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ये सर्वे देश के छोटे-बड़े सभी तरह के 28 शहरों के 640 रेस्टोरेंट्स पर किया गया. जो रेस्टोरेंट्स ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं, उनका कुल मुनाफा तो बढ़ा है, लेकिन प्रति ऑर्डर मिलने वाला मार्जिन कम हुआ है. कोरोना महामारी के दौरान इन ऐप्स पर निर्भरता बहुत बढ़ गई थी, जो अब स्थिर हो गई है.
चाहे पार्टी करनी हो या फिर रात में अचानक कुछ खाने का मन करे, फूड डिलीवरी एप्स अब एक ऐसा ऑप्शन बन गई हैं कि आपका मन करते ही पसंद की चीज चंद मिनटों में सामने आ जाती है. जोमैटो और स्विगी जैसे फूड डिलीवरी ऐप्स अब हमारी लाइफस्टाइल का हिस्सा बन गए हैं. इन एप्स ने भले लोगों के लिए खाना मंगाना आसान कर दिया हो, लेकिन क्या ये ऐप्स रेस्टोरेंट मालिकों के लिए फायदे का सौदा हैं? कम से कम रेस्टोरेंट मालिकों को तो ऐसा नहीं लगता. उनका बस चले तो वो इन एप्स से आज ही छुटकारा पा लें. ये खुलासा हुआ है एक ताजा स्टडी में.
नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) की एक नई रिपोर्ट ने चौंकाने वाली तस्वीर पेश की है. स्टडी के मुताबिक, जहां ये ऐप्स रेस्टोरेंट्स को नए ग्राहक दिला रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भारी-भरकम कमीशन उनके मुनाफे को चट कर रहा है.
हर 3 में से 1 रेस्टोरेंट ऐप्स से बाहर निकलना चाहता है
NCAER की इस स्टडी में शामिल लगभग 35 प्रतिशत रेस्टोरेंट मालिकों ने कहा कि अगर उनके पास विकल्प हो, तो वे इन फूड डिलीवरी ऐप्स को तुरंत छोड़ना चाहेंगे. इसका मतलब है कि हर तीसरा रेस्टोरेंट इन प्लेटफॉर्म्स के काम करने के तरीके से खुश नहीं है. हालांकि, करीब दो-तिहाई (66%) रेस्टोरेंट्स का मानना है कि वे इन ऐप्स पर बने रहेंगे क्योंकि अब बिजनेस इनके बिना चलाना मुश्किल हो गया है.

लगातार बढ़ रहा है कमीशन का बोझ
रेस्टोरेंट्स की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह है ‘कमीशन’. रिपोर्ट बताती है कि साल 2019 में डिलीवरी ऐप्स औसतन 9.6 प्रतिशत कमीशन लेते थे, जो 2023 तक बढ़कर 24.6 प्रतिशत हो गया है. यानी हर ऑर्डर की कमाई का लगभग चौथा हिस्सा ऐप के खाते में चला जाता है. बड़े रेस्टोरेंट्स के पास तो मोलभाव करने की ताकत होती है, लेकिन छोटे आउटलेट्स को ऐप की शर्तें माननी ही पड़ती हैं, जिससे उनकी कमाई बहुत कम हो जाती है.
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/trends-why-every-1-in-3-restaurants-in-india-want-to-quit-food-delivery-apps-survey-reveals-qdps-9979025.html









