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Gatta Methi Sabzi Royal Dish of Rajasthan


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Rajasthani Famous Dish: राजस्थान की रसोई की पहचान गट्टा मेथी की सब्ज़ी है. इसका इतिहास राजा रजवाड़ों के समय से जुड़ा है. जब किलों और हवेलियों की शाही थालियाँ सजती थीं. तब बेसन से बने नरम गट्टे और ताज़ी मेथी से बनी यह सब्ज़ी ज़रूर परोसी जाती थी. आज भी यह सब्ज़ी शादी ब्याह और खास मौकों पर थालियों की शान बनी रहती है. यह व्यंजन राजसी वैभव और देसी स्वाद का अनोखा जायका है.

Rajasthani Food: वो खास सब्ज़ी, जिसके बिना अधूरी मानी जाती है राजस्थान की थालीगट्टा मेथी की सब्ज़ी
Rajasthani Famous Dish: राजस्थान की रसोई का ज़िक्र हो और गट्टा मेथी की सब्ज़ी का नाम न आए, ऐसा संभव ही नहीं है. यह व्यंजन न सिर्फ अपने लाजवाब स्वाद के लिए मशहूर है, बल्कि इसका एक लंबा और गौरवशाली इतिहास भी है. इतिहासकारों का कहना है कि यह व्यंजन राजा–रजवाड़ों के दौर में शाही थालियों का अहम हिस्सा हुआ करता था. उस समय जब मौसमी सब्ज़ियाँ कम उपलब्ध होती थीं, तब शाही रसोइयों ने अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए एक अनूठा व्यंजन तैयार करने का फैसला किया.

उन्होंने बेसन से छोटे–छोटे गट्टे बनाए और उनमें ताज़ी मेथी मिलाकर एक ऐसी सब्ज़ी तैयार की, जो स्वाद और खुशबू में लाजवाब साबित हुई. यह डिश उस दौर में न सिर्फ एक स्वादिष्ट भोजन थी, बल्कि यह शाही रसोई की रचनात्मकता और नवाचार का भी प्रतीक थी.

राजसी वैभव से देसी स्वाद तक का सफर

सदियों तक गट्टा–मेथी की सब्ज़ी बड़े किलों और हवेलियों में आयोजित होने वाली शाही दावतों का एक अनिवार्य हिस्सा रही. मेहमानों को परोसी जाने वाली हर थाली में इस व्यंजन का होना गौरव की बात मानी जाती थी. धीरे–धीरे, जैसे–जैसे समय बदला, यह राजसी व्यंजन आम परिवारों की रसोई तक पहुँचा और देखते ही देखते राजस्थान की पहचान बन गया. आज यह डिश किसी खास मौके पर, चाहे वह शादी–ब्याह हो या कोई त्यौहार, हर थाली की शोभा बढ़ाती है. यह व्यंजन शाही खानपान और आम लोगों की संस्कृति के बीच एक अनोखा पुल बन गया है.
गट्टे और मेथी का अद्भुत मेल

गट्टा मेथी की सब्ज़ी की खासियत इसके दो मुख्य घटकों में निहित है: गट्टे और ताज़ी मेथी. गट्टे यानी बेसन से बने छोटे–छोटे रोल, जिन्हें पहले उबाला जाता है और फिर उन्हें स्वादिष्ट मसालों से बनी ग्रेवी में पकाया जाता है. वहीं, ताज़ी मेथी का हल्का कसैला और अनोखा स्वाद इस डिश को एक अलग ही पहचान देता है. जब दही और मसालों से बनी ग्रेवी में मुलायम गट्टे और ताज़ी मेथी मिलती है, तो इसका स्वाद खाने वाले को उंगलियां चाटने पर मजबूर कर देता है. यह मेल केवल स्वाद का नहीं, बल्कि परंपरा और रचनात्मकता का भी प्रतीक है, जो राजस्थान की समृद्ध पाक कला को दर्शाता है.

एक गृहणी की जुबानी, गट्टा–मेथी की कहानी

गृहणी अनीता बताती हैं कि इस सब्ज़ी को बनाने में थोड़ी मेहनत और धैर्य लगता है, लेकिन इसका अद्भुत स्वाद उस मेहनत का पूरा हक चुकाता है. वह बताती हैं कि सबसे पहले बेसन में मसाले डालकर एक नरम आटा गूंथा जाता है. फिर उस आटे से लंबे रोल बनाकर उन्हें उबलते पानी में पकाया जाता है. बाद में इन गट्टों को छोटे टुकड़ों में काटकर मसालों और दही से बनी एक स्वादिष्ट ग्रेवी में मिलाया जाता है. भुनी हुई मेथी को भी इसी ग्रेवी में डालकर धीमी आँच पर पकाया जाता है. यही धीमा पकाना इस डिश को इसका खास और राजसी स्वाद देता है.

आज भी बनी है राजस्थान की पहचान

आज भी राजस्थान के हर कोने में, खासकर शादियों और त्यौहारों में, गट्टा–मेथी की सब्ज़ी के बिना थाली अधूरी मानी जाती है. यह डिश केवल एक भोजन नहीं, बल्कि राजस्थान की शान और सांस्कृतिक विरासत का एक जीवंत प्रतीक बन चुकी है.

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Rajasthani Food: वो खास सब्ज़ी, जिसके बिना अधूरी मानी जाती है राजस्थान की थाली


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