घंटा दुकान की पहचान
अब यह दुकान जैन स्नैक्स कॉर्नर के नाम से जानी जाती है और यहां की रबड़ी, लस्सी, फालूदा और जूस के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है. यहां तक कि 5 मिनट तक वेटिंग करनी पड़ती है. शलभ जैन, जो इस दुकान की आठवीं पीढ़ी से हैं, बताते हैं कि 1790 में उनके पूर्वजों ने यह शाही मिठाई की दुकान शुरू की थी. घंटा इसकी पहचान था और आज भी दुकान के बाहर वही घंटा टंगा हुआ है.
मुगलों के जमाने से चर्चा में है यह दुकान
उस समय दिल्ली में मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय का शासन था और उन्हें यहां की शाही मिठाइयां इतनी पसंद थीं कि वह हर मेहमान का स्वागत इन्हीं मिठाइयों से करते थे. बड़े-बड़े डिब्बे मिठाइयों के मंगवाने के लिए वह अपने हाथियों को भेजते और कहते कि घंटे वाली दुकान से मिठाई ले आओ. शलभ बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के यहां भी कैटरिंग की थी, जिससे खुश होकर उन्होंने एक प्रशंसा पत्र दिया था जो आज भी दुकान पर मौजूद है.
आज भी इस पुश्तैनी दुकान पर मिठाइयां बनती हैं, लेकिन करीब 40 साल से यहां रबड़ी, जूस, कुल्फी और फालूदा भी मिलने लगा है. यहां शुगर फ्री कुल्फी, जूस और फालूदा कुल्फी भी बनाई जाती है जिसे डायबिटीज के मरीज भी निश्चिंत होकर खाते हैं. खस शरबत, गुलाब शरबत, शिकंजी, छाछ, मटका लस्सी, काजू शेक, गुलाब मिल्क शेक, पिस्ता शेक, केसर शेक, ओरियो, चॉकलेट, कोल्ड कॉफी, मलाई रबड़ी, मैंगो रबड़ी, शाही केसर रबड़ी, चॉकलेट रबड़ी, पिस्ता रबड़ी, खोया रबड़ी, ड्राई फ्रूट रबड़ी, चंदन रबड़ी, पंच तत्व रबड़ी और त्रिवेणी रबड़ी यहां की खास पहचान हैं.
वीकेंड्स पर पैर रखने की भी जगह नहीं
शनिवार और रविवार को यहां इतनी भीड़ होती है कि कदम रखने की जगह भी नहीं बचती. पहलवान भी यहां आकर काजू शेक पीना पसंद करते हैं. दुकान पर सारा सामान यहीं तैयार किया जाता है और सिर्फ भैंस का दूध बाहर से आता है जिससे सारी मिठाइयां और रबड़ी बनाई जाती हैं. अगर जैन स्नैक्स कॉर्नर की रबड़ी का स्वाद लेना चाहते हैं तो चांदनी चौक स्थित दुकान नंबर 1472, फाउंटेन और गुरुद्वारे के सामने, सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक कभी भी आ सकते हैं.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-rabadi-wala-235-year-old-shop-mughals-first-president-rajendra-prasad-loved-shakes-juice-delicious-ghanta-local18-ws-kl-9623151.html