फेफड़ों का कैंसर सबसे आम कैंसर है, जो सिगरेट पीने से बढ़ता है. यह ब्रेन तक फैल सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट की माने तो यह दूसरा कैंसर पैदा कर सकता है. द लैंसेट रीजनल हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, भारत में फेफड़ों के कैंसर के हर साल 72,510 नए मामले सामने आते हैं, जो सभी कैंसर मामलों का 5.8 प्रतिशत है. यह तीसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है.
हेल्थ एक्सपर्ट ने कहा कि महत्वपूर्ण चुनौती तब पैदा होती है जब फेफड़ों का कैंसर शरीर के महत्वपूर्ण हिस्सों जैसे मस्तिष्क तक फैल जाता है. फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख एवं प्रधान निदेशक प्रवीण गुप्ता ने बताया, “मस्तिष्क में कैंसर के फैलने की समस्या कई प्रकार के कैंसर में आम है, खासकर फेफड़ों के कैंसर के मरीजों में.” प्रवीण गुप्ता ने आगे कहा, “एडवांस नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (एनएससीएलसी) के लगभग 10 प्रतिशत नये मरीजों में मस्तिष्क में कैंसर फैलता है. इन मामलों में 40 से 50 प्रतिशत मामलों में फेफड़ों का कैंसर मुख्य ट्यूमर होता है.” मस्तिष्क में कैंसर फैलने के मामलों का इलाज करने के लिए कई विशेषज्ञों की टीम की जरूरत होती है, जिसमें कैंसर विशेषज्ञ, न्यूरोलॉजिस्ट और पैलिएटिव केयर विशेषज्ञ शामिल होते हैं, ताकि मरीजों की जटिल जरूरतों को पूरा किया जा सके.
डॉक्टरों का प्राथमिक लक्ष्य मरीजों के दर्द और परेशानियों को कम करना, उनकी जिंदगी की उम्मीद को बढ़ाना और लंबा करना, उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए व्यक्तिगत उपचार और सहायक देखभाल देना होता है. जब फेफड़ों का कैंसर मस्तिष्क में फैल जाता है, तो इसका इलाज सिस्टमिक कीमोथेरेपी जैसे उपचारों के माध्यम से किया जा सकता है. ये ट्रीटमेंट फेफड़ों में मौजूद मुख्य कैंसर और मस्तिष्क में फैले कैंसर दोनों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं.
भारत में फेफड़ों के कैंसर के लिए तम्बाकू धूम्रपान प्रमुख जोखिम फेक्टर है, जिससे बहुत से लोगों में यह बीमारी होती है. एस्टर आरवी अस्पताल के इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी एवं लंग ट्रांसप्लांटेशन के प्रमुख कंसल्टेंट पवन यादव ने बताया, “सिगरेट पीना फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण है, जो सभी मामलों में लगभग 85 प्रतिशत जिम्मेदार है. सिगरेट पीना बंद करना जोखिम को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है.” हालांकि, कैंसर का जल्द पता लगाना और समय पर जांच कराना, फेफड़ों के कैंसर के परिणामों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उन्होंने आगे कहा कि जब फेफड़ों के कैंसर का पता शुरुआती चरण में लग जाता है और जब यह शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैला होता है, तो सफल उपचार और संभावित इलाज की संभावना ज्यादा होती है. (IANS से इनपुट के साथ)
FIRST PUBLISHED : August 4, 2024, 15:50 IST
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