All About PCOS: महिलाओं को ओवरी से संबंधित कई परेशानियों का खतरा होता है, जिनकी बड़ी वजह खराब लाइफस्टाइल होती है. कुछ बीमारियां जेनेटिक फैक्टर्स के कारण भी हो जाती हैं. वर्तमान में बड़ी संख्या में महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) की समस्या से परेशान हैं. यह बीमारी कम उम्र की लड़कियों को भी अपना शिकार बना रही है. कई लड़कियां इस बीमारी की चपेट में आ जाती हैं, लेकिन उन्हें लक्षणों से इसकी पहचान नहीं हो पाती है. ऐसे में आज आपको बताएंगे कि इस बीमारी के कौन से लक्षण नजर आते हैं, जिन्हें पहचानकर वक्त रहते इसका इलाज कराया जा सकता है.
नई दिल्ली के फोर्टिस ला फेम हॉस्पिटल के ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. मधु गोयल ने Bharat.one को बताया कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) एक हॉर्मोनल डिसऑर्डर होता है, जिसमें हॉर्मोन की गड़बड़ी के कारण ओवरी में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं. मल्टीपल सिस्ट को पॉलिसिस्टिक ओवरीज कहा जाता है. इस बीमारी का सटीक कारण पता नहीं है, लेकिन कुछ पार्ट जेनेटिक होता है. अधिकतर मामलों में यह डिजीज खराब लाइफस्टाइल, मोटापा और वेट गेन के कारण हो सकती है. आजकल 10 से 15 प्रतिशत लड़कियां इस बीमारी की चपेट में आ रही हैं.
डॉक्टर मधु गोयल ने बताया कि PCOS के कारण महिलाओं के पीरियड्स हैवी आ सकते हैं, पीरियड्स जल्दी आ सकते हैं, पीरियड्स डिले हो सकते हैं या पीरियड्स मिस हो सकते हैं. इसे मेंस्ट्रुअल इररेगुलरिटी कहा जाता है. इससे चेहरे पर मुंहासे होने लगते हैं और चेहरे पर अनचाहे बाल आने लगते हैं. PCOS की वजह से वजन तेजी से बढ़ सकता है, लेकिन वेट लॉस बेहद मुश्किल हो जाता है. इसकी वजह से हेयरफॉल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और गर्दन की स्किन काली होने लगती है. इससे इंसुलिन रजिस्टेंस का खतरा बढ़ने लगता है. ऐसे में पीसीओएस को कंट्रोल करना बहुत जरूरी है.
हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो PCOS को वक्त रहते कंट्रोल न किया जाए, तो इससे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो सकती है. इसके अलावा पीलीसिस्टिक ओवरी डिजीज इनफर्टिलिटी की वजह बन सकती है. इससे महिलाएं प्रेग्नेंसी कंसीव नहीं कर पाती हैं. इस बीमारी का पता लगाने के लिए सबसे पहले अल्ट्रासाउंड किया जाता है, लेकिन कई मरीजों में इससे पॉलीसिस्टिक सिंड्रोम का पता नहीं लग पाता है. ऐसे में ब्लड टेस्ट, लिपिड प्रोफाइल टेस्ट और इंसुलिन रजिस्टेंस भी चेक किया जाता है. इससे पीसीओस का पता लगाने में मदद मिलती है.
डॉक्टर के अनुसार PCOS में मरीज की कंडीशन के अनुसार इलाज किया जाता है. अगर किसी को पीरियड्स से रिलेटेड दिक्कत होती है, तो कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स दे सकते हैं. अगर इंसुलिन रजिस्टेंस की वजह से प्रेग्नेंसी कंसीव नहीं हो पाती है, तो मेटफॉर्मिन दवा देनी पड़ती है. इस बीमारी के इलाज से भी ज्यादा जरूरी है कि महिलाएं अपनी लाइफस्टाइल और डाइट में सुधार करें. खाने में मैदा, फ्राइड फूड्स का सेवन बंद करें. रेगुलर एक्सरसाइज भी बेहद जरूरी है. 10 पर्सेंट बॉडी वेट कम करने से इस बीमारी में काफी सुधार आ सकता है. रेयर मामलों में ही सर्जिकल प्रोसीजर की जरूरत पड़ती है.
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FIRST PUBLISHED : September 10, 2024, 15:58 IST
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