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30 सालों से नहीं बदला इन छोलों का स्वाद, दस रुपये प्लेट में मिलता है जन्नत का मजा!


Agency:Bharat.one Uttarakhand

Last Updated:

Almora: अल्मोड़ा आएं तो महिला अस्पताल के बाहर लगने वाले दिलबहार छोलों का स्वाद जरूर लें. एक बार आपने मोहनचंद के हाथ के ये छोले खा लिए तो बार-बार आएंगे. दस रुपये की प्लेट में जैसे जन्नत परोसी जाती है.

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अल्मोड़ा

अल्मोड़ा के महिला अस्पताल के बाहर दिलबहार छोलों को तैयार करते मोहन.

हाइलाइट्स

  • अल्मोड़ा में दिलबहार छोले 31 साल से मशहूर हैं.
  • मोहन चंद के छोले 10 रुपये में मिलते हैं.
  • महिला अस्पताल के बाहर ठेला सुबह 11 से शाम 6 बजे तक लगता है.

अल्मोड़ा. उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अपनी संस्कृति के साथ अपने खान-पान की वजह से भी जानी जाती है. यहां वैसे तो कई होटल और रेस्टोरेंट आपको खाने के लिए मिल जाएंगे लेकिन एक ऐसा स्ट्रीट फूड भी है, जिसे खाने के लिए लोग काफी संख्या में पहुंचते हैं. अल्मोड़ा के महिला अस्पताल के बाहर एक व्यक्ति 31 साल से “दिलबहार छोले” का छोटा सा ठेला लगाते हैं. अगर एक बार आपने इनका स्वाद चख लिया तो बार-बार इन्हें खाने आएंगे.

इन छोलों में प्याज, टमाटर, नमक, मिर्च, जीरा, चटनी और नींबू मिलाकर तैयार किया जाता है. इन्हें बनाने के लिए सभी शुद्ध मसालों का भी प्रयोग किया जाता है और इनका स्वाद चखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.

31 साल से लगा रहे हैं दुकान
दिलबहार छोले लगाने वाले मोहन चंद ने बताया कि वे 1994 से इन छोलों को बना रहे हैं. इन छोलों में प्याज, टमाटर, हरी मिर्च, घर के शुद्ध मसाले और खटाई डाली जाती है, जिससे इनका स्वाद लाजवाब बन जाता है. इनके छोले खाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और उनका उत्साहवर्धन भी करते हैं.

छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोग सभी इनका स्वाद लेते हैं. सुबह 11 बजे वे अल्मोड़ा के महिला अस्पताल गेट के पास ठेला लगाते हैं और शाम 6 बजे तक बैठे रहते हैं. बाहर से आने वाले पर्यटक भी इनका स्वाद एक बार जरूर चखते हैं. दिलबहार छोले की हाफ प्लेट ₹10 और फुल प्लेट ₹20 में मिलती है.

खास होते हैं यहां के छोले
ग्राहक दीपक ने बताया कि वे 2016 से यहां दिलबहार छोले खाने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि मोहन चंद के बनाए छोले का स्वाद अल्मोड़ा में कहीं और नहीं मिलता और यही एकमात्र जगह है, जहां यह खास छोले बनाए जाते हैं. उनके हाथों का ऐसा जादू है कि छोले का स्वाद दोगुना बढ़ जाता है और हर किसी को अपनी ओर खींच लाता है.

ग्राहक गिरीश धवन ने बताया कि वे 25 साल से देख रहे हैं कि अल्मोड़ा के महिला अस्पताल के बाहर मोहन चंद अपने छोले का ठेला लगाते हैं. वे छोले तैयार करने में सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं और उनके ठेले पर हमेशा ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है. उन्होंने पर्यटकों को सलाह दी कि अगर वे अल्मोड़ा आएं, तो एक बार जरूर दिलबहार छोले का स्वाद लें.

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30 सालों से नहीं बदला स्वाद, यहां 10 रुपये प्लेट में मिलता है जन्नत का मजा!


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-dilbahar-chole-is-found-outside-the-womens-hospital-from-last-31-years-local18-8999519.html

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