Wednesday, April 23, 2025
38.9 C
Surat

400 साल पुरानी अनोखी मिठाई…जिसे खाते थे राजा के मजदूर, आज भी स्वाद के दीवाने हैं लोग, जानें कीमत


बुरहानपुर: रसगुल्ले, गुलाब जामुन और काजू कतली जैसी मिठाइयां आपने बहुत खाई होंगी. लेकिन मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में मिलने वाली मिठाई अलग है. शायद ही आपने पहले दराबा मिठाई का नाम सुना हो. 2 दिन की मेहनत के बाद यह तैयार होती है. टेस्ट के मामले में नंबर 1 है. 3 महीने तक इसका स्वाद बरकरार रहता है. इतिहास के जाना तो पता चला कि यह मिठाई मजदूरों से जुड़ी है.

कैसे हुई थी दराबा मिठाई की शुरुआत?
आजकल यह मिठाई कई जगहों पर मिलती है. पर इसकी शुरुआत बुरहानपुर से 400 साल पहले हुई थी. इतिहासकार कमरुद्दीन फलक ने इस बारे में बताया. वो कहते हैं कि जब राजा -हाराजा मजदूरों को काम पर रखते थे, तो उन्हें यह मिठाई दी जाती थी. ताकि अच्छा स्वाद भी मिले और सेहत भी, जिससे वो लंबे समय तक काम कर पाएं.  चूंकि, मिठाई दरबार से जुड़ी थी इसलिए इसका नाम दराबा रखा गया.

दराबा मिठाई की रेसिपी
दराबा मिठाई शुद्ध घी, शक्कर और सूजी से तैयार होती है. सबसे पहले सूजी को छानकर उसे घी में सेका जाता है. खूब मेहनत लगती है.  24 घंटे हो जाने के बाद इस पिसी हुई शक्कर मिलाई जाती है. फिर पेस्ट के हाथों से या मशीन की मदद से पीसा जाता है. आखिर में मिठाई को पैक किया जाता है.

दराबा मिठाई 3 महीने तक नहीं होती खराब
दराबा को पकाते वक्त शुद्ध घी और रवा इस्तेमाल होता है. इन दोनों चीजों को कई और मिठाइयों में भी डाला जाता है. फिर दराबा में ऐसा क्या है कि वो खराब नहीं होता? जवाब है पानी. मिठाई को पकाते वक्त  गिलास पानी का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

कितनी है कीमत
1 किलो दराबा मिठाई 500 रुपये किलो मिलती है. पूरी बुरहानपुर के लोग किसी भी खास मौके पर इसी मिठाई को खरीदते हैं. रिश्तेदारों को भी त्योहारों पर बांटते हैं. जिले में घूमने आए लोग इसका स्वाद जरूर चखते हैं. बालाजी महाराज को भोग लगाने के लिए भी इस मिठाई को खास माना जाता है. जिले से विदेश जाने वाले लोग भी इस मिठाई को जरूर खरीदते हैं. बालाजी मेले में शीत ऋतु दौरान मुख्य रूप से इस मिठाई का इस्तेमाल होता है. पाचन क्रिया के लिए भी यह मिठाई अच्छी मानी जाती है.

कैसे पहुंचे
बुरहानपुर रेलवे स्टेशन से यह दुकान 4 किलोमीटर की दूरी पर है. आप ऑटो में बैठकर जयस्मत चौराहे तक पहुंच सकते हैं. वहां से यह दुकान आधा किलोमीटर की दूरी पर है, जहां तक पैदल जाया जा सकता है.

  • कितनी ही कहानियां हैं हमारे आसपास. हमारे गांव में-हमारे शहर में. सामाजिक कहानी, लोकल परंपराएं और मंदिरों की कहानी, किसानों की कहानी, अच्छा काम करने वालों कहानी, किसी को रोजगार देने वालों की कहानी. इन कहानियों को सामने लाना, यही है लोकल-18. इसलिए आप भी हमसे जुड़ें. हमें बताएं अपने आसपास की कहानी. हमें व्हाट्सएप करें हमारे नंबर- 08700866366 पर.


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-daraba-sweet-famous-in-burhanpur-prepare-with-ghee-kings-workers-used-to-eat-8568058.html

Hot this week

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img