भीलवाड़ा: भीलवाड़ा जिले की शाहपुरा रियासत न केवल अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए खास है, बल्कि यहां के स्वादिष्ट पकवानों के लिए भी मशहूर है. खासतौर पर “सोहन जी पकौड़ी-भुजिया वाले” की पकौड़ी और खट्टे-मीठे मिर्ची बड़े की बात ही अलग है.करीब चार पीढ़ियों से यह परिवार अपने पुराने और पारंपरिक तरीकों से पकोड़ी बना रहा है, और इसका स्वाद ऐसा है कि शाहपुरा के तत्कालीन राजा-महाराजा भी इनकी पकौड़ी का लुत्फ उठाते थे.
आज के दौर में भी शाहपुरा का कोई ऐसा अधिकारी या व्यक्ति नहीं है जो इनके हाथ की बनी पकौड़ी का दीवाना न हो.सबसे खास बात यह है कि इनकी मिर्ची बड़े में खट्टे-मीठे का अनोखा स्वाद आता है, जो लोगों को खासतौर पर पसंद आता है. यही वजह है कि इनकी पकौड़ी और मिर्ची बड़े की लोकप्रियता आज भी बरकरार है.
चार पीढ़ियों से बना रहे है पकौड़ी
चौथी पीढ़ी के रूप में पकोड़ी बना रहे विनीत गौड़ ने कहा कि 130 सालों से लगतार चार पीढ़ियों से हमारा परिवार पकौड़ी और मिर्ची बड़े बनाते हुए आ रहा है. यहां पर शाहपुरा शहर वासियों का स्वाद का अच्छा रिस्पांस लोगों का हमें मिलता है, हमारे पास यदि कोई व्यक्ति एक बार आ जाता है तो वह दोबारा कहीं और नहीं जाता है. पकौड़ी का स्वाद ऐसा है कि लोग इसके दीवाने बन जाते हैं यही नहीं शहर का चाहे कोई आम व्यक्ति हो या फिर अधिकारी हर व्यक्ति हमारी पकौड़ी के स्वाद के मोहताज रहते हैं.
अधिकारी भी स्वाद है मोहताज –
विनित कहते है कि यही नहीं तत्कालीन जिला कलेक्टर मंजू राजपाल ने भी हमारे पकौड़ी का स्वाद लिया है. इसके अलावा पूर्व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी इतना ही नहीं यहां पर जो भी अधिकारी अपनी पोस्टिंग में यहां पर आता है वह हमारे यहां की पकौड़ी का स्वाद लिए बिना नहीं जाता है. इसके अलावा अगर किसी और शहर में भी जाता है तब भी वह हमारे यहां से पकौड़ी जरूर पैक करवा कर जाता है बारिश के समय आलम यह है कि यहां पर लोगों की पकौड़ी खाने के लिए भीड़ लग जाती है विवाद हो जाता है.
लोगों के बीच की कौन पहले पकौड़ी अपने घर लेकर जाएगा और यही नहीं लोग करीब आधा एक घंटा रुक कर भी इंतजार करते हैं अपनी बारी आने का और इसके साथ ही मिर्ची बड़े हम अमचूर की चटनी के साथ मनाते हैं जिसका स्वाद खट्टा – मीठा होता है और यह है मिर्ची बड़े लोगों को काफी पसंद आती है.
राजा महाराजाओं को भी खिल चुके हैं पकौड़ी
पकौड़ी बनाने वाले लक्ष्मण गौड़ कहते हैं कि शाहपुरा रियासत के तत्कालीन राजा महाराजाओं समय से चला आ रहा है और हमारे दादाजी ने राजा महाराजाओं के समय से तत्कालीन राजा उमेद सिंह जी को भी हमारी पकौड़ी का स्वाद दिया हुआ है. उसे जमाने के दौर में राजघराना द्वारा महीने के हमें 1 रूपये दिया जाता था. जिसके बाद हमारे द्वारा उस समय की खास बोगड़ा खास की महाराजाओं के लिए पकौड़ी बनाई जाती थी उस समय ऐसा हुआ करता था कि जब राजा महाराजा शिकार करने के लिए जाते थे और शिकार करने के बाद वह जब महल वापस आते थे तब वह हमारी पकौड़ी जरूर कहते थे तब से ही है लोगों के बीच पहली पसंद बन गई है. 130 सालों से हमारी 4 पीढ़ी आलू मिर्ची कि पकोड़ी औऱ मिर्ची बड़े शाहपुरा त्रिमूर्ति चौराहे पकोड़ी बनाते हुए आ रहे हैं.
FIRST PUBLISHED : August 14, 2024, 10:59 IST
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