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इलिनोइस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स खोजे हैं, जो साल्मोनेला और ई. कोलाई जैसे बैक्टीरिया को बिना साइड इफेक्ट के खत्म कर सकते हैं. यानी अगर ये दवाओं के रूप में आ गए तो एंटीबायोटेक दवाओं की जरूरत खत्म हो जाएगी. इतना ही नहीं, कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा.
सिर में दर्द हुआ, जुकाम हुआ, बुखार हुआ, हम फट से एंटीबायोटिक दवाएं निकालकर खा लेते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि इनकी वजह से भारत के लोगों पर दवाओं का असर खत्म हो रहा है. इसे एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस कहा जाता है. इसका मतलब है कि बैक्टीरिया अब दवाओं से मरते नहीं हैं. भारत में हर साल करीब 41,000 से ज्यादा ऐसे मरीज मिलते हैं जिन पर आम दवाएं काम नहीं करतीं. तो फिर करें क्या? बीमारी है तो दवाई तो खानी पड़ेगी. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने ऐसी चीज ढूंढ निकाली है, जिसका साइड इफेक्ट बिल्कुल नहीं होगा. यानी एक तरह से समझिए कि यह एंटीबायोटिक दवाओं का विकल्प होगा.
इलिनोइस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एंटीबायोटिक दवाओं का एक जबरदस्त विकल्प खोज लिया है. इसे कहते हैं एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स. ये छोटे-छोटे अमीनो एसिड के टुकड़े हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया को बिना किसी साइड इफेक्ट के मारने में सक्षम हैं. अब तक की दवाओं में जो सबसे बड़ी समस्या थी, वो थी बैक्टीरिया का एंटीबायोटिक प्रतिरोध पैदा कर देना. यानी दवाएं काम करना बंद कर देती हैं. लेकिन ये रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स बिना किसी प्रतिरोध के फूड जनित बीमारी के जानलेवा जीवाणु जैसे साल्मोनेला और ई. कोलाई को मार सकती हैं. और ये दोनों रोग हमारे खाने पीने से जुड़ी बड़ी बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं.
सबसे बढ़िया विकल्प
प्रोफेसर गिरीश राजशेखर के मुताबिक, ये पेप्टाइड्स एंटीबायोटिक दवाओं के लिए सबसे बढ़िया विकल्प हो सकते हैं. ये ना केवल खतरनाक जीवाणुओं को खत्म करते हैं बल्कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध को भी कम कर सकते हैं. इन पेप्टाइड्स ने प्रयोगशाला में कई तरह के साल्मोनेला के प्रकार खत्म किए, साथ ही मुर्गियों पर किए गए परीक्षणों में भी असरदार साबित हुए. वैज्ञानिक अब ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इन्हें मुर्गियों के पानी या खाने में कैसे मिलाया जाए ताकि सार्थक परिणाम मिल सकें.इसका एक बड़ा फायदा ये भी है कि ये पेप्टाइड्स ऊष्मा और प्रोटीएज जैसे औद्योगिक प्रोसेस में भी अपनी ताकत बनाए रखते हैं, इसीलिए पोल्ट्री यानी मुर्गी उद्योग में इन्हें बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा सकेगा.
एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भरता खत्म होगी
यानी अब एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भरता खत्म होने वाली है और ये नए एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स हमारे लिए बहुत बड़ा वरदान साबित हो सकते हैं. ये हमें बीमारियों से लड़ने में मदद करेंगे बिना कोई नुकसान पहुंचाए, और खास बात ये है कि इसके साइड इफेक्ट भी बिल्कुल नहीं होंगे. इस खोज से साल्मोनेला और ई. कोलाई जैसे बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ाई में हम बहुत आगे बढ़ सकते हैं, और इससे खाद्य सुरक्षा और जन स्वास्थ्य दोनों बेहतर हो सकेंगे.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for ‘Hindustan Times Group…और पढ़ें
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