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Mental Problems In Kids & Youth: आज के समय में बच्चे और युवा बहुत तेजी से मानसिक विकारों की गिरफ्त में आ रहे हैं. इसका क्या कारण है और इससे कैसे बचें, जानिए एक्सपर्ट से.

नैनीताल में बढ़ रहे मानसिक रोग से जुड़े मामले
हाइलाइट्स
- बच्चों और युवाओं में मानसिक विकार बढ़ रहे हैं.
- सोशल मीडिया की लत से आत्मसम्मान की समस्या बढ़ रही है.
- योग, ध्यान और व्यायाम से मानसिक स्वास्थ्य सुधारा जा सकता है.
Mental Problems In Kids & Youth: आधुनिक जीवनशैली, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और डिजिटल युग के प्रभाव ने युवाओं और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है. उत्तराखंड के नैनीताल में मानसिक रोगों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे अभिभावकों और विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है. नैनीताल के बीडी पांडे जिला अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ. गरिमा कांडपाल के अनुसार, अस्पताल में महीने में कुल 300 से 350 मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामले आ रहे हैं.
उन्होंने बताया कि शिक्षा और करियर की दौड़ में आगे निकलने की होड़ ने युवाओं पर अत्यधिक मानसिक दबाव बढ़ा दिया है. परीक्षा का तनाव, नौकरी की चिंता, सोशल मीडिया की लत और व्यक्तिगत समस्याएं बच्चों और युवाओं को अवसाद (डिप्रेशन) और चिंता (एंग्जायटी) जैसी मानसिक बीमारियों की ओर धकेल रही हैं.
सोशल मीडिया का अहम रोल
सोशल मीडिया की बढ़ती लत, ऑनलाइन गेमिंग और इंटरनेट पर अत्यधिक निर्भरता बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है. इंस्टाग्राम, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगातार सक्रिय रहने की इच्छा से उनमें आत्मसम्मान की समस्या, आत्मविश्वास की कमी और अकेलापन बढ़ रहा है. डॉ. गरिमा बताती हैं, सोशल मीडिया पर अपनी तुलना दूसरों से करने की प्रवृत्ति युवाओं को मानसिक रूप से कमजोर बना रही है वे खुद को कमतर आंकने लगते हैं, जिससे निराशा और तनाव बढ़ जाता है.
स्क्रीन टाइम बढ़ा रहा है तनाव
बच्चे स्क्रीन पर अधिक समय बिता रहे हैं, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है. माता-पिता का मानना है कि ऑनलाइन क्लासेस के बाद भी बच्चे मोबाइल और लैपटॉप से जुड़े रहते हैं, जिससे उनकी नींद, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और सामाजिक जीवन प्रभावित हो रहा है.
समाधान और सुझाव
मानसिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज करना गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है. मानसिक बीमारियों से बचने के लिए योग, ध्यान (मेडिटेशन), नियमित व्यायाम और परिवार के साथ समय बिताना फायदेमंद हो सकता है. डॉ. गरिमा सलाह देती हैं कि अभिभावकों को बच्चों के साथ संवाद बढ़ाना चाहिए, उनकी समस्याओं को समझना चाहिए और उन्हें भावनात्मक रूप से सहारा देना चाहिए. इसके अलावा, स्क्रीन टाइम को सीमित करना, डिजिटल डिटॉक्स अपनाना और खेल-कूद जैसी शारीरिक गतिविधियां बढ़ानी चाहिए.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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