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Raipur Famous Aloo Bhajiya: रायपुर की पुरानी बस्ती में 52 साल पुराना ‘बजरंग नाश्ता सेंटर’ आज भी स्वाद की पहचान है. यहां 10 रुपए में तीन नग आलू भजिया और तीखी चटनी मिलती है. रोजाना 150 से अधिक प्लेटें बिकती हैं. विकास पंसारी अपने पिता जनक लाल की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. शाम 5 से 9:30 तक ग्राहकों की लंबी कतारें लगती हैं.
रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पुरानी बस्ती थाना के पास स्थित ‘बजरंग नाश्ता सेंटर’ सिर्फ एक दुकान नहीं, बल्कि स्वाद की विरासत बन चुका है. बीते 52 वर्षों से यह नाश्ता सेंटर शहरवासियों को अपनी खास छौंक और पारंपरिक स्वाद से लुभा रहा है. आज भी यहां के आलू भजिया की सुगंध शाम होते ही गलियों में फैल जाती है और ग्राहकों की लाइन लग जाती है.
सिर्फ 10 रुपए में तीन नग भजिया की प्लेट
विकास बताते हैं कि आज भी उनके यहां आलू भजिया की वही पारंपरिक रेसिपी अपनाई जाती है जो उनके पिता ने सिखाई थी. आलू भजिया बनाने के लिए चना दाल के बेसन का बैटर तैयार किया जाता है, जिसमें पतले-पतले कटे आलू डुबोकर गरम तेल में सुनहरा होने तक तला जाता है. इसके लिए वे विशेष रूप से ‘पहाड़ी आलू’ का इस्तेमाल करते हैं, जिससे भजिया बाहर से कुरकुरा और अंदर से मुलायम बनता है. सिर्फ 10 रुपए में तीन नग भजिया की प्लेट मिलती है, जिसे टमाटर, धनिया और लहसुन मिर्ची की तीखी चटनी के साथ परोसा जाता है. स्वाद ऐसा कि एक बार चखने वाला बार-बार लौट आता है.
हर दिन शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक खुलता
विकास बताते हैं कि उनका नाश्ता सेंटर हर दिन शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक खुलता है. महज साढ़े चार घंटे में ग्राहकों की इतनी भीड़ रहती है कि खड़े रहने की जगह तक नहीं बचती. रोजाना सिर्फ आलू भजिया की 150 से अधिक प्लेटें बिकती हैं, जबकि बाकी नाश्तों में आलू गुंडा, मिर्ची भजिया और मूंग बड़ा को मिलाकर प्रतिदिन करीब 500 प्लेटों की बिक्री हो जाती है.
इतनी सफलता के बावजूद विकास पंसारी आज भी अपने ग्राहकों से वही सादगी और अपनापन बनाए रखते हैं, जो उनके पिता की पहचान थी. वे कहते हैं, हमारे लिए ग्राहक भगवान हैं. जब लोग सालों बाद भी पुराना स्वाद याद करते हुए आते हैं, तो लगता है कि पिताजी की मेहनत व्यर्थ नहीं गई. रायपुर की पुरानी बस्ती का यह बजरंग नाश्ता सेंटर अब सिर्फ एक दुकान नहीं, बल्कि ‘भावनाओं और स्वाद का ठिकाना’ बन चुका है जहां एक प्लेट गरमागरम आलू भजिया में पांच दशक का इतिहास, परंपरा और रायपुर की मिठी यादें छिपा है.
7 वर्षों से पत्रकारिता में अग्रसर. इलाहबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स इन जर्नालिस्म की पढ़ाई. अमर उजाला, दैनिक जागरण और सहारा समय संस्थान में बतौर रिपोर्टर, उपसंपादक औऱ ब्यूरो चीफ दायित्व का अनुभव. खेल, कला-साह…और पढ़ें
7 वर्षों से पत्रकारिता में अग्रसर. इलाहबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स इन जर्नालिस्म की पढ़ाई. अमर उजाला, दैनिक जागरण और सहारा समय संस्थान में बतौर रिपोर्टर, उपसंपादक औऱ ब्यूरो चीफ दायित्व का अनुभव. खेल, कला-साह… और पढ़ें
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-raipur-famous-aloo-bhajiya-10-rupees-52-years-old-taste-local18-ws-l-9746571.html