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National Fruitcake Day: इस केक को खाना था गुनाह, मक्खन डालने के लिए भी लेनी पड़ी परमिशन, जानें इसके द‍िलचस्‍प क‍िस्‍से


दिसंबर में फ्रूटकेक की बिक्री बढ़ जाती है लेकिन पूरे साल यह केक किसी घर में बर्थडे के मौके पर, वेडिंग केक के रूप में, मेहमानों के आने पर या ऑफिस में चाय के साथ सर्व करते हुए जरूर दिख जाता है. फ्रूटकेक में फलों के साथ ही खूब सारे ड्राई फ्रूट्स डाले जाते हैं जिससे इसका स्वाद बाकी केक से बहुत अलग लगता है. भारत में पिकनिक या घूमने के दौरान अक्सर लोग चिप्स के साथ फ्रूटकेक ही पैक करते हैं. यह एक बहुत पुरानी डेजर्ट यानी मिठाई है जो हमारे देश में ब्रिटिश हुकूमत के जरिए पहुंची. 27 दिसंबर का दिन National Fruitcake Day के तौर पर मनाया जाता है.

प्राचीन रोम में सैनिक खाते थे फ्रूटकेक
फ्रूटकेक का इतिहास प्राचीन रोम से जुड़ा हुआ है. यहां सैनिकों को राजा के साथ लंबी-लंबी दूरी पैदल चलकर तय करनी होती थी. उन्हें चलने की ताकत मिले इसके लिए वह अपने साथ फ्रूटकेक रखते थे. यह केक जौ, अनार के बीज, नट्स, किशमिश और शहद से बनी वाइन से बनता था. प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर यह केक सैनिकों को हमेशा एनर्जी देता था.

प्राचीन मिस्र में पिरामिड में रखते थे यह केक
फ्रूटकेक की शेल्फ लाइफ लंबी होती है यानी यह जल्दी खराब नहीं होते. प्राचीन मिस्र के लोग इस केक को मम्मी के पास पिरामिड में रखते थे ताकि वह इसे खाएं और उनके पूर्वजों से रिश्ते मिठास से भरे रहें. दरअसल वहां के लोगों का मानना था कि जिंदगी के बाद भी उनके पूर्वज वह हर चीज प्रयोग करते हैं जो वह जीते-जी करते रहे हैं. इसलिए पिरामिड में मम्मी के आसपास उनकी जरूरतों का सामान रखा जाता था.

न्यूजीलैंड में फ्रूटकेक शादी के दिन काटा जाता है (Image-Canva)

पोप से लेनी पड़ी थी मक्खन डालने की अनुमति
1490 तक फ्रूटकेक बिना मक्खन के बनता था. यूरोप में मक्खन इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी. दरअसल डेयरी से बनी हर चीज को कामुकता से जोड़ा जाता था और इसे खाना अच्छा नहीं समझा जाता था. यह चर्च के नियम थे. इसी साल पोप इनोसेंट VIII ने लिखित में ‘बटरलेटर’ लिखा और फ्रूटकेक में मक्खन मिलाने की इजाजत दी. इसके बाद इसमें दूध भी डलने लगा. 16वीं शताब्दी में फ्रूटकेक यूरोप से अमेरिका पहुंचा. यहां इसमें टूटी फ्रूटी मिलाई गई और महंगे फ्रूटकेक को आम लोगों के बीच सस्ते दाम पर बेचना शुरू किया.

जल्दी खराब नहीं होता फ्रूटकेक
17वीं शताब्दी में इंग्लिश फ्रूटकेक में रम और सूखे फल मिलाए गए. इससे इसकी शेल्फ लाइफ लंबी हो गई. 2017 में अंटार्कटिक हेरिटेज ट्रस्ट को पूर्व अंटार्कटिका से 106 साल पुराना फ्रूटकेक मिला. पुरातत्वविदों ने इसे खाने लायक बताया. उनके अनुसार केक में अच्छी मात्रा में अल्कोहल मिलाई गई थी जिससे वह खराब नहीं हुआ. वहीं, पहले स्पेस मिशन पर भी फ्रूटकेक को ही अंतरिक्ष यात्रियों के साथ भेजा गया था. यह उनके लिए स्नैक्स की तरह था. दरअसल फ्रूटकेक का तापमान पर असर नहीं पड़ता. यह जल्दी खराब नहीं होता इसलिए इसे फ्रीज में डीप कूलिंग की भी जरूरत नहीं पड़ती.

आज के जमाने का फ्रूटकेक ब्रिटेन जैसा
बाजार में आज जिस तरह के फ्रूटकेक बिक रहे हैं, वह क्वीन विक्टोरिया के युग के हैं. ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया की शादी का केक खूब सारे फलों से बना था. आज के जमाने में केक उसी रंग-रूप का दिखता है. एक जमाना था जब ब्रिटेन में प्लम पुडिंग को फ्रूटकेक समझा जाता था लेकिन इंग्लिश सिविल वॉर के दौरान इसे खाना गैर कानूनी समझा जाता था. दरअसल इसे धर्म के विरूद्ध माना गया था. लेकिन 1660 में जब किंग चार्ल्स द्वितीय ने गद्दी संभाली तो इस कानून को रद्द कर दिया. 

ब्रिटिश लिटरेचर के अनुसार प्लम पुडिंग को फ्रूटकेक कहा जाता था (Image-Canva)

चीनी से बनने लगीं कैंडी
‘The History of a Fruitcake’ नाम की किताब के अनुसार 16वीं शताब्दी के बाद फ्रूटकेक लोगों के बीच मशहूर होने लगे. 1500 में यूरोप में अमेरिका, अफ्रीका और एशिया से चिनी आने लगी. इससे फलों को चीनी में लपेटकर उनकी कैंडी बनने लगी और इन कैंडी को फ्रूट की जगह केक में डालना शुरू किया गया. इसमें आर्टिफिशल कलर और फ्लेवर भी डलने लगे. अमेरिका के मशहूर रेस्टोरेंट क्रिटिक्स रॉबर्ट सिएत्सेमा ने अपने एक आर्टिकल “A Short History of Fruitcake” में इसे ‘the fruitcake plague’ कहा. उनके अनुसार इसमें चीनी डलने से फ्रूटकेक का यूनीक टेस्ट खत्म हो गया.

फ्रूट ब्रेड और फ्रूटकेक दोनों अलग
कुछ लोग फ्रूट ब्रेड और फ्रूटकेक दोनों को एक ही मानते हैं. इन दोनों में ही फल, ड्राई फ्रूट्स, स्वीटनर, अल्कोहल सभी इंग्रीडिएंट एक जैसे होते हैं. लेकिन फ्रूटकेक ज्यादा हैवी होता है. इसमें ड्राई फ्रूट और अल्कोहल की मात्रा ज्यादा होती है. इसमें मीठा भी ज्यादा होता  है. वहीं फ्रूट ब्रेड हल्की होती है और इसमें टूटी फ्रूटी ज्यादा डाली जाती है. यह केक के मुकाबले कम मीठी होती है. इसमें अल्कोहल भी बहुत कम होती है. भारत में जो फ्रूट ब्रेड बनती है, उसमें अल्कोहल नहीं डाली जाती. यह दोनों वैसे तो कभी भी खाए जा सकते हैं लेकिन फ्रूट ब्रेड को स्नैक्स के तौर पर और फ्रूटकेक को किसी खास मौके पर ही खाना पसंद किया जाता है.    

शुगर फ्री फ्रूटकेक का भी विकल्प
डायटीशियन ममता रावत कहती हैं कि जो लोग अपनी फिटनेस पर ध्यान देते हैं या डायबिटीज के मरीज हैं तो वह घर में या बेकरी से अपने हिसाब से शुगर फ्री फ्रूटकेक बनवा सकते हैं. केक के बेस को कुटकी, रागी या ब्लैक राइस से तैयार किया जा सकता है. यह ग्लूटन फ्री होता है और इससे ब्लड शुगर भी नहीं बढ़ती. केक में चीनी की जगह शुगर अल्कोहल मिलाया जा सकता है. यह शराब की जगह फलों से बनती है. केक को मीठा करने के लिए शहद या सेब का इस्तेमाल किया जा सकता है.  


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-national-fruitcake-day-special-interesting-story-of-fruit-cake-why-is-it-different-from-fruit-bread-8921402.html

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