Last Updated:
Recipe: मिथिला क्षेत्र में तरुआ (पकौड़ा) केवल एक व्यंजन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान और स्नेह का प्रतीक है. खुशी के मौके हों, घर पर मेहमान आएं या कोई विशेष आयोजन, तरुआ यहां के खान-पान का एक अभिन्न अंग है. मिथिला के लोग पकौड़ों के इतने शौकीन होते हैं कि यहां आपको तिलकोर, खम्हाउर, चुना पत्थर, तग्गर फूल, कुमदूनी फूल और कदीमा फूल जैसे अनोखे प्रकार के तरुआ खाने को मिलेंगे, जो शायद ही कहीं और मिलते हों.

तिलकोर का तरुआ मैथिली व्यंजनों की जान है। इसका ज़बरदस्त स्वाद ऐसा है कि सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है. यह पकौड़ा करेले की पत्ती जैसे दिखने वाले हरे पत्तों को चावल के पीसे हुए घोल में डुबोकर तला जाता है. पौराणिक रूप से इसका ज़िक्र भगवान राम के विवाह के समय भी मिलता है, जो इसकी महत्ता दर्शाता है.

तग्गर फूल का तरुआ मिथिला की सांस्कृतिक विरासत और पहचान को दर्शाने वाला एक अद्वितीय व्यंजन है. पूजा के अलावा इसके पकौड़े भी बनाए जाते हैं. इसे स्वादिष्ट और कुरकुरा बनाने के लिए बेसन के बजाय चावल के पीसे हुए घोल (पीठार) का उपयोग पारंपरिक रूप से किया जाता है.

खम्हाउर तरुआ मिथिला का एक पारंपरिक और स्वादिष्ट व्यंजन है, जो विशेष अवसरों पर परोसा जाता है. यह मिट्टी के काफी अंदर से खोदकर निकाला जाता है. इसे मसालों के साथ तलकर खाया जाता है. हाल ही में राज्यपाल के स्वागत में भी इसे परोसा गया था, जो मिथिला की संस्कृति में इसके महत्व को दर्शाता है.

कुमदूनी फूल तरुआ एक पारंपरिक मिथिला व्यंजन है, जो सफेद और कांटेदार पौधे के फूल से बनता है। यह व्यंजन अपने अनोखे स्वाद और पौष्टिक गुणों (विटामिन और मिनरल्स) के लिए जाना जाता है. इस फूल को देवताओं पर चढ़ाने के साथ ही, इसे बेसन/चावल के घोल में डुबोकर स्वादिष्ट पकौड़े के रूप में भी खाया जाता है.

कदीमा फूल का तरुआ (जिसे टिंडे/सीताफल का फूल भी कहते हैं) मिथिला की पारंपरिक विरासत और स्थानीय पहचान का प्रतीक है. इस स्वादिष्ट पकौड़े को बनाने के लिए कदीमा के फूल को चावल के आटे के घोल में डुबोकर तला जाता है, जिससे इसका स्वाद काफी बढ़ जाता है.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/photogallery/lifestyle/recipe-mithila-people-like-pakodas-of-many-flower-and-leaf-local18-ws-l-9699673.html