संतुलित मोटाई और खस्ता व मुलायम बनावट. तंदूर में तैयार की जाने वाली यह नान जल्द ही पुराने शहर में मशहूर हो गई.

पीढ़ी दर पीढ़ी चलती विरासत
मोहम्मद हुसैन के बाद उनके बेटे मोहम्मद मुनीर ने इस व्यवसाय की ज़िम्मेदारी संभाली और इसे आगे बढ़ाया. फिर उनके बेटे मोहम्मद अब्दुल वहीद, और उसके बाद मोहम्मद अब्दुल माजिद ने इसकी कमान संभाली. हर पीढ़ी ने पारंपरिक रेसिपी और तरीकों को बरकरार रखा, यह सुनिश्चित करते हुए कि वही ऐतिहासिक स्वाद कायम रहे. वक़्त बदला—हैदराबाद रियासत भारत में विलय हो गई, निज़ाम का शासन समाप्त हो गया, लेकिन मुंशी नान की दुकान पर मानो समय थम-सा गया.

आज का मुंशी नान
दुकान पर रोज़ाना हज़ारों नान तैयार होती हैं, जो दोपहर तक पूरी तरह बिक जाती हैं. ये नान अपने मोटेपन, नरम और खस्ता बनावट, और मक्खन व तिल के इस्तेमाल के लिए मशहूर हैं. यह हैदराबाद की शेखावटी निहारी के साथ खाने का एक अहम हिस्सा मानी जाती हैं. सुबह से ही ग्राहकों की लंबी कतार लग जाती है. इनमें स्थानीय निवासी, पुराने हैदराबाद के लोग, और यहाँ तक कि बाहर से आए पर्यटक भी शामिल होते हैं, जो इस ऐतिहासिक स्वाद का मज़ा लेना चाहते हैं.

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homelifestyle

हर सुबह हैदराबाद की गलियों में बिखरती है सालों से बन रही मुंशी नान की खुशबू


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-munshi-naan-sold-every-morning-since-1851-in-hyderabad-local18-9558888.html

Hot this week

Bhindi Do Pyaza Recipe। घर पर भिंडी बनाने की विधि

Bhindi Do Pyaza Recipe: आप अपने घर पर...

Topics

Bhindi Do Pyaza Recipe। घर पर भिंडी बनाने की विधि

Bhindi Do Pyaza Recipe: आप अपने घर पर...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img