5 Forgotten Fruits Of India: हमारे देश की धरती फलों की विविधता से भरी पड़ी है. आम, केला, सेब या संतरे जैसे फलों के नाम तो हर किसी की ज़ुबान पर होते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कई ऐसे फल भी हैं जो अपने अनोखे स्वाद और गुणों के बावजूद अब लगभग गुमनाम हो चुके हैं? ये फल न केवल स्वाद में अलग हैं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं. आज के दौर में जहां विदेशी फल जैसे किवी, ड्रैगन फ्रूट या एवोकाडो ने बाजार में जगह बना ली है, वहीं हमारे ही देश के कुछ देसी फल धीरे-धीरे गायब होते जा रहे हैं. शहरों में तो लोग इनके नाम तक नहीं जानते. यह स्थिति सिर्फ स्वाद या पहचान की नहीं, बल्कि हमारी जैव विविधता से जुड़ी हुई है. भारत के छोटे कस्बों और गाँवों में अब भी कई परिवार इन पारंपरिक फलों को अपने आहार या औषधीय उपयोग के लिए उगाते हैं. लेकिन तेज़ी से बदलती जीवनशैली और सीमित बाजार मांग के कारण ये फल अब दुकानों और सुपरमार्केट की रैक से लगभग गायब हो चुके हैं. आइए जानते हैं भारत के पांच ऐसे भूले-बिसरे फलों के बारे में, जिन्हें अगली बार बाजार जाते समय ज़रूर ढूंढ़ना चाहिए स्वाद और सेहत दोनों के लिए.
1. रामफल – स्वाद में कुदरत की कुल्फी
-रामफल, जिसे ‘बैल का दिल’ भी कहा जाता है, शरीफा के परिवार का ही सदस्य है. इसका गूदा मलाई जैसा मुलायम और स्वाद में बेहद मीठा होता है. बीज कम होते हैं और इसे खाने पर ऐसा लगता है मानो आप किसी प्राकृतिक मिठाई का स्वाद ले रहे हों. आयुर्वेद में इसे ऊर्जा बढ़ाने वाला और पाचन सुधारने वाला माना गया है.
-क्यों अनदेखा रह गया: यह जल्दी खराब होने वाला फल है और इसका परिवहन कठिन होता है. शायद यही कारण है कि यह बाजार में कम दिखाई देता है.
-खाने का तरीका: इसे शहद और थोड़ी सौंफ के साथ खाइए स्वाद आपको हैरान कर देगा.
2. करोंदा – छोटा फल, बड़ा असर
-करोंदा देखने में छोटा और स्वाद में थोड़ा खट्टा होता है, लेकिन इसमें विटामिन सी और आयरन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. ग्रामीण इलाकों में इसे अचार और चटनी में खूब इस्तेमाल किया जाता है. यह गर्मी और बरसात दोनों मौसम में उगता है.
-क्यों अनदेखा रह गया: शहरी उपभोक्ता इसका खट्टा स्वाद पसंद नहीं करते, और सीमित प्रचार के कारण यह आम बाजार में जगह नहीं बना पाया.
-खास बात: करोंदा का अचार न सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि भूख बढ़ाने में भी मदद करता है.

3. लसोड़ा – चिपचिपा लेकिन चमत्कारी
-लसोड़ा को कई जगह ‘निसोड़ा’ भी कहा जाता है. इसका गूदा लसदार होता है, पर यही इसकी ताकत है. इसमें ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो सूजन और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं. राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के कुछ इलाकों में इसका अचार बहुत मशहूर है.
-क्यों अनदेखा रह गया: इसकी बनावट और चिपचिपाहट इसे आम उपभोक्ताओं के लिए थोड़ा असामान्य बना देती है.
-खास बात: लसोड़े की चटनी दाल-चावल या पराठे के साथ एकदम लाजवाब लगती है.
4. फालसा – गर्मी का ठंडक भरा तोहफा
-फालसा छोटा, बैंगनी रंग का फल है जो सिर्फ गर्मियों में मिलता है. इसका स्वाद मीठा-खट्टा होता है और इससे बनने वाला शरबत गर्मी में बेहद राहत देता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स भरपूर होते हैं, जो शरीर को ठंडक और ऊर्जा दोनों देते हैं.
-क्यों अनदेखा रह गया: यह सिर्फ कुछ हफ्तों के लिए ही उपलब्ध रहता है और जल्दी खराब हो जाता है.
-खास बात: एक गिलास ठंडे पानी में फालसे का रस और थोड़ी चीनी डालकर पी लीजिए शरीर को तुरंत स्फूर्ति मिल जाएगी.

5. बेल – ठंडक और तंदुरुस्ती का संगम
-बेल का नाम सुनते ही गर्मी में मिलने वाले बेल शरबत की याद आ जाती है. इसका गूदा सख्त होता है लेकिन पाचन के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं. इसमें फाइबर, कैल्शियम और प्राकृतिक शर्करा होती है. ग्रामीण इलाकों में इसे पेट के रोगों में औषधि की तरह उपयोग किया जाता है.
-क्यों अनदेखा रह गया: इसका गूदा निकालना थोड़ा कठिन है और स्वाद हर किसी को तुरंत पसंद नहीं आता.
खास बात: गर्मियों में बेल शरबत पीना शरीर को भीतर से ठंडक देता है और पानी की कमी पूरी करता है.
क्यों ज़रूरी हैं ये भूले-बिसरे फल
इन फलों की खासियत यह है कि ये कठोर परिस्थितियों में भी आसानी से उग जाते हैं. इन्हें बहुत पानी या देखभाल की ज़रूरत नहीं होती, इसलिए ये पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद हैं. इनमें मौजूद पोषक तत्व और औषधीय गुण इन्हें सुपरफूड की श्रेणी में लाते हैं.
अगर हम इन फलों को अपने आहार में फिर से शामिल करें, तो न सिर्फ हमारी सेहत सुधरेगी बल्कि स्थानीय किसानों और छोटे व्यवसायों को भी नया जीवन मिलेगा. अगले बार जब आप फल मंडी या सब्ज़ी बाजार जाएं, तो सिर्फ चमकदार सेब और महंगे अंगूर न चुनें रामफल, करोंदा या बेल को भी आज़माइए. शायद आप अपने नए पसंदीदा फल से मिल जाएं.
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