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Variations in Chhath Puja Dishes across Bihar UP and Jharkhand । छठ पूजा 2025 के लोकप्रिय व्यंजन बिहार, यूपी, झारखंड की खास थाली


Popular Chhath Puja 2025 Dishes: छठ पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और सादगी का संगम है. बिहार से शुरू हुई यह पूजा अब उत्तर प्रदेश, झारखंड और देशभर में बड़ी श्रद्धा से मनाई जाती है. इस पर्व में सिर्फ पूजा नहीं होती, बल्कि हर घर में तैयार होने वाले पारंपरिक व्यंजन भी इसकी पहचान बन चुके हैं. छठ पूजा के प्रसाद में शुद्धता, देसी स्वाद और परंपरा का रंग साफ झलकता है. खास बात यह है कि हर राज्य में छठ के पकवानों का स्वाद और बनाने का तरीका थोड़ा अलग होता है. बिहार में जहां ठेकुआ और कसर के लड्डू पूजा की जान माने जाते हैं, वहीं झारखंड में गुड़ की खीर और नारियल लड्डू की खुशबू पूरे माहौल को भक्ति से भर देती है. उत्तर प्रदेश की छठ थाली में सत्तू, चना दाल पुरी और मौसमी फल का भी अपना अलग महत्व है. आइए जानते हैं कि बिहार, यूपी और झारखंड की छठ थाली में क्या खास होता है.

बिहार के छठ प्रसाद की पहचान
बिहार में छठ पूजा का मतलब ही है स्वाद और परंपरा का संगम. यहां ठेकुआ सबसे जरूरी प्रसाद माना जाता है, जो गेहूं के आटे, गुड़ और देसी घी से बनाया जाता है. इसे लकड़ी के सांचे से सजाकर धीमी आंच पर तला जाता है, जिससे इसकी खुशबू पूरे घर में फैल जाती है. इसके अलावा कसर के लड्डू, रसीया खीर और भुना चना भी पूजा में बनाए जाते हैं. गांवों में आज भी मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी की आंच में ये पकवान तैयार किए जाते हैं, जो इनके स्वाद को और भी देसी बना देते हैं.

यूपी की छठ थाली का देसी स्वाद
उत्तर प्रदेश में छठ पूजा के प्रसाद में सादगी और भक्ति दोनों का संगम दिखता है. यहां सत्तू, चावल की खीर, चना दाल पुरी, और कद्दू की सब्जी का विशेष महत्व है. बनारस, गोरखपुर और बलिया जैसे इलाकों में लोग छठ पूजा से पहले दिन कद्दू-भात और दाल का भोजन करते हैं, जिसे नहाय-खाय कहा जाता है. पूजा के दिन प्रसाद में मौसमी फल और ठेकुआ के साथ गुड़ वाली खीर जरूर रखी जाती है. यूपी के छठ व्यंजन हल्के, पवित्र और सादगी से भरे होते हैं, जो व्रत की भावना को और गहरा करते हैं.

झारखंड का पारंपरिक स्वाद
झारखंड में छठ पूजा के व्यंजनों में लोकल टच साफ नजर आता है. यहां लोग नारियल के लड्डू, तिल और गुड़ की मिठाई, अरवा चावल, और धान की पिट्ठी का प्रसाद बनाते हैं. कुछ इलाकों में रतालू की मिठाई और कद्दू-चावल का झोल भी तैयार किया जाता है. झारखंड के लोग आज भी मिट्टी के बर्तनों में ये पकवान बनाना शुभ मानते हैं. इससे न सिर्फ स्वाद बढ़ता है बल्कि उसमें मिट्टी की खुशबू भी शामिल हो जाती है, जो पूजा की भावना को और गहराई देती है.

हर राज्य में एक ही भावना
चाहे बिहार हो, यूपी या झारखंड- हर जगह एक बात समान है, और वह है छठ पूजा की सच्ची भावना. हर व्यंजन में शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल होता है, बिना प्याज-लहसुन के और पूरे भक्ति भाव से तैयार किए जाते हैं. हर पकवान उस राज्य की संस्कृति और परंपरा की झलक दिखाता है. बिहार का ठेकुआ जहां परंपरा का प्रतीक है, वहीं यूपी का सत्तू और झारखंड का नारियल लड्डू इस पर्व को और भी विशेष बनाते हैं.

आज भी कायम है परंपरा
भले ही अब मार्केट में रेडीमेड ठेकुआ या लड्डू मिलने लगे हों, लेकिन घर पर बने प्रसाद की बात ही अलग होती है. परिवार की महिलाएं मिलकर इन्हें तैयार करती हैं, जिससे पूरे घर में भक्ति और अपनापन का माहौल बन जाता है. यही इस पर्व की असली खूबसूरती है- जहां स्वाद, श्रद्धा और संस्कृति एक साथ नजर आती है.

इस बार अगर आप छठ पूजा मना रहे हैं, तो कोशिश करें कि इन तीनों राज्यों के स्वाद को अपनी थाली में शामिल करें. ठेकुआ, गुड़ की खीर और सत्तू से बनी थाली न सिर्फ स्वादिष्ट होगी बल्कि परंपरा की मिठास से भी भरी होगी.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)


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