Blood Thinners To Treat Cobra Venom: दुनियाभर में हजारों तरह के सांप पाए जाते हैं और उनके काटने से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है. सांप काटने से लोगों के शरीर में जहर फैलने लगता है और सही समय पर इलाज न मिलने से जान चली जाती है. सांप काटने पर लोगों को एंटी-वेनम दिए जाते हैं, जिससे सांप के जहर का असर कम हो. कोबरा समेत कुछ बेहद खतरनाक सांप होते हैं, जिनके काटने पर लोगों की तुरंत मौत हो सकती है. अब एक नई रिसर्च में वैज्ञानिकों ने कोबरा सांप के काटने पर इलाज का नया तरीका ढूंढ निकाला है, जो लोगों की जान बचा सकता है.
द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक एक इटंरनेशनल स्टडी में पाया गया है कि ब्लड को पतला करने वाली दवा (Blood Thinners) को कोबरा के जहर को खत्म करने यानी एंटीडोट (Antidot) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. कोबरा के काटने के लिए इस वक्त जो इलाज किया जाता है, उसमें एक इंट्रावेनस ड्रिप के जरिए लोगों को एंटीवेनम दिया जाता है. यह दवा ऊतक यानी टिश्यू के बजाय ब्लडस्ट्रीम में पहुंचती है. यही वजह है कि इस इलाज को बहुत ज्यादा असरदार नहीं माना जाता है और तमाम लोग ट्रीटमेंट के बावजूद दम तोड़ देते हैं. यह इलाज काफी महंगा भी होता है.
जर्नल ऑफ साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन में प्रकाशित स्टडी में वैज्ञानिकों ने बताया कि ब्लड को पतला करने वाली दवा हेपरिन (Heparin) शरीर में जाकर सीधे संक्रमित ऊतक (Infectious Tissues) तक पहुंच सकती है. इसका इस्तेमाल कुछ अन्य दवाओं के साथ सांप काटने के बाद मौके पर ही किया जा सकता है. इससे कोबरा के जहर के असर को कम करने में मदद मिल सकती है. शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर इस दवा को लेकर इंसानों पर किए गए ट्रायल सफल रहे, तो जल्द ही यह ट्रीटमेंट लोगों के लिए उपलब्ध हो सकता है.
इस स्टडी के लीड ऑथर और सिडनी यूनिवर्सिटी शोधकर्ता तियान डू ने कहा कि हेपरिन दवा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की एसेंशियल मेडिसिन की लिस्ट में शुमार है और इस वजह से इसके ट्रायल सफल होने के बाद इसे जल्दी ही बाजार में उतारा जा सकता है, ताकि यह कोबरा के काटने के उपचार के लिए एक सस्ती, सुरक्षित और प्रभावी दवा बन सके. हालांकि उन्होंने कहा कि फिलहला यह स्पष्ट नहीं है कि हेपरिन दवा कोबरा के जहर से होने वाले टिश्यू डैमेज को कितना कम करेगी, लेकिन उम्मीद है कि तुरंत इस दवा की सही खुराक मिल जाए, तो टिश्यू को होने वाली डैमेज 50% से 100% तक कम हो सकती है.
भारत और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में सांप के काटने की अधिकांश घटनाओं में कोबरा प्रजाति के सांप होते हैं. रिसर्च करने वाली टीम ने यह विश्लेषण किया कि सांप के जहर से कौन से जीन प्रभावित होते हैं. फिर उन्होंने पहचान की कि ये जीन कोशिकाओं की सतह पर हेपरन सल्फेट के साथ-साथ हेपरिन सल्फेट के उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं, जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में जारी होता है. हेपरिन एंटीडोट के रूप में काम करती है, जो विष के भीतर विषाक्त पदार्थों को बांधती है और बेअसर करती है. इससे टिश्यू डैमेज को रोकने में मदद मिल सकती है.
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FIRST PUBLISHED : August 3, 2024, 11:19 IST
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