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Explainer: जो चिप्स आप खाते हैं उसके पैकेट में भरी होती है नाइट्रोजन, क्यों होता है ऐसा, इससे नुकसान तो नहीं


हाइलाइट्स

सभी आलू के चिप्स के पैकेटों में भरी रहती है नाइट्रोजन गैसनाइट्रोजन गैस रंगहीन, गंधहीन और अक्रिय गैस हैवैसे नाइट्रोजन अगर ज्यादा मात्रा में सूंघ लें तो मौत भी हो सकती है

जब आप चिप्स का कोई पैकेट खरीदते हैं और इसे खोलकर खाते हैं तो कभी ये सोचा कि इस पैकेट में कौन सी गैस भरी जाती है. वैसे हर पैकेट पर ये जानकारी दी जाती है. अब हम आपको बताते हैं कि चिप्स के हर पैकेट में नाइट्रोजन भरी जाती है. आज से हमेशा से ऐसा हो रहा है. ऐसे में ये सवाल लाजिमी है कि ये क्यों किया जाता है. क्या इससे कोई खतरा तो नहीं है.

दुनियाभर में चिप्स के सारे ब्रांड अपने आलू से लेकर केले तक के चिप्स को पैकेट में नाइट्रोजन के साथ ही पैक करती हैं. जब आप इनको खोलते हैं तो कुरकुरी चिप्स को मजे ले लेकर खाते हैं. तो आपको ये जरूर जानना चाहिए कि नाइट्रोजन गैस होती है. कब खतरनाक हो जाती है.

कैसी गैस होती है नाइट्रोजन
नाइट्रोजन रंगहीन, गंधहीन गैस है. इसका रासायनिक प्रतीक N है. सामान्य ताप और दाब पर ये गैस की अवस्था में होती है. पृथ्वी के वायुमण्डल का लगभग 78% नाइट्रोजन ही है. ये आमतौर पर रिएक्शन नहीं करती. इसकी खोज 1773 में स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक डेनियल रदरफोर्ड ने की थी.

दुनियाभर के सारे चिप्स पैकेट्स में क्यों भरी जाती है नाइट्रोजन. (image generated by Leonardo AI)

क्या होते हैं इसके खतरे…हो सकती है मौत भी
सबसे पहले तो हम आपको बता देते हैं कि नाइट्रोजन कैसी गैस होती है और हेल्थ पर क्या असर डालती है.
– नाइट्रोजन गैस स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा जोखिम पैदा कर सकती है, खासकर जब काफी संख्या में सूंघी जाए
– वैसे तो नाइट्रोजन एक निष्क्रिय गैस है जो पृथ्वी के वायुमंडल का लगभग 78% हिस्सा बनाती है लेकिन इससे सांस का अवरोध होने का जोखिम होता है, इससे भ्रम और चेतना की हानि से लेकर मृत्यु तक हो सकती है.
– गंध और रंग की कमी के कारण विशेष उपकरणों के बिना नाइट्रोजन गैस के खतरनाक स्तरों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है, जिससे जोखिम बढ़ जाता है.
– जबकि नाइट्रोजन खुद विषाक्त नहीं है, इसके ऑक्साइड (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की तरह) महत्वपूर्ण श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं. इसके संपर्क में ज्यादा रहने पर अस्थमा बढ़ सकता है और फेफड़ों की पुरानी बीमारियां पैदा हो सकती हैं.

तो जब ये खतरनाक तो चिप्स पैकेट्स में क्यों
– नाइट्रोजन एक निष्क्रिय गैस है, जिसका अर्थ है कि ये आलू के चिप्स में तेल और वसा के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है. उनके ऑक्सीकरण को रोकने में मदद करता है, जिससे ये कुरकुरा और फ्रेश बना रहता है. ये पैकेट के भीतर की ऑक्सीजन को निकालकर चिप्स के साथ किसी तरह की रासायनिक रिएक्शन को खत्म कर देता है.

वैसे तो नाइट्रोजन ज्यादा मात्रा में सूंघ ली जाए तो खतरनाक होती है लेकिन डिब्बा बंद फूड्स में इसका उपयोग ताजगी बनाए रखने के लिए किया जाता है.

– नाइट्रोजन की उपस्थिति चिप्स की ताज़गी और कुरकुरापन बनाए रखने में मदद करती है. अगर पैकेट में ऑक्सीजन भरी जाए तो ऑक्सीजन नमी को बढ़ा सकती है, जिससे चिप्स नरम हो जाते हैं. नाइट्रोजन एक सूखी गैस होने के कारण पैकेट के अंदर के वातावरण को नमी-मुक्त रखने में मदद करती है.

चिप्स को कैसे बचाती है
चिप्स नाजुक होते हैं. टूटने के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं. शिपिंग के दौरान नाइट्रोजन का कुशनिंग प्रभाव चिप्स को कुचलने और नुकसान से बचाने में मदद करता है. आलू के चिप्स की नाजुक प्रकृति को देखते हुए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. अब ये केले और अन्य सामग्रियों के चिप्स के पैकेट्स में भी इस्तेमाल होती है.
नाइट्रोजन से चिप बैग को फुलाने से एक कुशनिंग प्रभाव पैदा होता है जो परिवहन और हैंडलिंग के दौरान चिप्स की सुरक्षा करता है. यह टूटने की संभावना को कम करता है, यह सुनिश्चित करता है कि अधिक चिप्स बरकरार रहें और खोले जाने पर उनकी कुरकुरी बनावट बनी रहे.

नाइट्रोजन की पैकेजिंग कब शुरू हुई
पैकेजिंग में नाइट्रोजन का उपयोग करने की प्रथा 20वीं सदी के शुरू में लोकप्रिय होने लगी, जब निर्माताओं ने शेल्फ़ लाइफ़ बढ़ाने और उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करने के तरीके खोजे. इसमें पैकेट को सील करने से पहले ऑक्सीजन को नाइट्रोजन से बदल दिया जाता है. इसे पैकेजिंग चिप्स को फिर लंबी आयु देते हैं.

चिप्स पैकेट्स में नाइट्रोजन गैस फीलिंग का काम 20 सदी की शुरुआत में शुरु हुआ.
(image generated by Leonardo AI)

कौन से ब्रांड नाइट्रोजन का इस्तेमाल करते हैं
विभिन्न ब्रांड नाइट्रोजन के अलग-अलग प्रतिशत का उपयोग करते हैं; उदाहरण के लिए, लेज़ पैकेट में लगभग 85% नाइट्रोजन होता है, जबकि बिंगो और अंकल चिप्स जैसे अन्य ब्रांड लगभग 75% का उपयोग करते हैं.

क्या इसको FDA से मंजूरी मिली हुुई है
नाइट्रोजन गैस को FDA द्वारा “सामान्य रूप से सुरक्षित के रूप में मान्यता प्राप्त” (GRAS) के रूप में वर्गीकृत किया गया है. मतलब ये कि ये खाद्य पैकेजिंग में उपयोग के लिए सुरक्षित है. स्वास्थ्य जोखिम पैदा नहीं करता.

क्या ये बैक्टीरिया दे सकता है
नाइट्रोजन द्वारा बनाया गया वातावरण कुछ बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा दे सकता है, ऐसे बैक्टीरिया जो बगैर ऑक्सीजन के पनपते हैं. हालांकि ये हानिकारक नहीं होते हैं.

कौन से खाद्य पदार्थ नाइट्रोजन गैस से पैक किये जाते हैं?
– चिप्स, पॉपकॉर्न, नट्स और अन्य स्नैक फूड
– ताजा मांस
– पहले से पैक किया हुआ लंच मीट
– सलाद मिक्स और लेट्यूस के बैगsnacSnack
– पहले से कटे हुए सेब और गाजर की छड़ें
– बेकन, स्मोक्ड सॉसेज और कीलबासा
– वाइन की बोतलें
– आपातकालीन खाद्य राशन
– जामुन
– फ्रोज़ेन खाद्य पदार्थ

पैकेजिंग गैस के रूप में नाइट्रोजन का किस तरह इस्तेमाल बढ़ रहा है
खाद्य पैकेजिंग उद्योग में नाइट्रोजन ने इतनी लोकप्रियता हासिल कर ली है कि अब इसका उपयोग शराब बनाने या कॉफी उद्योग में भी किया जाता है. शराब बनाने में इसका उपयोग ‘नाइट्रो बियर’ बनाने के लिए किया जाता है. कॉफी उद्योग में इसका उपयोग अंतिम उत्पाद को बेहतर स्वाद देने के लिए ‘नाइट्रो ब्रू’ बनाने के लिए किया जाता है.

खाद्य-ग्रेड नाइट्रोजन क्या है?
खाद्य-ग्रेड नाइट्रोजन की शुद्धता का स्तर उच्च होता है यानी 99% या उससे अधिक. इसमें कोई अशुद्धियां नहीं होती हैं.

वायुमंडल में कितनी नाइट्रोजन 
वायुमंडल में कुल मिलाकर 78 फीसदी नाइट्रोजन है तो 21 फीसदी ऑक्सीजन, इसके अलावा कार्बन डाईऑक्साइड, थोड़ी मात्रा में नियोन, हीलियम, मीथेन, क्रिप्टन, हाइड्रोजन, नाइट्रस ऑक्साइड, ज़ेनॉन, ओज़ोन, आयोडीन, कार्बन मोनोऑक्साइड, और अमोनिया भी मौजूद होती हैं.


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https://hindi.news18.com/news/knowledge/explainer-why-potato-chips-packets-always-fill-with-nitrogen-know-is-it-harmless-8751846.html

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