कई पुरुष अपनी पत्नी या पार्टनर से प्यार करने का दावा करते हैं. उनके लिए फूल, चॉकलेट और गिफ्ट्स लाते रहते हैं. घर के कामों में हाथ बंटाते हैं, हर वीकेंड बाहर डिनर पर ले जाते हैं या मूवी दिखाते हैं. फोन पर 10 बार कॉल करके उनसे हाल-चाल पूछते हैं और बिना ‘आई लव यू’ कहे फोन नहीं काटते. लेकिन जब संबंध बनाने की बात आती है तो खुद को कॉन्ट्रासेप्शन के तरीकों से दूर कर लेते हैं. क्या यह सच में प्यार है? आज 26 सितंबर यानी वर्ल्ड कंट्रासेप्शन डे है. अगर आप वाकई में अपनी पत्नी या पार्टनर को प्यार करते हैं तो गर्भनिरोधक का तरीका अपनाकर उन्हें सेहत का तोहफा दें.
क्यों है कॉन्ट्रासेप्शन जरूरी?
हमारे समाज में सेक्स एजुकेशन की कमी है जिसका खामियाजा महिला के शरीर को भुगतना पड़ता है. गुट्टमाचेर इंस्टीट्यूट के अनुसार हमारे देश में हर साल 1.5 करोड़ महिलाएं अबॉर्शन कराती हैं. यह इसलिए क्योंकि मजबूरी में उन्हें असुरक्षित यौन संबंध बनाने पड़ते हैं. खुद लड़कियां कॉन्ट्रासेप्शन को लेकर जागरूक नहीं हैं. अगर उन्हें इसके बारे में पता हो तो वह खुद को अनचाहे गर्भ से बचा सकती हैं.
हर महिला के लिए नहीं बनी कॉन्ट्रासेप्शन पिल्स
कुछ लड़कियां टेलीविजन पर अबॉर्शन पिल्स के विज्ञापन देख खुद ही उसे खरीदकर खा लेती हैं जो उनके शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं. सर गंगाराम हॉस्पिटल में गायनोकॉलोजिस्ट डॉ.रूमा सात्विक कहती हैं कि कॉन्ट्रासेप्शन पिल्स 2 तरह की होती हैं. ओरल कॉन्ट्रासेप्शन पिल्स पीरियड्स होने के 3 दिन बाद शुरू की जाती है. 1 गोली रोज 21 दिन तक लेनी चाहिए. वहीं, इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स संबंध बनाने के 72 घंटे के अंदर खा लेनी चाहिए. मेडिकल रिपोर्ट्स के आधार पर इन्हें खाने की सलाह दी जाती है. लेकिन जिन महिलाओं को ब्लड प्रेशर, अनकंट्रोल डायबिटीज, मेंस्ट्रुअल माइग्रेन, ब्रेस्ट कैंसर, ब्लड क्लॉटिंग और दिल से जुड़ी कोई बीमारी हो तो उन्हें यह पिल्स नहीं दी जातीं. खुद से कॉन्ट्रासेप्शन पिल्स लेना जानलेवा भी साबित हो सकता है क्योंकि अगर भ्रूण का कुछ अंश शरीर में रह जाए तो वह इंफेक्शन का कारण बन सकता है जिससे महिला की जान को खतरा रहता है.
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NFHS-5 के अनुसार 35.1% पुरुष गर्भनिरोधक के तरीकों को अपनाना महिलाओं का काम समझते हैं (Image-Canva)
महिलाएं ही अपनाती नए-नए कॉन्ट्रासेप्शन के तरीके
फैमिली प्लानिंग 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1.39 महिलाएं कॉन्ट्रासेप्शन के नए-नए तरीकों को अपनाती हैं जिसमें कॉन्ट्रासेप्शन इंजेक्शन यानी DMPA भी शामिल है. यह इंजेक्शन हर प्राइमरी हेल्थ सेंटर और सरकारी अस्पताल में मुफ्त लगता है. यह इंजेक्शन पीरियड्स होने के पहले या दूसरे दिन लगता है. इसे हर 3 महीने में रिपीट किया जाता है.
पुरुषों को जिम्मेदारी लेनी जरूरी
बाजार में पुरुषों के लिए कॉन्ट्रासेप्शन के कई विकल्प मौजूद हैं जैसे नसबंदी, कंडोम और स्पर्मिसाइड लेकिन वह इनसे बचते हैं. नसबंदी से अधिकतर पुरुष इसलिए बचते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे वह कमजोर हो जाएंगे. वहीं कुछ यह तक सोच लेते हैं कि वह मर्द नहीं रहेंगे. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 4 में सामने आया कि 94% पुरुष कंडोम के बारे में जानते हैं. 95% इसका इस्तेमाल नहीं करते. कंडोम का इस्तेमाल पुरुषों के लिए आसान और महिलाओं के लिए सेफ है. अगर कोई पुरुष वाकई में अपनी पार्टनर या पत्नी की इज्जत करता है तो उसे इन तरीकों को जरूर अपनाना चाहिए.
पार्टनर की ओव्यूलेशन मॉनिटरिंग करें
हर महिला का एक ओव्यूलेशन का समय होता है. यह महिला की मेंस्ट्रुअल साइकिल पर निर्भर करता है. कुछ महिलाओं की यह साइकिल 28 दिन तो किसी की 35 दिन तक भी चलती है. ओव्यूलेशन में ओवरी से एग रिलीज होता है जिससे महिला की मां बनने की संभावना बढ़ जाती है. जैसे अगर किसी महिला की मेंस्ट्रुअल साइकिल 28 दिन की है तो उनका ओव्यूलेशन 14वें दिन होगा. महिला के शरीर में एग 12 से 24 घंटे तक रहता है. यह साइकिल पीरियड्स के पहले दिन से गिनी जाती है. अगर पुरुष अपनी पत्नी का ओव्यूलेशन मॉनिटरिंग करते रहे और इस दौरान संबंध ना बनाएं तो वह उन्हें अनचाहे गर्भ की समस्या से बचा सकते हैं. इसके लिए उन्हें हर महीने अपनी पत्नी के पीरियड्स कब शुरू हुए, इसकी तारीख नोट करनी होगी.
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भारत में गर्भनिरोधक गोलियां 1950 से बिकनी शुरू हुईं लेकिन कपल्स इन्हें अपनाने से बचते हैं (Image-Canva)
पुरुष अपनी सेक्शुअल हाइजीन पर दें ध्यान
अगर पुरुष अपनी सेक्शुअल हाइजीन पर ध्यान देंगे तो वह अपनी पत्नी को भी कई तरह की बीमारियों से बचा सकते हैं. पुरुषों को हर बार यूरिन करने के बाद अपना जेनिटल एरिया अच्छे से धोना चाहिए. यह रूल संबंध बनाने से पहले और संबंध बनाने के बाद अपनाना चाहिए. जो पुरुष ऐसा नहीं करते वह जाने अनजाने में अपनी फीमेल पार्टनर को फंगल या बैक्टीरियल इंफेक्शन दे सकते हैं. कंडोम लगाना भी सेक्शुअल हाइजीन का हिस्सा है. यह पुरुषों को भी इंफेक्शन से बचाता है. पुरुषों को संबंध बनाने के बाद अंडरगारमेंट भी बदल लेने चाहिए क्योंकि कई बार इससे भी बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा रहता है.
कॉन्ट्रासेप्शन से नहीं होगी STD
गर्भनिरोध के तरीके ना अपनाने से कई बार महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD) के शिकार हो जाते हैं. सेक्शुअली ट्रांसमिटेड बीमारियां कई तरीके की होती हैं. बैक्टीरिया से होने वाले सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन में क्लैमाइडिया, गोनोरिया और सिफलिस आता है. ट्राइकोमोनिएसिस इंफेक्शन प्रोटोजोआ से होता है. एचआईवी एड्स और ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) जैसे रोग इंफेक्टेड वायरस की वजह से होते हैं.
FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 12:45 IST
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