जांजगीर चांपा :- घर में लगा तुलसी का पौधा धार्मिक दृष्टि से ही नही बल्कि आर्युवेद की दृष्टि से भी गुणकारी होता है, आयुर्वेद में तुलसी का काढ़ा पीने से लाभ मिलता है, जैसे कि गले में खराश, नाक, खांसी, दमा, के लिए औषधीय के रूप में उपयोग कर सकते है. इसके साथ ही दांत दर्द के लिए काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत नीचे रखने से आराम मिलता है. तुलसी की पत्तियों को रोजाना खाली पेट चबाकर खाने से से व्यक्ति को तनाव मुक्त और पेट संबंधी बीमारियों से छुटकारा मिलता है. जानिए तुलसी के आयुर्वेदिक उपचार और उसके फायदे के बारे में आयुर्वेद विशेषज्ञ ने क्या बताया है.
तुलसी के फायदे आयुर्वेद में फायदे के बारे में जांजगीर चांपा जिला हॉस्पिटल के आयुर्वेद विशेषज्ञ विमल कुमार बरेठ ने बताया कि आयुर्वेद में तुलसी का बड़ा महत्व है. धार्मिक रूप से प्रतिदिन सुबह- शाम तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है.जिसके कारण हर घर के आंगन में या गमले में तुलसी का पौधा लगाया जाता है, इसके साथ ही तुलसी का पौधा जहां रहता है वहां का वातावरण और पर्यावरण दोनो शुद्ध के रहता है.
रोजाना खाली पेट तुलसी खाने तनाव से मिलती है मुक्ति
आयुर्वेद में तुलसी का मुख्य रूप से उपयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है, इसके साथ ही यूरिक एसिड कम करने में महत्वपूर्ण कार्य करता है, वही घर में तुलसी का काढ़ा और तुलसी का चाय पीने से लाभ मिलता है जैसे कि सर्दी, जुकाम, खांसी, दमा, के लिए औषधीय के रूप में उपयोग कर सकते है. वहीं बच्चों में बार बार बुखार आने पर इसका उपयोग कर सकते है, तुलसी की पत्तियों को रोजाना खाली पेट चबाकर खाने से से व्यक्ति को तनाव मुक्त और पेट संबंधी बीमारियों से छुटकारा मिलता है.
खांसी में भी मिलता है बड़ा आराम
तुलसी के 5 पत्ती प्रतिदिन पानी के साथ निगलने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है, तुलसी के पत्तों का रस निकालकर 5-10 मिलीग्राम दिन में कई बार आंखों में डालने से रतौंधी नष्ट होती है. इसके साथ ही दांत दर्द के लिए काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत नीचे रखने से आराम मिलता है. तुलसी के पत्ते का उपयोग में काढ़ा बनाकर या चाय में डालकर ले सकते है. तुलसी पत्ते का अर्क (रस) निकालकर पानी में मिलाकर पीते है पीने से खांसी में आराम मिलता है, तुलसी की मंजरी, सौंठ, प्याज का रस और शहद मिलाकर चटाने से सूखी खांसी और बच्चे के दमे में लाभ होता है. मुख्यत: एक दिन में दो बार 15 से 20 एमएल काढ़ा बनाकर पी सकते है.
FIRST PUBLISHED : September 11, 2024, 11:19 IST
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