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Kachri Achar Ki Recipe: काचरी का अचार न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है. यह राजस्थानी डिश इम्यूनिटी बढ़ाने, पाचन सुधारने और शरीर को एनर्जी देने में मदद करती है. घर पर इसे आसान ट्रिक से बनाकर आप रोज के खाने में देसी हेल्थ डोज जोड़ सकते हैं.

भीलवाड़ा: राजस्थान की मिट्टी में पाई जाने वाली देसी सब्जियों में काचरी का नाम खास माना जाता है. इसका स्वाद खट्टा-तीखा होने के साथ सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है. काचरी को आमतौर पर सब्जी या चटनी के रूप में खाया जाता है, लेकिन इसका अचार भी बेहद स्वादिष्ट और लंबे समय तक टिकने वाला होता है. यह अचार सर्दी के मौसम में खाने के साथ स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ पाचन को दुरुस्त रखने में भी मदद करता है. खास बात यह है कि इसे घर पर बहुत आसानी से बनाया जा सकता है.

काचरी एक तरह की जंगली देसी जैसी सब्जी है जो रेगिस्तानी इलाकों में खूब पाई जाती है. इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो शरीर को ऊर्जा देने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक हैं. यह सूखे मौसम में भी उग जाती है और सर्दी के समय इसका सीजन खत्म हो जाता है लेकिन इसे लंबे समय से चलने के लिए इसका अचार बनाया जा सकता है. इसके अचार का सेवन करने से भूख बढ़ती है और पेट की गैस, अपच या भारीपन जैसी समस्याएं दूर होती हैं.

अगर आप घर पर काचरी का अचार बनाना चाहते हैं. तो सबसे पहले काचरी को अच्छी तरह धो लें और छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें. इसके बाद इन्हें हल्की धूप में 1 से 2 घंटे तक सुखाएं ताकि इनमें मौजूद नमी खत्म हो जाए. सुखाने के बाद इसमें नमक, हल्दी, लाल मिर्च पाउडर, सौंफ, मेथी दाना और सरसों का तेल डालकर अच्छी तरह मिला लें. इस मसाले में काचरी को कम से कम 24 घंटे तक मैरीनेट होने दें ताकि सारे मसाले उसमें अच्छी तरह समा जाएं.

अचार बनाने में तेल का चुनाव सबसे अहम माना जाता है. देसी स्वाद के लिए सरसों का तेल सबसे उपयुक्त होता है. जब तेल हल्का गरम हो जाए तो उसमें तैयार की गई मसालेदार काचरी डालें और कुछ मिनट तक पकने दें. इसके बाद अचार को पूरी तरह ठंडा होने दें और कांच या स्टील के साफ व सूखे जार में भर लें. ध्यान रखें कि अचार में नमी या पानी बिल्कुल न जाए, वरना यह जल्दी खराब हो सकता है.

काचरी का अचार न केवल खाने के साथ स्वाद बढ़ाता है बल्कि यह शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स शरीर में सूजन कम करने, स्किन ग्लो बढ़ाने और पाचन को दुरुस्त रखने में मदद करते हैं. ग्रामीण इलाकों में इसे अक्सर रोटी, दाल-चावल या बाजरे की खिचड़ी के साथ खाया जाता है. यह अचार कई हफ्तों तक सुरक्षित रहता है और समय के साथ इसका स्वाद और भी निखरता है.

काचरी में प्राकृतिक एंजाइम्स होते हैं जो मेटाबॉलिज्म को सक्रिय रखते हैं. यही कारण है कि इसे नेचुरल डाइजेस्टिव बूस्टर कहा जाता है. इसके अचार का नियमित सेवन करने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और यह गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडक भी देता है. बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह एक हेल्दी विकल्प हो सकता है क्योंकि इसमें कोई कृत्रिम प्रिजर्वेटिव नहीं होता. इसे ठंडी जगह पर रखा यह अचार लगभग 3 महीने तक खराब नहीं होता. देसी खाने का शौक रखने वाले परिवारों में काचरी का अचार रोजमर्रा के भोजन का हिस्सा बन गया है.
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