Sunday, November 9, 2025
18 C
Surat

हाथी की तरह फूल जाते हैं हाथ-पांव, इस बीमारी का यूपी-बिहार में आतंक, अब सरकार ने की भगाने की तैयारी


हाथी की तरह पैर-हाथ को फुला देने वाली हाथी पांव बीमारी ने यूपी और बिहार में आतंक फैलाया हुआ है. मच्‍छरों के काटने से होने वाली इस संक्रामक बीमारी को लिम्फैटिक फाइलेरियासिस या एलिफेंटियासिस भी कहते हैं. इस बीमारी में शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन आ जाती है और त्वचा हाथी की तरह मोटी और सख्त हो सकती है. पैरों के अलावा ये हाथ, स्तन, और जननांगों में भी हो सकती है. जिससे शरीर के ये हिस्से भारी और गांठदार दिखने लगते हैं. साथ ही, सूजन वाले हिस्से में दर्द भी हो सकता है. हालांकि अब इस बीमारी को दूर भगाने के लिए केंद्र सरकार ने बजट में बढ़ोत्‍तरी कर दी है.

हाथी पांव बीमारी के उन्मूलन के लिए वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए भारत के बजट में 12.96 फीसदी की वृद्धि हुई है. 2024-2025 के लिए बजट की राशि 90,958.63 करोड़ रुपये है. बजट में यह बढ़ोत्तरी हेल्थकेयर को बेहतर बनाने के लिए देश की प्रतिबद्धता को दर्शाती है. इस बजट में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) को भी अतिरिक्त 4,000 करोड़ रुपये मिले हैं, जिससे इसका कुल बजट 36,000 करोड़ रुपये हो गया है. इस मिशन का उद्देश्य प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को मजबूत करने के साथ ही हाथी पांव जैसी सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से निपटने के लिए भी तेज प्रयास करना है.

ये भी पढ़ें 

कुट्टू का आटा क्‍यों बन जाता है जानलेवा, लोगों को हर साल करता है बीमार? एक्‍सपर्ट ने बताई वजह

नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के पूर्व डायरेक्टर डॉ. नीरज ढींगरा ने कहा, ‘हाथी पांव बीमारी के बोझ को कम करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता इस बात से स्पष्ट होती है कि उन्होंने इसके लिए इस बार के बजट में राशि बढ़ाकर आवंटित की है. ‘हाथी पांव उन्मूलन’ कार्यक्रम में पिछले 4 वर्षों में बजट आवंटन में उल्लेखनीय 300 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. यह वृद्धि संसाधनों के प्राथमिकताकरण का संकेत है.’

डॉ. ढींगरा ने बताया कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों, जहां पर इस बीमारी का बोझ ज्यादा है, वहां काफी कुछ बदला है. इन राज्यों में वित्त वर्ष 2019-20 से बजट प्रस्तावों और स्वीकृतियों में काफी वृद्धि हुई है. बढ़ी हुई फंडिंग के कारण बजटीय उपयोग में सुधार हुआ है. फंडिंग में यह वृद्धि 2017-18 और 2018-19 के बीच 60% से बढ़कर 73% हो गयी थी. उन्होंने कहा, ‘इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट में लगातार निवेश, विशेष रूप से बायोलॉजिकल मार्करों और हाई ट्रांसमिशन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए बहुत जरूरी है.’

पिरामल फाउंडेशन के कम्युनिकेबल डिजीजेस के टीम लीडर विकास सिन्हा ने भविष्य की दिशा पर जोर देते हुए कहा, “वैश्विक लक्ष्य से पहले हाथी पांव को खत्म करने का भारत का संकल्प इस दुर्बल करने वाली बीमारी को प्राथमिकता देता है. सरकार द्वि-वार्षिक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) के माध्यम से मुफ्त दवा प्रदान करती है, मुफ्त हाइड्रोसील सर्जरी करती है, और ज्यादा बोझ वाले राज्यों में फंड प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करती है. बिहार में विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने की संख्या 2021 में शून्य से बढ़कर 2023 में 3,721 हो गई. यह आंकड़ा वहां पर सस्टेनबल फाइनैंसिंग (स्थायी वित्तपोषण) के महत्व को दर्शाता है.

ये भी पढ़ें 

छोटे-छोटे बच्‍चों की हार्ट अटैक से क्‍यों हो रही मौत, क्‍या स्‍कूल है वजह? डॉ. ने बताई सच्‍चाई


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-hathi-panv-lymphatic-filariasis-or-elephantiasis-disease-by-mossquito-bite-in-up-bihar-now-budget-increased-for-eradication-8636126.html

Hot this week

Topics

Neem Health Benefits in Winter | Bharatpur Local Ayurvedic Tips

Last Updated:November 09, 2025, 09:38 ISTNeem Health Benefit:...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img