Dementia Disease: दुनियाभर में ब्रेन से जुड़ी बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं. इसमें सबसे कॉमन बीमारी डिमेंशिया बन रही है. डिमेंशिया की वजह से लोगों के ब्रेन को नुकसान होने लगता है और उनकी याददाश्त कम हो जाती है. 60 साल से ज्यादा के लोगों को डिमेंशिया का ज्यादा खतरा होता है. डिमेंशिया को लेकर ऑस्ट्रेलिया से एक हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जो दुनियाभर में चर्चाओं का विषय बनी हुई है. आखिर इस रिपोर्ट में ऐसी कौन सी बातें पता चली हैं, इस बारे में विस्तार से जान लेते हैं.
ऑस्ट्रेलिया में पिछले 10 सालों में ब्रेन से जुड़ी बीमारी डिमेंशिया की दवाओं की मांग करीब 50 पर्सेंट बढ़ गई है. एक सरकारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. रिपोर्ट बताती है कि 2022-23 में 30 साल या उससे ज्यादा उम्र के 72400 लोगों को डिमेंशिया की दवाइयां दी गई थीं. यह संख्या 2013-14 के मुकाबले 46% ज्यादा है. डिमेंशिया कई तरह की बीमारियों का ग्रुप है, जिससे ब्रेन सेल्स डैमेज होने लगती हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार दुनियाभर में दिमागी कमजोरी के 60-70 प्रतिशत मामलों का कारण अल्जाइमर डिजीज है. डिमेंशिया का सबसे कॉमन टाइप अल्जाइमर को माना जाता है. यह विश्व में दिमागी कमजोरी के 60-70 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है. इस रिपोर्ट का अनुमान है कि 2023 में 4.11 लाख ऑस्ट्रेलियाई लोग डिमेंशिया से पीड़ित थे. एक्सपर्ट्स आशंका जता रहे हैं कि जनसंख्या बढ़ने और उम्र बढ़ने के साथ 2058 तक यह संख्या दोगुनी से भी अधिक होकर तकरीबन 8.49 लाख हो जाएगी.
2022-23 में डिमेंशिया के कारण अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या 26300 थी जो 2016-17 के मुकाबले 24 प्रतिशत बढ़ गए. डिमेंशिया हर 11 मौतों में से एक का कारण था. ऑस्ट्रेलिया में डिमेंशिया एक बढ़ती हुई समस्या है, जिसका असर मरीजों के साथ-साथ उनके परिवार और दोस्तों पर काफी असर पड़ता है. कोरोनरी हार्ट डिजीज के बाद डिमेंशिया ऑस्ट्रेलिया में मौत का दूसरा प्रमुख कारण था, जो सभी मौतों का 9.3 प्रतिशत था. 2009 से 2022 के बीच ऑस्ट्रेलिया में प्रति 100,000 जनसंख्या पर डिमेंशिया के कारण होने वाली मौतों की दर 39 से बढ़कर 69 हो गई है.
भारत में डिमेंशिया के क्या हैं हालात?
कई रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में डिमेंशिया के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. देश में 60 साल से ज्यादा उम्र के करीब 7.4% लोग डिमेंशिया से जूझ रहे हैं. देश में भी डिमेंशिया के मरीजों की संख्या 50 लाख से ज्यादा है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है. अल्जाइमर सोसाइटी की रिपोर्ट के मुताबिक अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे कॉमन टाइप है, जिसमें लोगों की याददाश्त कमजोर होने लगती है. यह कंडीशन प्रोगेसिव होती है और धीरे-धीरे हालात बदतर होने लगते हैं. दवाओं से इस बीमारी की रफ्तार को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. हालांकि दवा से इसे हमेशा के लिए ठीक नहीं किया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : September 14, 2024, 12:36 IST
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