आजकल बुजुर्गों में ही नहीं बल्कि युवाओं के भी जोड़ों में दर्द और हड्डियों के कट कट करने की आवाज आने की समस्या देखी जा रही है. 20 से 35 साल के ऐसे तमाम युवा इस परेशानी से जूझ रहे हैं. हालांकि जोड़ों की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए उम्मीद की किरण दिखाई दी है. जोड़ों की ऑटो इम्यून बीमारी रूमेटाइड अर्थराइटिस को अब ठीक किया जा सकता है. हालिया स्टडी में इसका खुलासा हुआ है.
रूमेटाइड अर्थराइटिस का ये इलाज आयुर्वेद में मिला है. हाल ही में हुए एक नए वैज्ञानिक अध्ययन से दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले ऑटोइम्यून रोग रूमेटोइड आर्थराइटिस (आरए) के प्रबंधन में आयुर्वेदिक होल सिस्टम (एडब्ल्यूएस) के जबर्दस्त असर का पता चला है. इस शोध से पता चलता है कि एडब्ल्यूएस न केवल आरए के लक्षणों को कम करता है बल्कि रोगियों में मेटाबॉलिक बदलाव को भी सामान्य करता है. इस रिसर्च को पारंपरिक चिकित्सा के लिए नई उम्मीद बताया जा रहा है.
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पबमेड-इंडेक्स रिसर्च जर्नल, जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन में प्रकाशित यह स्टडी जाने माने शोध संस्थानों के वरिष्ठ शोधकर्ताओं के एक समूह ने की है. यह शोधआर्थराइटिस ट्रीटमेंट एंड एडवांस्ड रिसर्च सेंटर (A-ATRC), काय चिकित्सा विभाग, राज्य आयुर्वेदिक कॉलेज एवं चिकित्सालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (CBMR), एसजीपीजीआईएमएस कैंपस, लखनऊ और अभिनव अनुसंधान अकादमी गाजियाबाद के वैज्ञानिकों ने किया है. यह स्टडी आयुर्वेद के होल सिस्टम अप्रोच के दृष्टिकोण के साथ अर्थराइटिस का इलाज किए जाने के मामले में संभावित पैथोलॉजी रिवर्सल के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है.
रिसर्च के प्रधान शोधकर्ता डॉ. संजीव रस्तोगी ने कहा, ‘यह अध्ययन ‘संप्राप्ति विघटन’ की आयुर्वेदिक अवधारणाओं का समर्थन करता है जिसमें रोग पैदा होने के कारणों व रोग की जटिलताओं को समाप्त कर दिया जाता है और ‘दोष’ को सामान्य स्थिति में लाया जाता है. इस तरह रोग को ठीक किया जाता है.’
अध्ययन में पाया गया है कि डिजीज एक्टिविटी स्कोर-28, एरिथ्रोसाइट सेडिमेंटेशन रेट में जबर्दस्त कमी दर्ज की गई साथ ही सूजे हुए और कमजोर पड़े शारीरिक जोड़ों की स्थिति में भी सुधार हुआ. इसके अलावा, इलाज के बाद शरीर में टॉक्सिन की मौजूदगी का आंकलन करने वाले एएमए एक्टिविटी मेजर (एएएम) स्कोर में भी काफी कमी भी देखी गई.
शोध के तहत आरए रोगियों की मेटाबॉलिक प्रोफाइल का भी अध्ययन किया गया और स्वस्थ शरीर से उनकी तुलना की गई. अध्ययन की शुरुआत में, आरए रोगियों के कुछ मेटाबोलाइट्स के स्तर को बढ़ा हुआ पाया, जिसमें सकसिनेट, लाइसिन, मैननोज़, क्रिएटिन और 3-हाइड्रॉक्सीब्यूट्रेट (3-एचबी) शामिल थे लेकिन आयुर्वेदिक समग्र चिकित्सा के बाद ऐलेनिन के स्तर में कमी आई. ये मेटाबॉलिक मार्कर स्वस्थ व्यक्तियों में पाए जाने वाले स्तर की तरह बढ़ने लगे, जो अधिक संतुलित चयापचय स्थिति में वापसी का संकेत देते हैं.
रिसर्चर्स के अनुसार, यह स्टडी आरए के प्रबंधन में एडब्ल्यूएस के प्रभाव को स्पष्ट रूप से बताने वाला पहला अध्ययन है. एडब्ल्यूएस उपचार ने न केवल लक्षणों को कम किया जा सकता है बल्कि होम्योस्टेसिस के लिए अनुकूल मेटाबॉलिक वातावरण का भी निर्माण किया जा सकता है जिससे संभावित रूप से आरए रोगियों के लिए दीर्घकालिक लाभ हो सकते हैं.
ये निष्कर्ष बेहद आशाजनक हैं, हालांकि अध्ययन के लेखक इन प्रारंभिक परिणामों की पुष्टि करने और उन तंत्रों को बेहतर ढंग से समझने के लिए आगे के शोध की जरूरत पर भी जोर देते हैं. इतना ही नहीं यह सफलता क्रॉनिक रूमेटोइड आर्थराइटिस जैसी स्थितियों में रोगी के स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने के लिए आधुनिक चिकित्सा दृष्टिकोण और पारंपरिक आयुर्वेदिक व्यवस्था को एकीकृत करने की क्षमता को भी बल प्रदान करता है.
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FIRST PUBLISHED : August 30, 2024, 14:34 IST
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