Last Updated:
Multitasking: दिल्ली की फेमस डॉक्टर श्वेता सिंगला ने मल्टीटास्किंग को इंसानी दिमाग और शरीर के लिए गलत बताया है. उनका कहना है कि साइंटिफिक स्टडीज में साबित हुआ है कि हमारा दिमाग और शरीर मल्टीपल टास्किंग के लिए नहीं बने हैं. इससे कॉर्पोरेट कल्चर पर सवाल उठे रहे हैं.
कई साइंटिफिक स्टडीज भी सामने आई हैं, जिनमें कॉर्पोरेट कल्चर से जुड़ी कई चीजों पर सवाल उठाए गए हैं. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा मल्टीपल टास्किंग का है. जब इस विषय पर देश की जानी-मानी न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्वेता सिंगला से बातचीत की गई तो उन्होंने इस पर विस्तार से अपनी बात रखी.
मल्टी टास्किंग के लिए नहीं है दिमाग
डॉ. श्वेता से जब पूछा गया कि क्या हमारा दिमाग और शरीर मल्टीपल टास्किंग के लिए बना है, तो उन्होंने साफ कहा कि कई मेडिकल और साइंटिफिक स्टडीज में यह साबित हो चुका है कि हमारा दिमाग और शरीर दोनों ही मल्टीपल टास्किंग के लिए नहीं बने हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि अगर आप कोई काम कर रहे हों और बीच में कोई फोन कॉल आ जाए, तो या तो आप फोन पर ठीक से बात कर पाएंगे या फिर जिस काम में लगे थे उसे सही तरीके से कर पाएंगे.
इसे और सरल करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप लैपटॉप पर कुछ लिख रहे हों और तभी कॉल आ जाए, तो अगर आप पूरा ध्यान कॉल पर लगाएंगे तो लिखने में गलती हो सकती है, और अगर आप लिखने पर ध्यान देंगे तो कॉल पर ठीक से बातचीत नहीं कर पाएंगे. उनका कहना था कि यह स्थिति लगभग सभी लोगों के साथ होती है, और इससे साफ साबित होता है कि दिमाग और शरीर दोनों ही मल्टीपल टास्किंग के लिए नहीं बने हैं.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-dr-shweta-singla-exposes-corporate-culture-on-multiple-tasking-not-good-for-body-mind-harmful-should-be-avoid-local18-ws-kl-9610163.html