कोडरमा. सर्दियों में बाजारों में जगह-जगह मिलने वाले तिल से बने तिलकुट और लड्डू को लोग खूब पसंद करते हैं. मुख्य रूप से मकर संक्रांति के दिन तिलकुट, चूड़ा, गुड़ खाने की परंपरा है. हालांकि तिलकुट और तिल के लड्डू सर्दियों के दौरान बाजार में उपलब्ध होने के बाद से ही लोग इसका सेवन शुरू कर देते हैं. सर्दियों में सेहत के दृष्टिकोण से तिल से बनें उत्पाद सेहत के लिए काफी फायदेमंद माने जाते हैं. तिल में कई पोषक तत्व होते हैं जो सर्दियों में शरीर को गर्माहट प्रदान करती है.
गया के कारीगर बना रहे तिलकुट
झारखंड-बिहार में जब भी तिलकुट की बात सामने आती है. तो बिहार के गया का जिक्र जरूर होता है. गया में बनने वाले तिलकुट की काफी डिमांड रहती है. यदि आप भी गया में तैयार होने वाले सोंधी खुशबू और खस्ता तिलकुट के शौकीन है तो आपकी यह शौक अब कोडरमा में ही पूरी होगी. शहर के कला मंदिर के समीप स्थित अमर तिलकुट भंडार के द्वारा गया के कुशल कारीगरों को बुलाकर तिलकुट तैयार करवाया जा रहा है.
इस बार क्या है कीमत
अजीत गुप्ता ने Bharat.one को बताया कि महंगाई का असर तिलकुट पर भी दिख रहा है. तिल और गुड़ की कीमतों में उछाल एवं कारीगरों की मजदूरी में बढ़ोत्तरी का असर तिलकुट के रेट पर भी पड़ा है. इस वर्ष चीनी से बना तिलकुट 260 रुपए किलो, गुड़ से बना तिलकुट 280 रुपए किलो, फूल खस्ता तिलकुट 300 रुपए किलो और खोवा से बना तिलकुट 400 रुपए किलो बिक रहा है.
गया से आते हैं तिल और गुड़
अजीत गुप्ता ने बताया कि कोडरमा के लोगों को भी गया के मशहूर तिलकुट का सोंधा स्वाद मिले इसकों लेकर यह तैयारी की गई है. उन्होंने बताया कि तिलकुट में प्रयोग होने वाले तिल और गुड़ भी गया से ही मंगाया जा रहा है. ताकि गया के तिलकुट का पारंपरिक स्वाद यहां के लोगों को मिले. यहां तैयार होने वाले तिलकुट की आपूर्ति सीमावर्ती जिला गिरिडीह, हजारीबाग के साथ बरही एवं कोडरमा प्रखंड के कई इलाकों में होती है.
ऐसे बनता है खस्ता तिलकुट
अजीत ने बताया कि तिलकुट तैयार करने के लिए सबसे पहले चीनी और पानी को कड़ाही में खौलाया जाता है. इसके बाद इसका घानी तैयार किया जाता है. घानी तैयार होने के बाद चीनी के घोल को चिकने पत्थर पर फैलाया जाता है. इसके ठंडा होने के बाद इसे पट्टी पर चढ़ाने के बाद इसे तिल के साथ गरम कड़ाही में भूना जाता है, भुनने के बाद छोटे छोटे लोई बनाकर इसे हाथों से कूटा जाता है. तिलकुट कूटने के बाद उसे सूखने के लिए रखा जाता है ताकि वह खस्ता बन सके.
FIRST PUBLISHED : December 28, 2024, 08:51 IST
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