विशाल भटनागर/ मेरठ: बदलते दौर में प्रत्येक व्यक्ति कहीं ना कहीं किसी कारण तनाव से ग्रस्त नजर आता है. जिससे कई बार वह अपने जीवन को लेकर भी सही फैसला नहीं ले पाने के कारण आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है. जिसका इशारा पिछले कुछ महीनो में मेरठ में हुई आत्महत्या की घटनाएं भी करते हुए दिखाई दे रही हैं. इन्हीं बातों का विशेष ध्यान रखते हुए लोकल-18 की टीम द्वारा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में संचालित मनोविज्ञान विभाग के विशेषज्ञों से खास बातचीत की गई . ताकि जो युवा तनाव से ग्रस्त नजर आ रहे हैं. उन्हें इस तनाव से बाहर निकालते हुए उनके अनमोल जीवन को बचाया जा सके.
सबसे बेहतर करने की चाहत बढ़ा रही तनाव
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में संचालित मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. संजय कुमार बताते हैं कि बदलते दौर में कहीं ना कहीं युवाओं पर जिस तरीके से लोड बढ़ रहा है. उसको लेकर वह तनाव में ग्रस्त नजर आते हैं. जिसका नजारा विभाग में आयोजित होने वाली काउंसलिंग में देखने को मिलता है. वह कहते हैं कि युवा अच्छे परसेंटेज, जॉब न मिल पाना सहित रिलेशनशिप जैसे मुद्दों को लेकर काफी परेशान रहते हैं, जो तनाव का धीरे-धीरे मुख्य कारण बन जाता है. जिससे कई बार वह आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है.
अभिभावक बच्चों के बीच आपसी संवाद बेहद जरूरी
प्रो. संजय कहते हैं आज के समय में माता-पिता बच्चों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद करते हैं. जिसे हासिल करने के लिए युवा काफी प्रयास करते हैं. लेकिन जब वह उस स्थिति में नहीं पहुंच पाते तब वह काफी परेशान रहने लगते हैं. जिससे तनाव उनके जीवन में प्रवेश कर जाता है. इससे कई बार वह अनुचित कदम उठाते हुए आत्महत्या के प्रयास करते हैं. ऐसे में अगर माता-पिता अपने बच्चों से आपसी संवाद करेंगे. उनकी सफलता के साथ अगर उनकी असफलता में भी खड़े होंगे. तो उससे बच्चों को हौसला मिलेगा. वह तनाव से निकलकर बेहतर परफॉर्म कर सकते हैं.
यह देखने को मिलते हैं लक्षण
जो भी युवा तनाव की तरफ धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं. उनके व्यवहार में काफी बदलाव आता है. वह जहां पहले की तुलना में खाना पीना कम कर देते हैं. वहीं मोबाइल में अधिक लगे रहना, आपसी संवाद करने से परहेज, बातों को बार-बार इग्नोर करना या पहले की तुलना में बात करने के तरीके में गुस्सा करना यह सभी तनाव के मुख्य संकेत हैं, जिन्हें माता-पिता बच्चों से बेहतर दोस्त आने के माध्यम से ही दूर कर सकते हैं.
अब तक लगभग 30 से अधिक लोग कर चुके हैं आत्महत्या
बताते चलें कि वर्ष 2024 अब तक मेरठ में 30 से अधिक ऐसे मामले पंजीकृत हो चुके हैं, जिसमें लोगों ने आत्महत्या की है. इसमें युवाओं की संख्या अधिक देखने को मिल रही है. बात चाहे कंकरखेड़ा में रहने वाली 12वीं की छात्रा की जाए. जिसने 23 मई 2024 को शिक्षिका से डांट के कारण आत्महत्या कर ली थी या फिर बहसुमा, मवाना के युवाओं की, जिन्होंने पिता से डांट के कारण के बाद आत्महत्या कर ली थी. सभी मामलों में यह देखने को मिला है कि युवाओं में सहन शक्ति पहले के मुकाबले काफी कम हो गई है. ऐसे में माता-पिता अपने बच्चों से संवाद की प्रक्रिया को कायम रखें..
FIRST PUBLISHED : August 16, 2024, 10:00 IST
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