नई दिल्ली, घर के बाहर बच्चों का खेलना, बाबूजी का धूप में बैठकर अखबार पढ़ना, या महिलाओं का दरवाजे से बाहर निकलकर घर के काम करना, ये सब बीते जमाने की बात हो गई हैं. अब ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है. कि लोग घर से बाहर जाकर धूप के साथ दो-दो हाथ करें. यहां तक कि जरूरी सामान लाना हो तो होम डिलीवरी करा लेंगे, लेकिन घर से बाहर नहीं जायेंगे. और ये चीजें हमारे और आपके लिये कोई अच्छा संकेत है. इसके कई दुष्परिणाम हो सकते हैं.
आपको बता दें, पोषण संबंधी उपायों पर काम करते हुए भारत में हर साल 1 सितंबर से लेकर 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है. आईएएनएस भी इसी कड़ी में लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है. आज हम विटामिन डी की डेफिशियेंसी के बारे में बात करेंगे. जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर विटामिन डी की कमी से लोगों को क्या-क्या स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आ सकती है.
आज देश की लगभग 80 से 90 प्रतिशत आबादी विटामिन डी की डेफिशियेंसी से जूझ रही है. पिछले साल टाटा ग्रुप के कराए एक सर्वे में यह बात सामने आई कि भारत में हर चार में से तीसरा आदमी विटामिन डी की डेफिशियेंसी से जूझ रहा है. खासकर पिछले कुछ वर्षों में देखने को मिल रहा है, कि विटामिन डी की जांच कराने वाले लोगों की संख्या में उछाल आया है. इसके बारे में जानकारी जुटाने के लिए आईएएनएस ने दिल्ली के झिलमिल स्थित ईएसआईसी (इंदिरा गांधी) अस्पताल के सीनियर रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य से बात की. जिन्होंने बताया कि उनके अस्पताल में रोजाना करीब 200 मरीज विटामिन डी की डेफिशियेंसी की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं.
विटामिन डी को लेकर लोगों के मन में कई तरह के बातें आती है, जैसे कि हम तो पूरे दिन धूप में ही रहते हैं हमें विटामिन डी की डेफिशियेंसी कैसे हो सकती है? आपको बता दें कि विटामिन डी हमारे शरीर में पाया जाने वाला एक नेचुरल सब्सटेंस है. जो हमें धूप से मिलता है. भारत जैसे देश में यह लोगों को एक दिन में 30 से 40 मिनट धूप में बिताने से मिल सकता है. लोगों को लगता है कि हम तो रोजाना बाहर घूमते फिरते हैं फिर एक्सट्रा धूप किस लिए?
जो लोग यह दावा करते है कि हम तो रोजाना 30 से 40 मिनट आराम से धूप में बिता देते हैं फिर भी हमारा विटामिन डी क्यों कम हैं, तो इसके पीछे एक सबसे बड़ा कारण यह है कि हम बाहर तो निकलते हैं मगर अपने शरीर पर धूप की एक भी किरण पड़ने नहीं देते. हम ज्यादा से ज्यादा शरीर को कपड़ों से ढक लेते है, सनस्क्रीन लगाकर बाहर निकलते है. तो ऐसे में शरीर में विटामिन डी नहीं पहुंच पाता. इसी कारण हमारे देश में आज इतनी संख्या में लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं.
एक्सपर्ट बताते हैं कि पहले लोग अपना ज्यादातर कामों को धूप में बैठकर ही पूरा करते थे. मगर वर्तमान में इसी के उलट हम अपने सारे दैनिक काम घरों के चारदीवारी में बैठ करना पसंद करते हैं. बच्चों का भी घरों से निकलना कम हो गया है, बाहर धूप में खेलने की बजाय वह अपने मोबाइल और टैबलेट में समय बिताना पसंद करते हैं, इस कारण भी ज्यादातर बच्चे आज विटामिन डी की डेफिशियेंसी का शिकार हो रहे हैं.
विटामिन डी की डेफिशियेंसी को लेकर आईएएनएस ने भगवान महावीर अस्पताल में जनरल सर्जन डॉ. भरत चौधरी से बात की. डॉ. भरत चौधरी ने बताया, ”विटामिन डी हमारी हड्डियों को मजबूत करने का काम करता है. यह शरीर के लिए बेहद जरूरी है. यह हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को भी ठीक रखने में मदद करता है.”
कैसे जानें कि आप विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं? सवाल पर डॉ. भरत कहते हैं, ”आजकल लोग धूप में कम ही निकलते है, जिसके कारण उन्हें विटामिन डी की डेफिशियेंसी से जूझना पड़ता है. मोटापे की वजह से या खान-पान संबंधी गलत आदतों से भी इसमें कमी आ सकती है. ज्यादातर यह शाकाहारी भोजन लेने वालों में देखा जाता है.”
आगे कहा, ”जिस व्यक्ति में विटामिन डी की कमी है उसे पूरे दिन थकान जैसा महसूस होना, हड्डियों में दर्द, जल्दी जल्दी बीमार पड़ना और घावों के देर से ठीक होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.” विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए डॉ. भरत चौधरी ने सलाह देते हुए कहा, ” इसे आप घरेलू डाइट से भी ठीक कर सकते हैं. इसके लिए आप ऑरेंज जूस, डेयरी प्रोडक्ट के अलावा फिश और अंडों का सेवन भी कर सकते हैं.” साथ ही कहा कि अगर समस्या ज्यादा हो रही है तो इसके लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर लें.
FIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 13:01 IST
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