देहरादून : स्कोलियोसिस(Scoliosis) का अर्थ है रीढ़ की हड्डी का असामान्य टेढ़ापन, जो साइड से मुड़ने के कारण S या C के आकार में बदल जाती है. सामान्यत: रीढ़ की हड्डी सीधी होती है, लेकिन स्कोलियोसिस से प्रभावित व्यक्ति की रीढ़ में कमर या कंधे के स्तर पर असामान्यता देखने को मिलती है. ये समस्या आजकल कम उम्र के बच्चों में तेजी से फैल रही है. दिनभर डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल, गलत तरीके से बैठना और शारीरिक गतिविधियों की कमी के चलते ये अधिक बढ़ सकती है. हालांकि ये बीमारी जन्मजात भी होती है.
देहरादून के जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अमीष भंडारी बताते हैं कि स्कोलियोसिस के तीन मुख्य कारण होते हैं: जन्मजात (कभी-कभी जन्म से ही), इडियोपैथिक (जिसका कोई स्पष्ट कारण नहीं होता) और न्यूरोमस्कूलर (जिनमें मांसपेशियों की कमजोरी होती है). आजकल, इडियोपैथिक स्कोलियोसिस तेजी से बढ़ रहा है, विशेषकर उन में जो घंटों बिस्तर पर या मोबाइल फोन पर बिताते हैं. यह स्थिति मांसपेशियों को कमजोर कर देती है, जिससे रीढ़ का टेढ़ापन बढ़ता है.
क्या हैं स्कोलियोसिस के लक्षण?
डॉ. अमीष भंडारी बताते हैं कि लोग अक्सर स्कोलियोसिस को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन इसके लक्षणों में शामिल हैं- कमर या कंधे की असामान्यता, पीठ में दर्द, और सामान्य गतिविधियों में कठिनाई. यदि समय रहते इस समस्या का निदान न किया जाए, तो यह स्थिति गंभीर हो सकती है. डॉ. अमीष भंडारी का कहना है कि कुछ मामलों में, जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, समस्या अपने आप ठीक हो सकती है. लेकिन गंभीर मामलों में, जब झुकाव 50 डिग्री से अधिक हो जाता है, सर्जरी एकमात्र विकल्प बन जाता है.
इन उपायों से करें रोग को छूमंतर
स्कोलियोसिस की रोकथाम के लिए कई प्रभावी उपाय हैं, जो बच्चों और युवाओं को स्वस्थ रीढ़ बनाए रखने में मदद कर सकते हैं. यहां कुछ प्रमुख उपाय दिए गए हैं:
1. सही बैठने की आदतें
– हमेशा सीधे बैठें और अपनी रीढ़ को सपोर्ट देने के लिए सही आकार की कुर्सी का उपयोग करें.
– कंप्यूटर या मोबाइल का उपयोग करते समय स्क्रीन को आंखों के स्तर पर रखें, ताकि गर्दन झुकने की आवश्यकता न पड़े.
2. नियमित व्यायाम
– नियमित शारीरिक गतिविधियां जैसे कि योग, तैराकी और स्ट्रेचिंग करना रीढ़ की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है
– विशेष रूप से बैक और एब्डोमिनल मांसपेशियों के लिए व्यायाम करें, जैसे प्लैंक और बर्पीज़
3. डिजिटल उपकरणों का सीमित उपयोग
– डिजिटल गैजेट्स का उपयोग सीमित करें और सुनिश्चित करें कि बच्चों के पास पर्याप्त समय हो आउटडोर एक्टिविटी के लिए.
– एक निश्चित समय के बाद गैजेट्स का उपयोग रोकें.
4. सही नींद की आदतें
– सोते समय एक सपाट और उचित गद्दा का उपयोग करें, जो रीढ़ को सपोर्ट करे
– सोने के दौरान सही पोजिशन का ध्यान रखें, जैसे कि पीठ के बल सोना
5. संतुलित आहार
– हड्डियों की सेहत के लिए जरूरी पोषक तत्वों जैसे कैल्शियम, विटामिन D, और प्रोटीन से भरपूर आहार लें.
– हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, मछली और नट्स का सेवन बढ़ाएं.
इन उपायों को अपनाकर हम स्कोलियोसिस की संभावित समस्या को कम कर सकते हैं और बच्चों की रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ बनाए रख सकते हैं.
FIRST PUBLISHED : October 30, 2024, 18:17 IST
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