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Sitamarhi News:सीतामढ़ी की महिलाएं चरौरी और तीसी की तिलौरी बनाकर छतों पर सुखाती हैं, मीनाक्षी देवी के अनुसार लाल मिर्च से बुरी नजर बचती है, यह परंपरा आज भी जीवित है.

सीतामढ़ी की महिलाएं परंपरागत व्यंजनों की तैयारी में खास ध्यान देती हैं. आटे की रंग-बिरंगी चरौरी और तीसी की तिलौरी बनाने का चलन आज भी कायम है. यहां त्योहारों से पहले घर की छतों पर ये पकवान सूखते नजर आते हैं.

गृहणी मीनाक्षी देवी बताती हैं कि चरौरी और तिलौरी सुखाने की प्रक्रिया उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी बनाने की कला. धूप में सुखाने से इनका स्वाद और कुरकुरापन लंबे समय तक बरकरार रहता है. महिलाएं इसमें बड़ी मेहनत लगाती हैं.

इन व्यंजनों पर नजर न लगे, इसके लिए महिलाएं खास उपाय करती हैं. मीनाक्षी कहती हैं कि सुखाते समय हम पास में सूखी लाल मिर्च रख देते हैं. यह हमारी दादी-नानी से सीखी परंपरा है जो आज भी जारी है.

मिर्च लगाने की यह परंपरा केवल अंधविश्वास नहीं, बल्कि सामाजिक विश्वास का हिस्सा है. ग्रामीण इलाकों में माना जाता है कि इससे बुरी नजर दूर रहती है और पकवान सुरक्षित रहते हैं. महिलाएं इसे बेहद जरूरी मानती हैं.

छतों पर फैली चरौरी और तिलौरी रंग-बिरंगी तस्वीर जैसी दिखाई देती हैं. महिलाएं धूप के साथ-साथ मौसम का भी ध्यान रखती हैं. ताकि नमी से स्वाद खराब न हो. यह दृश्य हर घर की पहचान बन जाता है.

महिलाएं कहती हैं कि इस परंपरा से महिलाओं की रचनात्मकता और घरेलू संस्कृति झलकती है. पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही यह विधि अब भी परिवारों में उत्साह और अपनापन जगाती है. यही ग्रामीण जीवन की असली खूबसूरती है.
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