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Pali Famous Kachori Shop: अगर आप कचौरी खाने के शौकीन हैं, तो रोहट की इस दुकान की कचौरी एक बार जरूर कीजिए ट्राई, आपका दिन बन जाएगा.

रोहट की प्रसिद्ध कचौरी
हाइलाइट्स
- रोहट की कचौरी का स्वाद लाजवाब है.
- प्रहलाद चंद मांगीलाल प्रजापत की दुकान प्रसिद्ध है.
- 1967 से यह कचौरी दुकान चल रही है.
पाली:- सर्दी का मौसम हो और चाय के साथ गर्मा-गर्म कचौरी मिल जाए, तो उसका कहना ही क्या, और अगर कचौरी भी रोहट की हो तो दिन बन जाता है. बता दें, कि रोहट की कचौरी इतनी स्वादिष्ट होती है, कि देखते ही मुंह में पानी आ जाता है. पाली नेशनल हाईवे से गुजरने वाला हर व्यक्ति रोहट पर रुककर कचौरी खाना बेहद पसंद करता है. जिसकी वजह है इनका बेहतरीन स्वाद है. सर्दियों में इनकी डिमांड इतनी बढ़ गई है, कि हजारों कचौरी प्रतिदिन बिक रही हैं. तो चलिए जानते हैं कहां है इनकी दुकान, और क्या है इनकी कचौरी का रेट
दिखने में छोटी यह कचौरी बेहद टेस्टी होती है
रोहट की मोगर की कचौरी विश्व प्रसिद्ध है. इस मोगर की कचौरी का आविष्कार इसी क्षेत्र के रहने वाले प्रहलाद चंद द्वारा किया गया था, जिसके स्वाद को परिवार के सदस्यों ने आज भी कायम रखा हुआ है. स्वाद के चलते आज भी रोहट की कचौरी ने विदेशों तक में अपनी पहचान बना रखी है. अगर आप भी पाली हाईवे पर हैं, तो रोहट पर प्रसिद्ध प्रहलाचंद मांगीलाल प्रजापत की दुकान पर रुकना न भूलें. रोहट की कचौरी दिखने में भले ही छोटी है मगर जब भी कोई व्यक्ति इस कचौरी का स्वाद चखता है, तो एक की जगह दो या तीन कचौरी खा जाता है.
प्रहलाद चंद मांगीलाल जी प्रजापत नाम से है दुकान
पाली की तरफ जाने से पहले रास्ते में आने वाला यह रोहट जिसको भला कौन जानता था, मगर प्रहलाचंद मांगीलाल ने इस तरह मोगर की कचौरी का आविष्कार किया है, कि अब देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बैठे लोग भी जब जोधपुर आते हैं, तो यहां की कचौरी खाना नहीं भूलते हैं. हालांकि, रोहट पर अब काफी दुकानें आपको मोगर की कचौरी की दिख जाएंगी, मगर आप वही पुराना लाजवाब टेस्ट लेना चाहते हैं, तो रोहट के अंदर एंटर होते ही थोड़ा आगे की तरफ प्रहलाद चंद मांगीलाल जी प्रजापत नामक इस दुकान की कचौरी का स्वाद चख सकते हैं, जो कि कई वर्षों पुरानी है.
1967 में इस कचौरी को इस तरह मिली पहचान
इस दुकान के मालिक तूलसीराम प्रजापत ने लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए बताया, कि हमारी कचौरी का मसाला जिसको हम काफी बेहतरीन तरीके से पिसवाकर और बड़िया तरीके से तैयार करते हैं. जो लोगों को खूब पसंद आता है. दादा जी और पिता जी 1967 में यहां रोहट में आए थे, तब जैन कचौरी के रूप में इसको तैयार किया था. जिसमें लहसुन प्याज किसी प्रकार से इस्तेमाल नहीं करते हैं. जैन लोग ज्यादा होते थे, तो उस वक्त तो काफी पसंद की जाती थी. धीरे-धीरे स्वादिष्ट टेस्ट की वजह से अब हर कोई पंसद करता है. पिता और दादाजी के नाम से यह दुकान है. पिता का नाम प्रहलाचंद और दादाजी का नाम मांगीलाल है इसलिए उसी नाम से यह दुकान प्रसिद्ध है.
February 07, 2025, 14:30 IST
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