देहरादून: शरीर के अंगों का भी दान किया जाता है. ऐसा करके आप दूसरों की जिंदगी बचा सकते हैं. आंखों का भी दान किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मरने के कितने घंटे बाद तक आंखों का दान किया जा सकता है? अधिकतर लोग इस सवाल का जवाब नहीं दे पाते. तो आइए जानते हैं.
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के दून अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा चलाया जा रहा है. जिसके तहत अस्पताल आने वाले लोगों को नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है.
कौन कर सकता है नेत्रदान?
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नेत्र रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ शांति पांडेय ने Bharat.one को जानकारी देते हुए कहा कि मृत्यु के बाद अगर आप किसी व्यक्ति के जिंदगी के अंधकार को दूर करना चाहते हैं, तो उसके लिए नेत्रदान एक अच्छा कदम है. लोगों को राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा के तहत नेत्रदान के लिए जागरूक किया जा रहा है. लोग अस्पताल आकर पंजीकरण भी करवा रहें हैं.
क्या मृत्यु के बाद नेत्रदान कर सकते हैं?
मृत्यु होने पर 4 से 6 घण्टे के भीतर आंखों का दान किया जा सकता है. मृत इंसान की आंख को नजदीक आई बैंक डोनेट कर देना चाहिए. ताकि जल्दी से जल्दी कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया जा सके. 6 घंटे और इसके बाद आंखें खराब होने लगती हैं. देहरादून में 4 आई बैंक हैं.
इस बात का जरूर रखा जाता है ख्याल
इसके अलावा डोनर की मृत्यु होने बाद उसकी आंखों पर गीली पट्टी रख देनी चाहिए. उसकी आंखें बंद कर देनी चाहिए. ताकि उसमें नमी बनी रहे और वह खराब न हो. डॉक्टर ने बताया कि जिस इंसान को एड्स, सिफलिसया ब्लड से संबंधित इन्फेक्शन हो या फिर जिसकी मृत्यु रेबीज से हुई हो, तो वह इंसान नेत्रदान नहीं कर सकता है. जिस व्यक्ति ने रजिस्ट्रेशन करवाया हो उसकी मृत्यु के बाद परिवार सूचना भेजता है. इसके बाद ग्रीफ टीम आती है. टीम के आने तक आंखों पर पानी छिड़कना चाहिए या आंखों पर गीला कपड़ा रखना चाहिए. साथ ही व्यक्ति को हवादार स्थान पर रखना चाहिए.
FIRST PUBLISHED : September 6, 2024, 11:55 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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