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दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार में शुरू किए गए मोहल्ला क्लीनिकों को लेकर फिर एक विवाद सामने आ रहा है. मोहल्ला क्लीनिकों से मरीजों को आधार कार्ड न दिखाने पर वापस लौटाया जा रहा है. क्लीनिकों में काम कर रहे स्टाफ ने बताया कि प्रशासनिक निर्देशों का पालन करना होगा. हालांकि दिल्ली सरकार की ओर से इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है.
Delhi Mohalla Clinics: दिल्ली में मुफ्त, तत्काल और सुलभ इलाज के वादे के साथ शुरू हुए मोहल्ला क्लीनिकों से अब मरीजों को बिना स्वास्थ्य सेवा दिए लौटाया जा रहा है. क्लीनिकों की ओर से इसकी वजह बताई जा रही है आधार कार्ड. यह पहली बार है जब मोहल्ला क्लीनिक आधार कार्ड न दिखाने पर मरीज को बिना इलाज दिए वापस घर भेज रहे हैं. जबकि अभी तक किसी भी अस्पताल, डिस्पेंसरी या स्वास्थ्य सेवा संस्थान की ओर से ऐसा नहीं किया जाता है.
मोहल्ला क्लीनिक में इलाज कराने पहुंचे रिक्शा चालक रमेश ने बताया कि उसकी तबियत खराब थी तो वह मोहल्ला क्लीनिक में दवा लेने चला आया क्योंकि यहां मुफ्त में इलाज होता है और दूसरा यहां ज्यादा मरीजों की भीड़ भी नहीं होती. इससे पहले भी कई बार इस क्लीनिक में इलाज कराया है लेकिन पहले ऐसे कभी नहीं लौटाया था, अब कहा कि अपना आधार कार्ड लेकर आओ, तभी इलाज मिलेगा. रमेश ने निराश होते हुए आगे कहा कि उसके पास प्राइवेट डॉक्टर से दवा लेने के पैसे भी नहीं हैं और आधार कार्ड भी ढूंढना पड़ेगा. ऐसे में अभी क्या किया जाए.
इस बारे में आसपास मौजूद अन्य लोगों ने कहा कि दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिकों को शुरू ही उन लोगों के लिए किया गया था जो आर्थिक रूप से तो कमजोर हैं ही, छोटी-मोटी बीमारियों और स्वास्थ्य जांचों के लिए दूर नहीं जा सकते हैं. ऐसे में इन लोगों को एकदम पड़ौस में ही तत्काल इलाज मिल सके. ऐसे में लोग ये भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या आधार कार्ड की अनिवार्यता मोहल्ला क्लीनिक पहल की मूल भावना के अनुरूप है? जबकि इन क्लीनिकों की शुरुआत नौकरशाही बाधाओं के बिना समान स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए की गई थी. ऐसे में यह नया नियम लोगों को झटके जैसा लग रहा है.
यह फैसला प्रशासनिक लग रहा है हालांकि इससे वे लोग परेशान हैं जो प्राइमरी हेल्थ केयर के लिए इन क्लीनिकों पर निर्भर हैं. इनमें दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक, प्रवासी और बुजुर्ग आदि शामिल हैं. वहीं कई ऐसे भी लोग हैं जो अपना आधार कार्ड अपने साथ नहीं रखते हैं या कुछ ऐसे भी हैं जिनके आधार खो चुके हैं.
इस बारे में क्लिनिक के डॉक्टरों का तर्क है कि मरीजों का रिकॉर्ड रखने और सेवा वितरण में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए आधार कार्ड को लिंक करना जरूरी है. क्लिनिक के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आधार कार्ड मरीज़ों की पहचान करने और दोहराव रोकने में मदद करता है. इससे मरीजों को असुविधा हो सकती है लेकिन स्टाफ को दिए गए निर्देशों को मानना ही होगा.
हालांकि हेल्थ सेक्टर से जुड़े एक विशेषज्ञ ने कहा कि दिल्ली सरकार ने अभी तक इस बारे में कोई स्पष्ट सार्वजनिक बयान जारी नहीं किया है कि सभी मोहल्ला क्लीनिकों में आधार आधिकारिक तौर पर अनिवार्य है या नहीं. लेकिन फिर भी अगर ऐसी कोई अनिवार्यता लागू की जा रही है, तो यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक समीक्षा की जरूरत हो सकती है कि इससे सबसे ज्यादा जरूरतमंद लोग बुनियानी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रह जाएं.जैसा कि एक स्थानीय निवासी ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा एक अधिकार होनी चाहिए, न कि सिर्फ़ कागजों से बंधा कोई विशेषाधिकार.

अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.Bharat.one.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्…और पढ़ें
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.Bharat.one.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्… और पढ़ें
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