Stress Harmful Effects : भारत में अधिकांश लोगों को पता भी नहीं है कि तनाव एक मानसिक बीमारी है जिसका समाधान जरूरी है. वरना शरीर में इतनी तरह की बीमारियां लग जाती है कि साइलेंटली शरीर घुल-घुल कर रिसने लगता है. हकीकत यह है कि अधिकांश भारतीय इस तनाव नाम की बीमारी के गिरफ्त में आ चुके हैं. शारीरिक रूप से किसी चीज को लेकर तंगी, उलझन, दिक्कत जब भावनाओं को बेचैन करने लगे तो यह एक तरह से तनाव है. यह शारीरिक तनाव भी हो सकता है और मानसिक तनाव भी हो सकता है. इसमें किसी चीज को लेकर चिंता होती है, बहुत कठिन परिस्थितियां आ जाती हैं या चुनौती होती है. इंसान का शरीर और दिमाग इस तरह से बना है कि इस तनाव को उसमें कंट्रोल करने की क्षमता स्वतः ही विकसित हो जाती है लेकिन जब यह तनाव बहुत लंबा खिचने लगे तो यह साइलेंट तरीके से धीरे-धीरे पूरे शरीर को खोखला करने लगता है.
हार्ट पर सबसे ज्यादा असर
टीओआई की खबर के मुताबिक बीएमजे में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 13.67 लाख लोगों पर 1987 से 2013 के बीच जब अध्ययन किया गया तो पाया गया कि जो लोग ज्यादा तनाव में जीते थे उनमें तनाव के कारण दिल से संबंधित कई बीमारियों ने जकड़ लिया. चिंता की बात यह है कि ये बीमारियां 50 साल से पहले की उम्र में ही लग जाती है. रिसर्च के मुताबिक तनाव का सबसे ज्यादा असर हार्ट पर पड़ता है. जब हम तनाव में रहते हैं तो स्ट्रेस वाला हार्मोन कॉर्टिसोल ज्यादा रिलीज होने लगता है. यह कॉर्टिसोल करीब 1500 केमिकल को इधर से उधर कर देता है. कॉर्टिसोल ब्लड प्रेशर को बढ़ा देता है. इससे हार्ट पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. जब तनाव नियमित रहने लगता है तब हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी हो जाती है. इस कारण खून की नलियां जो हार्ट की ओर जाती है वह हार्ड होने लगती है और इसके फटने का खतरा बढ़ जाता है. इन सबसे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बहुत हो जाता है.
पाचन तंत्र बिगड़ जाएगा
हार्ट के बाद डाइजेस्टिव सिस्टम पर आपके तनाव का गहरा असर होता है. तनाव के कारण गट बैक्टीरिया का बैलेंस बिगड़ जाता है. इससे पेट में दर्द, ब्लोटिंग और शौच जाने की आदत में बदलाव होने लगता है. इसके अलावा एसिड रिफलेक्स होने लगता है और ज्यादा समय तक तनाव रहने से पेप्टिक अल्सर का खतरा बढ़ जाता है. कॉर्टिसोल हार्मोन पेट में एसिड प्रोडक्शन को भी बढ़ा देता है जिससे आंत की म्यूकस लाइनिंग कमजोर होने लगती है. तनाव के कारण भूख पर असर पड़ता है जिसके कारण या तो लोग ज्यादा खाने लगते हैं या खाते ही नहीं है.
मांसपेशियां कमजोर होने लगेंगी
लंबे समय तक तनाव में रहने के कारण साइटोकिनेस का प्रोडक्शन कम हो जाता है जिसके कारण इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है. इससे आपको हमेशा इंफेक्शन लगने लगेगा और आप हमेशा बीमार रहेंगे. इतना ही नहीं इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण किसी भी बीमारी को ठीक होने में बहुत लंबा समय लगेगा. इन सब कारणों से इम्यून आपके अपने ही टिशू पर हमला करने लगेगा. इससे मांसपेशियां कमजोर होने लगती है. जब आप तनाव में रहते हैं तो इससे मसल्स पहले टाइट होने लगते हैं और इसमें दर्द होने लगता है. अक्सर गर्दन, कंधा और बैक एरिया में पेन होगा. इस सबका अंत में यह असर होगा कि इससे टेंपरोमेंडीबुलर ज्वाइंट डिसॉर्डर हो जाएगा जो फाइब्रोमायलजिया का कारण बन जएगा.
तो क्या तनाव किलर है
रिपोर्ट के मुताबिक तनाव खुद में किलर तो नहीं है लेकिन यह पूरे शरीर को तहस-नहस कर देता है. शरीर में इतनी तरह की दिक्कतें हो जाएंगी कि ये सब मिलकर समय से पहले मौत का कारण बन सकती है. दरअसल, जब तनाव बढ़ता है तो लोग स्मोक करने लगते हैं, ज्यादा शराब पीते हैं, ये सब मिलकर कई तरह की बीमारियां लाती है और अंत में समय से पहले मौत हो जाती है.
FIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 10:46 IST
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