गणपति बप्पा मोरया…आज गणेश चतुर्थी है और अब से अगले 10 दिन तक गणेश महोत्सव चलेगा. लोगों ने कई दिन पहले ही बप्पा की पूजा की तैयारी शुरू कर दी थी. आज गणेशजी के सामने लड्डू की थाली सज चुकी है, जिसे कुछ लोग मोदक भी कहते हैं. केवल गणेश महोत्सव में ही नहीं, शादी हो या मुंडन, गृह प्रवेश हो या तेरहवीं…हर मौके पर लड्डू की अपनी अलग अहमियत है.
हजारों साल पुराना है लड्डू
लड्डू का मतलब है गेंद. यह संस्कृत शब्द ‘लड्डूका’ से बना है. पहली बार लड्डू किसने बनाए, यह कोई नहीं जानता लेकिन लोगों का इससे रिश्ता लगभग 4600 साल पुराना है. हड़प्पा संस्कृति पर अध्ययन के दौरान राजस्थान में हुई खुदाई में लड्डू के अवशेष मिले. पुरातत्वविदों के अनुसार, वहां गेहूं, ज्वार, मटर और फलियों को डालकर मल्टीग्रेन लड्डू बनाने के सबूत मिले.
आयुर्वेद में हर मर्ज की दवा
कुछ इतिहासकार मानते हैं लड्डुओं का आविष्कार लगभग 2500 साल पहले ‘फादर ऑफ सर्जरी’ कहलाने वाले आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत ने किया. वह मरीजों को जड़ी-बूटियों से बने लड्डू दवा के तौर पर खाना को देते थे.
गणेशजी को क्यों भाते लड्डू?
भगवान गणेश को लड्डू क्यों चढ़ाए जाते, इसके पीछे एक कहानी है. पुराणों के अनुसार, गणेशजी एक बार ऋषि अत्रि के घर भोजन पर गए. ऋषि अत्रि की पत्नी अनसूया ने गणेशजी को बार-बार भोजन परोसा लेकिन उनका पेट ही नहीं भर रहा था. अंत में अनसूया ने मीठा परोसने की सोची जिसे खाकर गणेशजी का आखिरकार पेट भर गया. वह लड्डू बप्पा को इतना पसंद आया कि वह उसे खाते ही खुश हो गए. लड्डू केवल गणेशजी को ही नहीं, हनुमानजी को भी खूब पसंद हैं. तभी हर मंगलवार और शनिवार उन्हें बूंदी या बेसन के लड्डू का भोग लगाया जाता है.
महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी ने जब भगवान गणेश को लड्डू चढ़ाए तो यह मिठाई मशहूर हो गई.(Image-Canva)
लड्डू गोपाल और बरसाने की लड्डू मार होली
लड्डू केवल खाने में ही नहीं उत्तर प्रदेश के बरसाने में होली खेलने के लिए भी उपयोग होते हैं. बरसाने में यह होली लाडली जी के मंदिर में खेली जाती है. ऐसा माना जाता है कि यहां श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ लड्डू मारकर होली खेली थी. वहीं, भगवान कृष्ण के बाल रूप को लड्डू गोपाल कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रज भूमि में उनका रघुनंदन नाम का एक भक्त था जिसे भगवान ने बालक बनकर दर्शन दिए थे. तब उनके हाथ में लड्डू था इसलिए उन्हें लड्डू गोपाल नाम दिया गया.
लड्डू शुभ क्यों?
हिंदू धर्म में लड्डू को शुभ माना जाता है और इसके पीछे का कारण है कि यह बेसन से बनता है. बेसन यानी चने की दाल का प्रयोग हर अच्छे मौके पर होता है. लड्डू का जिक्र रामचरितमानस में भी मिलता है. माना जाता है कि जब भगवान राम का जन्म हुआ तो अयोध्या में लड्डू बांटे गए. के.टी. आचार्य की लिखी किताब ‘ए हिस्टॉरिकल डिक्शनरी ऑफ इंडियन फूड’ के अनुसार, आयुर्वेद की प्रैक्टिस कर रहे एक आचार्य ने गलती से लड्डू में घी डाल दिया. इसके बाद जड़ी-बूटियों के मिश्रण को गोल आकार दिया गया. बाद में गुड़, खांड या शक्कर डालकर लड्डू मिठाई के रूप में बनने लगे. किताब के अनुसार, चोल साम्राज्य में लड्डूओं को गुड लक का प्रतीक माना जाता था. युद्ध के दौरान वहां के योद्धा अपने पास लड्डू रखते थे. उस जमाने में लंबी यात्राएं करनी पड़ती थीं. चूंकि, लड्डू महीनों तक खराब नहीं होते इसलिए सैनिक इन्हें अपने साथ रखते थे.
मोदक और लड्डू में क्या फर्क
कुछ लोग मोदक को लड्डू का पर्यायवाची मानते हैं. लेकिन दोनों अलग होते हैं. मोदक गुड़ और नारियल से बनता है लेकिन इसका बाहरी हिस्सा चावल या गेहूं के आटे या मैदा से तैयार होता है. मोदक को मोमोज की तरह स्टीम किया जाता है. मोदक का मतलब है खुशी. मोदक का आकार पैसों के थैलों जैसा दिखता है जो पैसे को दर्शाता है. माना जाता है कि गौतम बुद्ध को भी मोदक बहुत पसंद थे इसलिए बुद्ध पूर्णिमा पर मोदक का भोग लगता है. लड्डू भारत में ही नहीं बल्कि जापान, मलेशिया, कंबोडिया, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम में भी पॉपुलर हैं.
सोंठ के लड्डू खाने से गले की खराश और सर्दी-जुकाम से रहात मिलती है. (Image-Canva)
कश्मीर से कन्याकुमारी, हर जगह पसंद
लड्डू के हमारे देश में कई रूपों में दिखता है. लड्डू को कहीं बेसन से बनाया जाता है तो कहीं बूंदी से, जिसे मोतीचूर का लड्डू कहते है. बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश में बूंदी से ही लड्डू बनते हैं. केरल और तमिलनाडु में नारियल और चावल के आटे का इस्तेमाल होता है.
प्रेग्नेंसी में लड्डू फायदेमंद
गुरुग्राम में आयुर्वेद आचार्य डॉ.एस.पी कटियार कहते हैं प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के बाद तक अक्सर महिलाओं को लड्डू खिलाएं जाते हैं. दरअसल, जब महिला गर्भवती होती हैं तो उनके हार्मोन का लेवल बहुत बढ़ा हुआ होता है. वहीं वह खून की कमी यानी एनीमिया की भी शिकार हो सकती हैं. इस दौरान उन्हें नारियल का लड्डू खाने की सलाह दी जाती है. इसमें कैल्शियम, आयरन, फाइबर और विटामिन सी होता है. इसके अलावा अंतिम 3 महीनों में पंजीरी, तिल, मेथी और गोंद के लड्डू दिए जाते हैं ताकि बच्चे की डिलीवरी नॉर्मल हो और जच्चा-बच्चा स्वस्थ रहें. लड्डू शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं. जिन लड़कियों को हार्मोन से जुड़ी दिक्कतें होती हैं जैसे थायराइड, सिस्ट या अनियमित पीरियड्स, उनके लिए भी लड्डू फायदेमंद हैं. बढ़ती उम्र में और मेनोपॉज के दौरान रागी के लड्डू खाने चाहिए. कैल्शियम से भर इस लड्डू में एंजी एजिंग गुण होते हैं.
FIRST PUBLISHED : September 7, 2024, 19:03 IST
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