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Makar Sankranti 2025: गिरिडीह में मकर संक्रांति पर है अलग परंपरा, लोग तिलकुट के साथ खाते हैं राजस्थानी मिठाई 


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Makar Sankranti 2025: गिरिडीह में मकर संक्रांति के दौरान तिलकुट और घेवर का अनोखा संगम यहां के त्योहार को खास बनाता है. यह मिठाई न केवल स्वाद में अद्भुत है, बल्कि ठंड के मौसम में इसे खाने का अपना अलग ही मजा है. अगर आप…और पढ़ें

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राजस्थानी

राजस्थानी मिठाई घेवर

गिरिडीह: मकर संक्रांति पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन तिलकुट, दही-चूड़ा, और गुड़ जैसी पारंपरिक चीजों का विशेष महत्व होता है. लेकिन झारखंड के गिरिडीह में मकर संक्रांति की एक अनोखी परंपरा है. यहां के लोग तिलकुट के साथ राजस्थानी मिठाई घेवर का लुत्फ उठाते हैं. यह परंपरा गिरिडीह में लंबे समय से चली आ रही है और इसे लेकर स्थानीय लोगों में खासा उत्साह देखा जाता है.

मकर संक्रांति और घेवर की परंपरा
गिरिडीह में मकर संक्रांति पर तिलकुट और दही-चूड़ा के साथ घेवर खाने की परंपरा काफी पुरानी है. घेवर, जो आमतौर पर राजस्थानी मिठाई के रूप में जाना जाता है, ठंड के मौसम में गिरिडीह के बाजारों में विशेष रूप से उपलब्ध होता है. यह मिठाई अपने मीठे और लाजवाब स्वाद के लिए मशहूर है.

घेवर के शौकीन लोगों के लिए यह मिठाई सर्दियों के दिनों में एक खास उपहार होती है. ठंड के दौरान यह मिठाई लगभग 15 दिनों तक अच्छी स्थिति में रह सकती है, बशर्ते इसमें चीनी का रस न मिलाया गया हो.

घेवर बनाने की प्रक्रिया
घेवर को बनाने की प्रक्रिया बहुत ही खास होती है. इसे मैदा और पानी के मिश्रण से तैयार किया जाता है.

सबसे पहले मैदा का घोल तैयार किया जाता है.
फिर इस घोल को गरम रिफाइंड तेल में डालकर तला जाता है.
तले जाने के बाद इसे चीनी की चाशनी या ड्राई फ्रूट्स से सजाया जाता है.
गिरिडीह के घेवर विक्रेताओं का कहना है कि ठंड के मौसम में इस मिठाई को खासतौर पर तैयार किया जाता है और इसकी ताजगी और स्वाद को बनाए रखने के लिए इसे पारंपरिक तरीके से बनाया जाता है.

गिरिडीह में घेवर की डिमांड
गिरिडीह के स्थानीय दुकानदार, जैसे कि श्री कन्हैया घेवर वाला दुकान के मालिक राजेश कुमार शाहा, 20 सालों से यह मिठाई बेच रहे हैं. उनका कहना है कि मकर संक्रांति पर घेवर की डिमांड काफी बढ़ जाती है.

उन्होंने Bharat.one से बातचीत में बताया कि गिरिडीह में मकर संक्रांति पर तिलकुट के साथ घेवर खाने की परंपरा है. इस मिठाई को बनाने और बेचने की तैयारी में हम पूरी तरह से लगे हुए हैं. घेवर यहां 30 रुपये प्रति पीस और 350 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है. साथ ही, ड्राई फ्रूट वाले घेवर की भी काफी डिमांड है.

मिठाई की दुकानें और समय
राजेश कुमार शाहा ने बताया कि उनकी दुकान सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक खुली रहती है. इस दौरान घेवर के शौकीन लोग बड़ी संख्या में उनकी दुकान पर आते हैं.

घेवर और तिलकुट का अनोखा मेल
गिरिडीह में तिलकुट के साथ घेवर खाने की परंपरा यहां की सांस्कृतिक और खाद्य विविधता को दर्शाती है. यह अनोखा मेल न केवल लोगों को मकर संक्रांति का आनंद लेने का मौका देता है, बल्कि राजस्थानी मिठाई घेवर को एक खास पहचान भी प्रदान करता है.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-makar-sankranti-2025-giridih-people-eat-ghevar-with-tilkut-know-unique-tradition-local18-8952189.html

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