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प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय के अनुसार, यह पूड़ी प्राचीन काल से बनती आ रही है. बिना इस पूड़ी के कोई बड़ा कार्यक्रम, जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, तिलकोत्सव और ब्रह्म भोज आदि, पूरा नहीं होता. इसका स्वाद लाजवाब होता है और यह काफी दिनों तक खराब नहीं होती.
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