नवरात्र के व्रत के दौरान केवल सात्विक भोजन की अनुमति है, जबकि प्याज और लहसुन वर्जित हैं. सात्विक भोजन मूलतः शाकाहारी होते हैं जो केवल पौष्टिक, जैविक, पौधों पर आधारित और डेयरी उत्पादों से तैयार किए जाते हैं. सात्विक भोजन में केवल फल, मेवे, सब्जियां, बीज, दूध, फलियां और अन्य प्राकृतिक रूप से प्राप्त खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं. आयुर्वेद विशेषज्ञों का मानना है कि सात्विक भोजन बीमारियों से बचाता है, इसे पचाना आसान होता है. नवरात्र के दौरान पूजा-पाठ करने वाले कोई भी प्रोसेस्ड फूड नहीं खा सकते. प्रोसेस्ड फूड जीवित और ताजा खाद्य पदार्थ नहीं होते. इन नौ दिनों में किसी भी प्रकार के पशु मांस का पूर्णतः निषेध होता है.
सात्विक,राजसिक और तामसिक
आयुर्वेद खाद्य पदार्थों को तीन अलग-अलग गुणों में वर्गीकृत करता है – सत्व या सात्विक, राजस या राजसिक और तामस या तामसिक. सात्विक का अर्थ है शुद्ध यानी प्राकृतिक, प्राणवान, स्वच्छ, ऊर्जावान और चेतन. जबकि राजसिक और तामसिक का अर्थ है अपरिपक्व, दुर्बल, क्रोधी और विनाशकारी. नवरात्रि के दौरान प्याज और लहसुन जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए क्योंकि इन्हें तामसिक माना जाता है. यानी ये शरीर में कामुक ऊर्जा का संचार करते हैं.
आयुर्वेद के जानकारों का मानना है कि प्याज और लहसुन इच्छाओं और प्राथमिकताओं के बीच अंतर करना मुश्किल बना देते हैं. लहसुन को रजोगिनी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह व्यक्ति को अपनी प्रवृत्ति पर नियंत्रण खोने पर मजबूर करता है, जबकि प्याज शरीर में गर्मी पैदा करता है. नवरात्र उत्सव के नौ दिन ऐसे समय होते हैं जब भक्तों को सांसारिक सुखों का त्याग करके एक शुद्ध और सादा जीवन अपनाना चाहिए. लेकिन माना जाता है कि इन त्योहारों के दौरान राजसिक और तामसिक भोजन खाने से ध्यान भटकता है. इसलिए नवरात्र के भोजन में प्याज और लहसुन का सेवन वर्जित है.
व्रत में कुछ सब्जियां खाना मना होता है, जिनमें कई तरह की फलियां जैसे कि सेम, छोले, और मटर शामिल हैं. इनके अलावा, टमाटर, बैंगन, फूल गोभी, ब्रोकली, और पत्तेदार साग जैसी सब्जियां भी उपवास के दौरान नहीं खाई जाती हैं. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण हो सकते हैं, क्योंकि व्रत में ऐसी सब्जियों को प्राथमिकता दी जाती है जो आसानी से पच जाएं और पर्याप्त ऊर्जा दें. इसलिए, व्रत के समय आमतौर पर जड़ वाली सब्जियां खाई जाती हैं.

व्रत के दौरान मटर नहीं खायी जाती.
मटर भी नहीं खायी जाती
व्रत के दौरान मटर नहीं खायी जाती, क्योंकि इन्हें अनाज और सब्जी दोनों की श्रेणी में रखा जाता है. उपवास के समय फलियां और दालें, जैसे कि बीन्स और छोले खाने से परहेज किया जाता है. वैसे तो मटर को आमतौर पर लोग सब्जी मानते हैं, लेकिन कई वनस्पति वैज्ञानिक इसे फल भी कहते हैं. उनकी परिभाषा के अनुसार मटर की फली एक ऐसा फल है जो पौधे के बीजों को घेरे रहता है, जिनका उपयोग प्रजनन के लिए होता है. यही वजह है कि व्रत में मटर से भी परहेज किया जाता है.

बैंगन को अशुद्ध माना गया है.
व्रत में बैंगन खाना भी मना है, क्योंकि इसे तामसिक भोजन माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, बैंगन को अशुद्ध माना गया है क्योंकि इसमें अक्सर छोटे-छोटे कीड़े होते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं. इसके अलावा बैंगन में ऑक्सेलेट नामक तत्व पाया जाता है जो शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को कम कर देता है. इस कारण हड्डियों को भी नुकसान हो सकता है.

मशरूम अशुद्ध खाद्य की श्रेणी में है.
मशरूम को माना जाता है अशुद्ध
शास्त्रों के अनुसार व्रत में मशरूम खाना भी मना है, क्योंकि इसे अशुद्ध माना गया है. व्रत के दौरान पवित्रता बनाए रखना जरूरी होता है और मशरूम को अशुद्ध खाद्य की श्रेणी में रखा गया है. इसके अलावा मशरूम एक तरह का कवक है, जिसे खाने से कई लोगों को पाचन से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं, जैसे कि दस्त, पेट दर्द या उल्टी. चूंकि व्रत में पाचन तंत्र पहले से ही कमजोर होता है इसलिए इसे खाने से परेशानी बढ़ सकती है.
इन सब्जियों को खाना भी मना
व्रत के दौरान भिंडी, तोरई और बींस भी नहीं खानी चाहिए. इसके अलावा, पालक जैसी पत्तेदार सब्जियां भी वर्जित होती हैं. नवरात्र के व्रत में सभी तरह की सब्जियां नहीं खायी जातीं. इस दौरान लोग आमतौर पर समा के चावल, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, कुट्टू का आटा, फल और कुछ चुनिंदा सब्जियों का सेवन करते हैं. अक्सर लोग इस बात को लेकर असमंजस में रहते हैं कि व्रत में कौन-कौन सी सब्जियां खानी चाहिए.
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