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रिसर्च ने पाया कि जिन लोगों को अल्ज़ाइमर का खतरा था, वे अगर हर दिन 3000 से 5000 कदम चले तो मानसिक गिरावट को तीन साल तक टाल सके.
अल्ज़ाइमर के खतरों से बचना है तो पैदल चलना शुरू कर दें. एक नई स्टडी में सामने आया है कि जिन लोगों में अल्ज़ाइमर का खतरा अधिक होता है, पैदल चलना उनकी बीमारियों को रोक सकता है. पैदल चलने से उनकी कॉगनेटिव में गिरावट धीमी हो सकती है. अल्ज़ाइमर और डाइमेंशिया के मरीजों में कॉगनेटिव गिरावट देखी जाती है.
रिसर्च ने पाया कि जिन लोगों को अल्ज़ाइमर का खतरा था, वे अगर हर दिन 3000 से 5000 कदम चले तो मानसिक गिरावट को तीन साल तक टाल सके. वहीं, 5000 से 7000 कदम चलने वाले लोगों में यह गिरावट औसतन 7 साल तक देरी से हुई.
ब्रेन में क्या असर होता है?
मैं इस समय Bharat.one App टीम का हिस्सा हूं. Bharat.one App पर आप आसानी से अपनी मनपसंद खबरें पढ़ सकते हैं. मुझे खबरें लिखने का 4 साल से अधिक का अनुभव है और फिलहाल अभी सीनियर सब एडिटर के पद पर हूं. इससे पहले इनशॉर्ट्स औ…और पढ़ें
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मैस जनरल ब्रिघम में न्यूरोलॉजिस्ट और इस स्टडी की लेखिका वाई-इंग वेंडी याउ के अनुसार, “अगर आप अधिकतर समय बैठे रहते हैं, तो थोड़ी-सी भी हलचल मानसिक गिरावट को धीमा करने में मदद कर सकती है.”
इस स्टडी में लगभग 300 बुजुर्ग लोग शामिल थे. इनमें से कुछ के ब्रेन स्कैन से पता चला कि उनके मस्तिष्क में एमिलॉयड बीटा प्रोटीन जमा हो रहा था. इनमें टाऊ (Tau) नाम के दूसरे प्रोटीन का जमाव धीरे-धीरे हुआ. यह वही प्रोटीन है जो दिमाग की सेल्स के बीच कम्युनिकेशन को रोकता है. यह अल्ज़ाइमर का शुरुआती संकेत होता है. इस स्टडी को औसतन 9 साल तक फॉलो किया गया.
एमिलॉयड बीटा और टाऊ क्या होते हैं
दिल्ली एम्स में न्यूरोफिज़ियोलॉजिस्ट डॉ. अचल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि एमिलॉयड और टाऊ एक तरह के प्रोटीन ही होते हैं. इनका दिमाग में अलग-अलग फंक्शन होता है. कभी-कभी दिमाग में इनकी मात्रा बढ़ने और स्ट्रक्चरल बदलाव के कारण ये बीमारियाँ पैदा करते हैं. ये आम तौर पर डिमेंशिया के लिए जिम्मेदार होते हैं.
नियमित फिजिकल एक्टिविटी अल्ज़ाइमर के शुरुआती चरणों में रोग को धीमा कर सकती है. इस रिसर्च में यह सामने आया है. टाऊ टैंगल्स और बीटा-एमिलॉयड प्लेक न्यूरॉन सिस्टम को काम करने से रोकते हैं. इससे न्यूरॉन सिस्टम की सेल्स को या तो नुकसान होता है या फिर वे कभी-कभी मर जाती हैं. किसी व्यक्ति के कदमों की संख्या ब्रेन में प्रोटीन जमाव और उसकी कॉगनेटिव व रोजमर्रा कार्यक्षमता से गहराई से जुड़ी होती है.
डॉ. याउ के अनुसार, इस स्टडी की एक सीमा यह है कि पेडोमीटर केवल कदमों की संख्या मापता है, न कि यह बताता है कि वे चलकर लिए गए या दौड़कर. साथ ही यह जानकारी भी नहीं थी कि प्रतिभागी जिम ट्रेनिंग, तैराकी या अन्य तरह की एक्सरसाइज करते थे या नहीं.
नो पेन, नो गेन
कई लोगों के लिए एक्सरसाइज करना आसान नहीं होता. डॉ. याउ कहती हैं, “एक्सरसाइज की आदत डालना मुश्किल होता है, लेकिन मैं अपने मरीजों से कहती हूं कि हर छोटा कदम भी मददगार होता है. हर कदम जो आप सही दिशा में बढ़ाते हैं, वह दिमाग के लिए अच्छा है.”
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