Microplastics Found in Brain Tissue: प्लास्टिक लोगों के शरीर के हर हिस्से में जमा हो रही है. प्राइवेट पार्ट से लेकर ब्रेन तक माइक्रोप्लास्टिक का अटैक देखने को मिल रहा है. माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक के बेहद छोटे टुकड़े होते हैं, जिनका साइज 5 मिलीमीटर से कम या 1 नैनोमीटर तक हो सकता है. ये टुकड़े खाने-पीने के जरिए शरीर में पहुंच रहे हैं. पिछले 8 सालों में लोगों के ब्रेन में हद से ज्यादा प्लास्टिक के टुकड़े पहुंचे हैं. इसका खुलासा एक हालिया स्टडी में हुआ है. वैज्ञानिकों की मानें तो लोगों के ब्रेन में करीब 0.5 पर्सेंट माइक्रोप्लास्टिक जमा हो चुकी है, जो बेहद खतरनाक हो सकती है.
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024 में शोधकर्ताओं ने डेडबॉडी के परीक्षण में ह्यूमन ब्रेन के कई सैंपल लिए थे और फिर इसमें माइक्रोप्लास्टिक को लेकर रिसर्च की. इसमें पता चला कि 8 साल पहले लिए गए सैंपल की तुलना में ह्यूमन ब्रेन में प्लास्टिक के टुकड़े 50% ज्यादा मिले. रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन व्यक्तियों की औसत उम्र लगभग 45 या 50 वर्ष थी, उनके ब्रेन टिश्यूज में प्लास्टिक कंसंट्रेशन 4800 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम यानी वजन के हिसाब से 0.5% थी. इसका मतलब यह है कि आज हमारा ब्रेन 99.5% ब्रेन है और बाकी प्लास्टिक है.
अमेरिका की न्यू मैक्सिको यूनिवर्सिटी में फार्मास्युटिकल साइंस के रीजेंट प्रोफेसर और स्टडी के लीड ऑथर मैथ्यू कैम्पेन ने कहा कि साल 2016 की तुलना में ब्रेन में प्लास्टिक की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ी है और इससे ब्रेन की समस्याओं का खतरा बढ़ गया है. हालांकि अभी तक प्लास्टिक से किसी तरह की डैमेज की जानकारी नहीं मिली है. यह समझने के लिए ज्यादा रिसर्च की जरूरत है कि प्लास्टिक के ये कण ब्रेन सेल्स पर क्या असर डालते हैं. स्टडी के अनुसार डेडबॉडीज से लिए गए सैंपल्स में पता चला कि किडनी और लिवर की तुलना में ब्रेन में 7% से 30% ज्यादा प्लास्टिक के टुकड़े थे.
कई अन्य स्टडीज से पता चला है कि ये प्लास्टिक के टुकड़े हार्ट, ब्लड स्ट्रीम, लंग्स, लिवर, प्राइवेट पार्ट से लेकर प्लेसेंटा में भी पाए गए हैं. कुछ प्लास्टिक ऐसी होती हैं, जिनसे आप बच नहीं सकते. आपको ऐसा कोई स्मार्टफोन या कंप्यूटर नहीं मिलेगा, जिसमें प्लास्टिक न हो. हालांकि प्लास्टिक की थैलियां और बोतलों जैसी प्लास्टिक के संपर्क में आने से बचें. ब्रेन टिश्यूज के सैंपल फ्रंटल कॉर्टेक्स से लिए गए थे, जो ब्रेन का वह एरिया है, जो सोच और तर्क से जुड़ा है. यह एरिया फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (एफटीडी) और अल्जाइमर रोग में सबसे अधिक प्रभावित होता है.
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FIRST PUBLISHED : August 24, 2024, 08:26 IST
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