Foods Stuck in Throat: हर व्यक्ति के जीवन कभी न कभी ऐसा आता है जब खाने की कुछ चीजें गले में फंस जाती है. छोटे बच्चे में अक्सर ऐसा होता है. हालांकि कुछ वयस्कों में ऐसा अक्सर देखने को मिलता है. पानी पीने में थोड़ी देर हुई कि गला चॉक कर गया. अमूमन ऐसा होने पर कुछ देर में अपने आप ठीक भी हो जाता है. लेकिन कभी-कभी ऐसी घटना भी हो जाती है जिसमें इंसान का गला एकदम से बंद हो जाता है और इमरजेंसी की स्थिति हो जाती है. ऐसे में व्यक्ति बेचैन हो जाता है. यहां तक कि बेहोश भी हो सकता है. कुछ दुर्लभ मामले में ब्रेन को ऑक्सीजन की सप्लाई रूक सकती है. आखिर ऐसे मामले को किस तरह निपटा जा सके. इसके लिए अमेरिका के फोनिक्स में प्रैक्टिस कर रही क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. प्रियंका रोहतगी ने न्यूज 18 से बातचीत में इससे निपटने के नायाब तरीके बताए.
जोर लगाकर खांसने से चीजें अंदर जा सकती
डॉ. प्रियंका रोहतगी ने बताया कि अमूमन ऐसा बच्चों में होता है. जब बच्चों के गले में कुछ अटक जाता है तो वह चिल्लाने लगता है. इस स्थिति में माता-पिता तुरंत अलर्ट हो जाते हैं और पानी पिला देते हैं. फिर ठीक भी हो जाता है. लेकिन कभी-कभी पानी पीने से भी काम नहीं चलता तो ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि बच्चे को खांसने के लिए कहे. जितना जोर लगाकर खांसेगा, उतनी जल्दी गले में फंसा फूड अंदर जाएगा और गला क्लीयर होगा. ऐसा वयस्कों में भी हो सकता है. उन्हें भी ऐसा ही करना चाहिए. बस एक चीज का ध्यान रखना चाहिए कि इस स्थिति में मुंह में उंगली न करे. उंगली करने से मामला और अधिक बिगड़ सकता है. ऐसे में जितना संभव हो जोर लगाकर थूक फेकने का प्रयास करे.
जब सांसें अटकने लगे
डॉ. प्रियंका रोहतगी ने बताया कि गले में फंसी चीजें जब जोर से खांसने के बावजूद भी न अंदर जाए या न बाहर आए तो इस स्थिति में सांसें अटकने लगेगी. फिर व्यक्ति खुद कुछ करने में असमर्थ हो जाएगा. ऐसी स्थिति में जो वहां मौजूद है, उसे ही कुछ करना होगा. यह स्थिति लाइफ थ्रेटनिंग भी हो सकती है. ऐसे में जो व्यक्ति वहां उपस्थित है, उसे हिमलिच मैनुवर करना होगा. हिमलिच मैनुवर में व्यक्ति को थोड़ा आगे झुका दें और एक हाथ को उसकी छाती पर रखकर दूसरे हाथ से उसकी पीठ पर जोर-जोर से धक्का दें. ऐसा आमतौर पर 5 बार किया जाता है. इसे एब्डोमिनल थ्रस्ट भी कहते हैं. इससे पेट पर प्रेशर बनता है और गले में फंसी चीजें आगे की ओर निकल जाता है. हालांकि एक साल से कम के बच्चे और प्रेग्नेंट महिलाओं के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए. हिमलिच मैनुवर करने का एक तरीका होता है जिसे कोई भा डॉक्टर से सीख सकता है. इसका इस्तेमाल एसिडिटी जैसी समस्याओं में भी आजमाया जाता है. डॉ. प्रियंका रोहतगी कहती है कि हिमलिच मैनुवर हर इंसान को सीख लेना चाहिए.
अगर यह भी काम न करें
डॉ. प्रियंका रोहतगी ने बताया कि अगर हिमलीच मैनुवर भी काम नहीं करता है तो फिर सीपीआर ही अंतिम विकल्प है. सीपीआर यानी कार्डियपल्मोनरी रिसससाइटेशन. सीपीआर हार्ट अटैक या कार्डिए अरेस्ट के समय दिया जाता है इससे मरीज की जान बच जाती है. सीपीआर को सीखना पड़ता है. हालांकि सीपीआर सीखना आसान है लेकिन अपने देश में डॉक्टरों के अलावा बहुत कम ही लोग ऐसा कर पाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 09:36 IST
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