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Recipe: यदि बार-बार एक ही तरह की मिठाई खाकर बोर हो गए हैं तो चावल और गुड़ से बनने वाली एक खास मिठाई ट्राई कर सकते हैं. इसे आसानी से घर पर तैयार की जा सकती है. लोग इसे अपने रिस्तेदारों को विदेशों तक ये मिठाई भेजते हैं. ये महीनाभर तक खराब नहीं होती है.
पलामूः भारत में हर त्योहार अपने साथ स्वाद और परंपरा की मिठास लेकर आता है. दिवाली का त्योहार तो मानो मिठाइयों का उत्सव ही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि झारखंड और बिहार की सीमा पर स्थित अम्बा गांव की एक खास मिठाई ने देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बनाई है? इसे स्थानीय लोग ‘झरुआ लड्डू’ या ‘अम्बा के लड्डू’ के नाम से जानते हैं.
अम्बा के लड्डू का स्वाद पिछले चार दशकों से लोगों को दीवाना बना रहा है. सड़क से गुजरने वाला कोई भी मुसाफिर बिना यहां रुके आगे नहीं बढ़ता. मिठाई विक्रेता राकेश कुमार बताते हैं कि उनके परिवार की यह परंपरा 40 साल पुरानी है. उनके पिता ने इस मिठाई की शुरुआत की थी और अब वह इसकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.
महीने भर तक ताज़ा रहने वाला लड्डू
झरुआ लड्डू की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह लंबे समय तक खराब नहीं होता. सामान्य मिठाइयां जहां दो-तीन दिनों में नमी पकड़ लेती हैं, वहीं यह लड्डू एक महीने तक भी ताजा रहता है. यही वजह है कि अम्बा से लोग इसे अपने रिश्तेदारों को विदेश तक भेजते हैं.
चावल और बेसन से तैयार होता है खास मिश्रण
इस मिठाई को बनाने की प्रक्रिया भी अनोखी है. राकेश बताते हैं, “सबसे पहले चावल को पीसकर बारीक पाउडर बनाया जाता है. फिर इससे बूंदी तैयार की जाती है. गुड़ को पिघलाकर उसका पाग तैयार किया जाता है, जिसमें सौंफ, नारियल और काजू मिलाए जाते हैं. उसके बाद इन सभी को मिलाकर हाथों से लड्डू का आकार दिया जाता है.” एक बार में करीब 25 से 30 किलो लड्डू तैयार किए जाते हैं, और पूरी प्रक्रिया में लगभग ढाई घंटे का समय लगता है.
कीमत भले बढ़ी, स्वाद वही पुराना
शुरुआत में यह लड्डू 30 रुपये किलो बिकता था, लेकिन आज इसकी कीमत 100 से 120 रुपये किलो तक पहुंच चुकी है. इसके बावजूद लोगों की भीड़ पहले जैसी ही रहती है. दिवाली, शादी या कोई भी पर्व अम्बा का लड्डू हर मौके को मीठा बना देता है.
अम्बा के लड्डू: मिठास में बसी पहचान
आज “अम्बा के लड्डू” न सिर्फ बिहार-झारखंड के लोगों का गर्व हैं, बल्कि पूरे देश में अपनी पहचान बना चुके हैं. दिवाली पर जब घरों में दीये जलते हैं, तो इन लड्डुओं की खुशबू उस मिठास को और बढ़ा देती है. एक कौर लेते ही हर कोई कह उठता है — वाह! यही तो असली देसी स्वाद है.

मीडिया में 6 साल का अनुभव है. करियर की शुरुआत ETV Bharat (बिहार) से बतौर कंटेंट एडिटर की थी, जहां 3 साल तक काम किया. पिछले 3 सालों से Network 18 के साथ हूं. यहां बिहार और झारखंड से जुड़ी खबरें पब्लिश करता हूं.
मीडिया में 6 साल का अनुभव है. करियर की शुरुआत ETV Bharat (बिहार) से बतौर कंटेंट एडिटर की थी, जहां 3 साल तक काम किया. पिछले 3 सालों से Network 18 के साथ हूं. यहां बिहार और झारखंड से जुड़ी खबरें पब्लिश करता हूं.
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-how-to-make-chawal-gur-laddu-at-home-traditional-sweets-local18-ws-kl-9746497.html