Why Do Athletes Get Arthritis: भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी और ओलंपिक मेडलिस्ट साइना नेहवाल अर्थराइटिस से जूझ रही हैं. साइना ने एक पॉडकास्ट में अपनी बीमारी के बारे में बताया है. उन्होंने कहा कि वे अर्थराइटिस की वजह से अब 8-9 घंटों की ट्रेनिंग नहीं कर पा रही हैं. साइना की उम्र महज 34 साल है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें जॉइंट्स की यह बीमारी हो गई है. अब सवाल है कि क्या खिलाड़ियों को कम उम्र में अर्थराइटिस का खतरा ज्यादा होता है? अगर हां, तो इसकी क्या वजह हो सकती हैं और इससे किस तरह बचा जा सकता है. इन सवालों के जवाब एक्सपर्ट से जान लेते हैं.
नई दिल्ली के MASSH हॉस्पिल के ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. सुधीर सेठ ने Bharat.one को बताया कि अर्थराइटिस जॉइंट्स से जुड़ी कॉमन समस्या है, जिसमें जॉइंट्स के बीच लुब्रिकेशन का काम करने वाला कार्टिलेज कम होने लगता है. इसकी वजह से घुटनों में दर्द और सूजन होने लगती है. अगर अर्थराइटिस की समस्या ज्यादा बढ़ जाए, तो लोगों के लिए चलना-फिरना भी दुश्वार हो सकता है. अर्थराइटिस की बीमारी खिलाड़ियों को ज्यादा प्रभावित करती है, क्योंकि वे कम उम्र से ही खेलकूद शुरू कर देते हैं और घंटों ट्रेनिंग करते रहते हैं.
डॉक्टर सुधीर सेठ ने बताया कि बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल और क्रिकेट जैसे गेम्स में खिलाड़ियों के घुटनों पर एसिमिट्रिकल फोर्स पड़ता है. कम उम्र से लेकर 30-35 साल तक की उम्र तक खिलाड़ी जमकर खेलते हैं, जिससे उन्हें रिपीटिटिव इंजरी भी होने लगती हैं. इसकी वजह से घुटनों, एंकल और पैरों की हड्डियों में अर्थराइटिस की समस्या होने लगती है. खिलाड़ियों को रिकवरी का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है और कई बार लगातार लंबे समय तक भागदौड़ करनी पड़ती है. इसकी वजह से अर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है. सही समय पर ट्रीटमेंट न कराने से यह समस्या लगातार बढ़ती रहती है.
हड्डियों के एक्सपर्ट की मानें तो कॉन्टेक्ट गेम्स में राइट और लेफ्ट पैरों पर ज्यादा लोड आने लगता है. टेनिस और बैडमिंटन जैसे खेलों में खिलाड़ियों को किसी एक हाथ, कंधे और जॉइंट पर ज्यादा दवाब आ जा जाता है, जिससे इंजरी होने लगती हैं. लगातार चलने वाले कॉम्प्टीटिव गेम्स में खिलाड़ियों के लिगामेंट्स और कार्टिलेज रिकवर नहीं हो पाते हैं, जिसकी वजह से 10 साल में घुटने खराब होने लगते हैं. खिलाड़ियों को ट्रेनिंग के दौरान इंजरी से बचना चाहिए, क्योंकि इस दौरान इंजरी होने से अर्थराइटिस की समस्या ज्यादा बढ़ सकती है. एथलीट्स को अर्थराइटिस से बचने की कोशिश करनी चाहिए.
आर्थोपेडिक एक्सपर्ट ने बताया कि खिलाड़ियों को अर्थराइटिस के लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज कराना चाहिए, वरना यह समस्या तेजी से बढ़ सकती है और उनके लिए खेलना मुश्किल हो सकता है. कई खिलाड़ी गेम्स के कारण इलाज में लापरवाही बरत रहे हैं, जिसकी वजह से कार्टिलेज ज्यादा खराब होने लगता है. खिलाड़ियों को अर्थराइटिस से बचने के लिए प्रीकॉशन लेने चाहिए और सही समय पर इलाज कराना चाहिए. आज के जमाने में कई एडवांस टेक्नोलॉजी उपलब्ध हैं, जिनसे इलाज करने के बाद खिलाड़ी दोबारा मैदान पर लौट सकते हैं. हालांकि समस्या ज्यादा बढ़ जाए, तो मुश्किल हो सकती है.
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FIRST PUBLISHED : September 5, 2024, 13:18 IST
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