मध्य प्रदेश : आयुर्वेद में पंचकर्म एक महत्वपूर्ण उपचार प्रणाली है, जिसका उपयोग शरीर को शुद्ध करने और बीमारियों से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है. पंचकर्म का मतलब है पांच प्रकार के कर्म (क्रियाएं), जो शरीर से विषैले तत्वों को निकालने, शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाए रखने, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं. लेकिन क्या यह स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी हर साल कराना जरूरी है? एक्सपर्ट्स डॉक्टर दीपांकर अत्रे ने इसे आसान भाषा में समझाने का प्रयास किया है.
क्या है पंचकर्म और कैसे काम करता है
पंचकर्म पांच मुख्य उपचार प्रक्रियाओं का समूह है, जिसमें शरीर की गहरी सफाई और विषैले तत्वों का निष्कासन किया जाता है. ये पांच प्रक्रियाएं हैं.
वमन : इसमें विशेष औषधियों का उपयोग कर उल्टी के माध्यम से शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है. यह प्रक्रिया कफ दोष को संतुलित करने के लिए की जाती है.
विरेचन : इसके तहत औषधियों द्वारा शरीर से मल (विषाक्त पदार्थ) को बाहर निकाला जाता है. इसका उपयोग पित्त दोष को संतुलित करने के लिए किया जाता है.
बस्ती : इस प्रक्रिया में औषधीय तेल और काढ़े का उपयोग करके आंतों को शुद्ध किया जाता है. यह वात दोष को नियंत्रित करने में सहायक है.
नस्य : इस प्रक्रिया में नाक के माध्यम से औषधीय तेलों को डाला जाता है, जो सिर और मस्तिष्क की समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है.
रक्तमोक्षण : इस प्रक्रिया में रक्त को शुद्ध किया जाता है, जिससे त्वचा संबंधी समस्याओं और रक्त विकारों को दूर किया जा सकता है.
क्या है पंचकर्म के फायदे
शारीरिक शुद्धि: पंचकर्म शरीर को अंदर से साफ करता है, जिससे विषाक्त पदार्थों का निष्कासन होता है और शरीर को पुनर्जीवित किया जाता है.
मानसिक शांति: पंचकर्म से मन को शांति मिलती है और तनाव, चिंता जैसी मानसिक समस्याओं में राहत मिलती है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता: पंचकर्म से इम्यून सिस्टम को मजबूती मिलती है, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने के लिए बेहतर तरीके से तैयार होता है.
वजन नियंत्रण: पंचकर्म मोटापा कम करने और वजन को नियंत्रित करने में भी सहायक होता है.
क्या स्वस्थ व्यक्ति को हर साल पंचकर्म कराना जरूरी?
एक्सपर्ट्स डॉक्टर दीपांकर अत्रे के अनुसार, पंचकर्म केवल बीमार लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि स्वस्थ व्यक्तियों के लिए भी लाभकारी हो सकता है. यह शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है. हालांकि, हर साल पंचकर्म कराना जरूरी नहीं है. यह व्यक्ति की जीवनशैली, खानपान, और शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है. अगर व्यक्ति प्रदूषण, तनाव, और अनियमित दिनचर्या से जूझ रहा है, तो पंचकर्म का नियमित अंतराल पर कराना लाभकारी हो सकता है.
स्वस्थ व्यक्तियों के लिए पंचकर्म का समय
शारीरिक पुनर्जीवन: स्वस्थ व्यक्ति पंचकर्म का उपयोग शरीर को डिटॉक्सिफाई करने और ऊर्जा स्तर को बनाए रखने के लिए कर सकते हैं. यह उन्हें दैनिक जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करता है.
सीजनल पंचकर्म: आयुर्वेद में रितुचर्या का उल्लेख है, जिसके अनुसार मौसम परिवर्तन के समय पंचकर्म करने से शरीर को नए मौसम के अनुरूप ढालने में मदद मिलती है.
क्या है पंचकर्म के नुकसान
साइड इफेक्ट्स: अगर पंचकर्म को सही तरीके से नहीं किया गया, तो इसके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे कि कमजोरी, चक्कर आना, या पाचन संबंधी समस्याएं.
अनुभवी चिकित्सक जरूरी: पंचकर्म को अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही कराना चाहिए. गलत तरीके से किया गया पंचकर्म शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है.
सभी के लिए उपयुक्त नहीं: गर्भवती महिलाएं, कमजोर व्यक्ति, या गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग बिना चिकित्सकीय परामर्श के पंचकर्म नहीं करा सकते.
FIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 09:36 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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