Bombay High Court Verdict on Surrogacy: सरोगेसी के जरिए जन्मे बच्चे पर एग डोनर का कोई कानूनी अधिकार नहीं होता है. एग या स्पर्म डोनर IVF ट्रीटमेंट से पैदा हुए बच्चे के पैरेंटल अधिकारों का दावा नहीं कर सकते हैं. मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. अदालत ने एक मामले को लेकर कहा है कि सरोगेसी के जरिए जन्मे बच्चे पर डोनर को बायोलॉजिकल मां का अधिकार नहीं मिल सकता है. सरोगेसी एक्ट के तहत डोनर का केवल बायोलॉजिकल योगदान होता है और बच्चे के कानूनी माता-पिता की पहचान जन्म के समय होती है. इस फैसले से सरोगेसी और डोनर के अधिकारों के बीच की सीमाएं स्पष्ट की गई हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठाणे की अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता महिला को उसके जुड़वा बच्चों से मिलने से मना कर दिया गया था, क्योंकि वह उनकी बायोलॉजिकल मदर नहीं थी. हाईकोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुआ कहा कि किसी व्यक्ति द्वारा एग या स्पर्म डोनेट करने से उन्हें सरोगेसी या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) ट्रीटमेंट से पैदा हुए बच्चों पर माता-पिता के अधिकार का दावा नहीं किया जा सकता है. यह फैसला एक ऐसे मामले में आया है, जिसमें डोनर ने बच्चे पर कानूनी अधिकार की मांग की थी. अदालत ने एक महिला के इस दावे को खारिज कर दिया. इसके अलावा बच्चों की मां को उनसे मिलने की इजाजत मिल गई.
हाईकोर्ट ने कहा कि सरोगेसी एक्ट के तहत जन्मे बच्चे के कानूनी माता-पिता की पहचान पहले से निर्धारित होती है और डोनर का अधिकार केवल बायोलॉजिकल आधार पर सीमित होता है. अदालत ने अपने फैसल में यह भी कहा कि सरोगेसी के मामले में कानूनी अधिकारों की रक्षा और स्पष्टता सुनिश्चित करने के लिए कानूनों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह फैसला सरोगेसी के कानूनी पहलुओं को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसे लेकर आने वाली कानूनी प्रक्रियाओं पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा.
क्या होती है सरोगेसी? आसान भाषा में समझें
वेबएमडी की रिपोर्ट के मुताबिक सरोगेसी एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें एक महिला IVF प्रोसेस के जरिए किसी अन्य कपल के बच्चे की मां बनती है. इसमें एक कानूनी एग्रीमेंट होता है, जिसके तहत महिला बच्चे को जन्म देती है और जन्म के बाद बच्चे के माता-पिता का अधिकार दूसरे कपल को मिल जाता है. जन्म देने वाली महिला का बच्चा पैदा होने के बाद उस पर कोई कानूनी अधिकार नहीं रह जाता है. भारत में कमर्शियल सरोगेसी बैन है, जिसके तहत पैसे देकर कोई किसी महिला से सरोगेसी नहीं करवा सकता है. हालांकि शर्तों के साथ कुस केसेस में सरोगेसी की इजाजत मिल जाती है. कई देशों में कपल्स किसी महिला को गर्भधारण करने के लिए पैसे देते हैं और जन्म के बाद बच्चा कपल का हो जाता है.
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FIRST PUBLISHED : August 14, 2024, 09:37 IST
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