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Aligarh Famous Kachori: उत्तर प्रदेश का जनपद अलीगढ़ में ताले ही नहीं बल्कि खाने-पीने की लज़ीज़ चीज़ों के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां की नई बस्ती में मिलने वाली कचौड़ियां अपने खास स्वाद के लिए जानी जाती है. इनके लाजवाब स्वाद के दीवाने दूर-दूर से यहां पहुंचते है और हर रोज़ दुकान पर भारी भीड़ उमड़ती है.

उत्तर प्रदेश का जनपद अलीगढ़ ताला और तालीम के लिए जाना जाता है. इसके अलावा यह शहर खाने-पीने के खास व्यंजनों के लिए भी मशहूर है. इन्हीं खास व्यंजनों में अलीगढ़ की कचौड़ी भी मशहूर है. कचौड़ी की खुशबू आते ही चुंबक की तरह हर कोई इसकी तरफ खिंचा चला आता है. खासकर जब कोई अलीगढ़ में हो, तब यह तलब और भी ज्यादा बढ़ जाती है.

अलीगढ़ जिले के नई बस्ती इलाके में मशहूर कचौड़ी वाले मुकेश की दुकान में हमेशा लंबी लाइन लगी रहती है. यहां कचौड़ी चटनी के साथ नहीं, बल्कि आलू की सब्जी और तड़के वाले रायते के साथ दी जाती है. इसलिए यहाँ मिलने वाली कचौरियों का स्वाद दोगुना हो जाता है.ये दुकान सुबह 8:00 से दोपहर 12:00 तक खुली रहती है. जिसके बाद यहाँ कचोरी खत्म हो जाती हैँ.

अलीगढ़ मे कई सालों से मुकेश कचौड़ी के नाम से फेमस दुकान का कुछ लीगल वजहों से अब नाम बदलकर कृष्णा कचौड़ी कर दिया गया है. लेकिन अलीगढ़ के लोग इसे अब भी मुकेश कचौड़ी वालों के नाम से ही जानते हैं. शहर भर में मशहूर उनकी कचौड़ियों का स्वाद लेने उनकी दुकान पर पहुंचते हैं. और स्वादिष्ट कचौड़ियों का आनंद लेते हैं.

मुकेश कचौड़ी वालों के भाई भगवान दास जानकारी देते हुए बताते है कि उनके पिताजी ने करीब 31 साल पहले यहां एक छोटी सी दुकान शुरू की. पहले हमें एक ग्राहक के लिए भी तरसना पड़ता था, लेकिन धीरे-धीरे हमारा स्वाद लोगों को पसंद आने लगा. इसके पीछे की वजह हमारे घर के कुटे हुए मसाले और अच्छी क्वालिटी का सामान इस्तमाल करना है.

भगवान दास बताते हैं कि अब ऊपर वाले की ऐसी कृपा है कि हमारे यहां की कचौड़ियों को खाने के लिए लोगों को लंबी लाइन लगानी पड़ती है. कचोरी खाने के लिए आधे घंटे से 45 मिनट तक का इंतजार करना पड़ता है. लेकिन फिर भी लोग इंतजार करते हैं और हमारे यहां की कचोरियों को खाकर ही जाते हैं.

उन्होंने बताया कि पिताजी के बाद पिछले 20 सालों से वह और उनका भाई मुकेश इस दुकान को चला रहे हैं. यहां दो तरह की कचौड़ियां मिलती हैं. एक मुलायम और दूसरी खस्ता कचौड़ी. हमने 20 सालों से इस स्वाद बरकरार है, इसलिए शायद पुराने लोग अभी हमारे यहां कचौरियां खाने आते हैं. और हमने यह स्वाद आज तक गिरने नहीं दिया.

कचोरी वाले भगवान दास आगे बताते हैं कि हमारी कचौरियों में खास प्रकार के शुद्ध मसाले का इस्तेमाल होता है. इसमें मसाले डालकर लपेटू आलू की सब्जी और तड़के वाला रायता सर्व करते हैं. यहां 30 रुपये की दो कचौड़ी मिलती हैं और इन्हें खाने के लिए अलीगढ़ या यूपी से नहीं बल्कि बंगाल, बिहार और एमपी सहित देशभर से लोग आ चुके हैं. कुछ ऐसा है हमारी कचोरियों का जादू.

तालों के शहर अलीगढ़ में लोग कचोरियों के इतने दीवाने हैं कि मुकेश की कचौड़ियां खाने के लिए जो भारी भीड़ लगती है. वह भीड़ तकरीबन 800 कचौरियां एक दिन में खा लेती है. यहां काम करने वाले कारीगरों के हाथ नहीं रुकते. फिर भी लोगों की कचोरी के लिए पुकार लगती रहती है कि पहले मुझे चाहिए. इन कचौड़ियों के स्वाद का जादू सर चढ़कर बोलता है.
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