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Mumbai Famous Vada Pav History: मुंबई का वड़ापाव: मजदूरों के लिए बनने वाली डिश कैसे बन गई पूरे शहर की जान? दिलचस्प है अनसुनी कहानी


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Mumbai Famous Vada Pav History: वड़ापाव पूरे भारत में बहुत पसंद किया जाता है. लेकिन इसकी शुरुआत कैसे हुई थी? आप भी पढ़ें दिलचस्प कहानी.

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इस तरह हुई थी मुंबई में वड़ापाव की शुरुआत, आलू की सब्ज़ी बचने से बना था पहला वड़ापाव.

हाइलाइट्स

  • मुंबई में वड़ापाव की शुरुआत 1960-70 के दशक में हुई.
  • अशोक वैद्य ने दादर स्टेशन के पास वड़ापाव स्टॉल शुरू किया.
  • वड़ापाव अब पूरे भारत में लोकप्रिय स्ट्रीट फूड है.

Mumbai Famous Vada Pav History: मुंबई को आधे लोग वड़ापाव से जोड़ कर देखते हैं. बच्चों से लेकर बड़े तक, हर कोई वड़ापाव खाना पसंद करता है. भाग दौड़ वाली जिंदगी में यही एक खाना है जो मुंबई के लोगों को चलते फिरते खाने में आसानी होती है. मुंबई में वड़ा पाव की शुरुआत 1960-70 के दशक में अशोक वैद्य ने दादर स्टेशन के पास एक स्टॉल लगाकर की थी, जो आज मुंबई की पहचान बन गया है.

वड़ा पाव अब सिर्फ मुंबई का ही लोकप्रिय स्ट्रीट फूड नहीं है. गुजरात से लेकर दिल्ली तक की सड़कों पर वड़ा पाव का मजा लेते हुए लोग दिखते हैं.

कैसे हुई थी वड़ापाव की शुरुआत?
भले ही वड़ापाव को लोग आज शौक से खाते हैं, पर इसकी शुरुआत एक मजबूरी और पैसे कमी से जुड़ी है. जब मुंबई में पहली बार इसकी शुरुआत हुई थी तब सिर्फ वड़ा खाया जाता था. कई लोग इसे रोटी कि साथ या फिर ऐसे ही खाते थे. उस समय मुंबई में मिल वर्कर्स बहुत बड़ी संख्या में रहते थे. कम पैसे होने के कारण वड़ा को पाव के साथ खाना एक अच्छा विकल्प लगा पेट भरने के लिए और पैसे बचाने के लिए. इस वड़ा पाव की शुरुआत 1978 में 25 पैसे से हुई थी, आज मुंबई में एक वड़ापाव की कीमत कुछ इलाको में 15 रुपए तो किसी इलाके में 20 रुपए है.

खाने के लिए लगती है लाइन
1939 में शुरू हुआ यह छोटा-सा खाने का स्थान श्रीरंग तांबे ने खोला था, जिन्होंने पहले बंद हो चुके ब्रिटिश बीयर बार में दूध के उत्पाद बेचने शुरू किए थे. आज यह अभी भी आराम मिल्क बार के नाम से जाना जाता है, लेकिन महाराष्ट्रीयन नाश्ते जैसे कि साबूदाना वड़ा, दही मिसल, उपमा, कांदे पोहे, थाली पीट, जूंका भाकरी, कोथम्बीर वड़ी और सबसे ज्यादा बिकने वाली चीज – सफेद वड़ा के लिए प्रसिद्ध है. वड़े में हल्दी नहीं मिलाते. महाराष्ट्र में यह एकमात्र दुकान है जहां वड़ा हल्दी के बिना बनाया जाता है. देखा जाए तो मुंबई में वड़ापाव की 2 ही ऐसी दुकान है, जहां वड़ापाव खाने के लिए लोग लाइन में लगते है. पहली दुकान अशोक वड़ापाव और दूसरा आराम वड़ापाव. यहां सुबह से लेकर शाम तक लाइन लगी रहती है.

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इस तरह बना था मुंबई का पहला वड़ापाव
जब पहली बार अशोक वैद्य ने वड़ा बनाया था, तब उन्हें भी नहीं पता था कि एक दिन यह इतना मशहूर हो जाएगा कि लोग सुबह के नाश्ते में दोपहर के खाने में और रात के समय भी इसे खा कर अपना गुजारा करना पसंद करेंगे. उस समय वो रोटी और सब्जी के स्टाल लगाए करते थे, लेकिन एक दिन आलू की सब्जी बच जाने कारण उन्होंने उसे बेसन में लपेट ने के बाद तल कर बेच देना सही समझा. लोगो को यह आइटम इतना पसंद आया कि तब से अब तक मुंबईकरों के दिल पर इस वड़ापाव का राज है.

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मुंबई का वड़ापाव: मजदूरों के लिए बनने वाली डिश कैसे बन गई पूरे शहर की जान?


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