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इस फेमस नेता के पोर-पोर से निकालने लगी कट-कट की आवाज, इन्हें क्यों पड़ी कायोरोप्रैक्टिक थेरेपी की जरूरत



Lalu Prasad Yadav Chiropractic Treatment: हाल ही में एक कायरोप्रैक्टर ने यूट्यूब पर एक वीडियो डाला जिसमें वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को हल्का सा छूते हैं और पल भर में ही हड्डियों के पोर-पोर से कट-कट की आवाज निकाल देते हैं. पिछले कुछ महीने से इस तरह के कई रील भी वायरल हो रहे हैं जिसमें कुछ ही सेकेंड के अंदर हड्डियों के पोर-पोर से कट-कट की आवाज निकाल दी जाती है और इलाज कराने वाला व्यक्ति खुद को सेकेंड के अंदर ही रिलेक्स फील करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि इस विधि को क्या कहते हैं. अंग्रेजी में इसे कायरोप्रैक्टिक कहा जाता है और इसके डॉक्टर को कायरोप्रैक्टर कहते हैं. कायरोप्रैक्टर आजकल खुद को डॉक्टर भी कहने लगे हैं. दावा किया जाता है कि कायरोप्रैक्टर से हड्डियों का पोर-पोर खुल जाता है और हड्डियों से संबंधित हर तरह के दर्द से राहत मिलती है. कमर दर्द से परेशान लोग खासकर कायरोप्रैक्टर चिकित्सा का सहारा लेते हैं.

आखिर क्या बला है कायरोप्रैक्टर
आपको लग रहा है कि कायरोप्रैक्टर बहुत नई थेरेपी है लेकिन इसकी शुरुआत 1895 में हो गई थी. डेनियल डेविड पाल्मर नाम के व्यक्ति ने कायरोप्रैक्टर थेरेपी की शुरुआत की थी. कायरोप्रैक्टिक ग्रीक शब्द से आया जिसका मतलब होता है हाथ से किए जाने वाली चिकित्सा. डेनियल ने एक बहरे व्यक्ति में रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइन को एडजस्ट किया था जिससे उसका बहरापन दूर हो गया था. आज इस चिकित्सा का इस्तेमाल स्पाइन को ठीक करने के साथ-साथ पूरे शरीर में हड्डियों और मांसपेशियों के दर्द को ठीक करने के लिए किया जाता है. मुख्य तौर पर इसमें बैक पेन, नेक पेन, मसल्स पेन, सिर दर्द आदि को ठीक करने का दावा किया जाता है. इसमें हड्डियों के जोड़ पर खास पद्धति से बल दिया जाता है जिसके बाद हड्डियों से कट की आवाज आती है और जोड़ पर पड़ रहे तनाव को दूर किया जाता है.

क्या कहता है विज्ञान
मेडिकल जगत में कायरोप्रैक्टर को वैल्यू नहीं दिया जाता है. इस तरह की समस्याओं को ठीक करने के लिए एलोपैथ में फिजियोथेरेपी नाम की व्यवस्था है. सोशल मीडिया पर लिवर डॉक्टर के नाम से मशहूर सिरिएक एबे फिलिप ने इसे बेकार बताया है कि और कहा कि इन चीजों से बच कर रहना चाहिए. हालांकि वास्तविकता यह है कि आज बड़ी-बड़ी हस्तियां भी कायरोप्रैक्टिक थेरेपी से अपना इलाज कराते हैं. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में एक स्टडी में कहा गया था कि स्पाइन मैनिपुलेटिव थेरेपी का भी वही असर होता है जो मेडिकल साइंस में बैक पेन वाली थेरेपी से होती है. स्टडी में कहा गया कि ऐसी पद्धित से बैक पेन का इलाज थोड़े से समय के लिए ठीक होता है लेकिन इस थेरेपी की प्रैक्टिस कर रहे प्रोफेशनल को मरीज को यह बताना चाहिए कि इसके साइड इफेक्ट भी हैं.

अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल जामा JAMA में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में भी कहा गया कि पुराना कमर दर्द वाले रोगियों में इस तरह की थेरेपी से 6 सप्ताह तक दर्द में आराम देखा गया. इसके साथ ही हड्डियों और मांसपेशियों में कुछ मामूली साइड इफेक्ट्स भी हुए लेकिन अध्ययन में पूरी तरह यह साबित नहीं हो सका कि इस तरह की थेरेपी से लंबे समय तक फायदा होने वाला है. अध्ययन में यह भी कहा कि अभी इस पर और अध्ययन की जरूरत है. नेचर जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया कि कायरोप्रैक्टिक थेरेपी से हड्डियों या मांसपेशियों पर कोई बहुत बड़ा साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला लेकिन पूरी तरह से इसकी अच्छाइयों को साबित करने के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत है.

लिवर डॉक्टर ने क्या कहा
सोशल मीडिया पर लिवर डॉक्टर के नाम से मशहूर एबे फिलिप ने एक्स पर कहा है कि कायरोप्रैक्टिक चिकित्सा से शरीर में कुछ नुकसान होता है या नहीं, इसका कोई डेटा हमारे पास नहीं है. इसके हल्का या थोड़ा ज्यादा साइड इफेक्ट जरूर होता है लेकिन कुछ मामलों में घातक नुकसान हो सकता है. इस टेक्निक से इलाज कराने वालों में कुछ मामलों में मौत की खबर भी सामने आई है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर रील्स के उभरते बाजार के बीच कायरोप्रैक्टिक नाम की थेरेपी काफी पॉपुलर हो रही है. इसलिए इस तरह की पद्धति पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए.

किस पर भरोसा किया जाए
मेडिकल जगत में भले ही कायरोप्रैक्टिक थेरेपी की कोई चर्चा नहीं है लेकिन सच यह है कि आज अधिकांश देशों में यह पॉपुलर होने लगा है. अमेरिका के सभी राज्यों में इस थेरेपी के बाद सुरक्षा को लेकर मानदंड बने हैं. ऐसे में क्या कायरोप्रैक्टक थेरेपी पर भरोसा किया जाना चाहिए या नहीं. अमेरिका में कायरोप्रैक्टर के लिए वहां बोर्ड है और वह इस क्षेत्र में उतरने वाले लोगों की परीक्षा लेता है. बोर्ड के मुताबिक चाहे कायरोप्रैक्टर के पास लाइसेंस हो या वह स्कूल गया हो या नहीं, हम उसकी इस बात के लिए परीक्षा लेते हैं कि उनके पास इस तरह के इलाज करने के लिए जरूरी जानकारी है या नहीं. अगर वह इसमें पास कर जाता है तभी उसे लोगों के इलाज करने की अनुमति दी जाती है.

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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-chiropractic-treatment-of-shri-lalu-prasad-yadav-ji-viral-but-how-it-works-is-it-alternative-of-physiotherapy-8885297.html

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