आयुर्वेद में शिरीष के फूल और फल को औषधीय दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. इसके सुंदर फूल और हरी पत्तियां न केवल इसकी शोभा बढ़ाते हैं, बल्कि इनके औषधीय गुण शरीर और मन दोनों के लिए लाभकारी होते हैं. चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन ग्रंथों में शिरीष के फूलों और पत्तियों के गुणों का उल्लेख किया गया है. यह न केवल शारीरिक विकारों को दूर करने में मदद करता है, बल्कि मानसिक शांति और ऊर्जा को बढ़ाने में भी सहायक होता है.
शिरीष के फूलों में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल तत्व होते हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाने और स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होते हैं. विशेष रूप से त्वचा संबंधी समस्याओं के उपचार में इनका उपयोग किया जाता है. यह घावों को जल्दी भरने, दाद, खुजली और अन्य त्वचा रोगों में राहत प्रदान करता है. इसके अलावा, शिरीष के फूल रक्त को शुद्ध करने में भी सहायक होते हैं, जिससे रक्त विकार, प्रदूषण और अन्य रक्त-संबंधी समस्याओं से बचाव किया जा सकता है.
इसकी पत्तियां भी औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं. इनमें एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व मौजूद होते हैं, जो शरीर में सूजन और जलन को कम करने में मदद करते हैं. आयुर्वेद में शिरीष की पत्तियों का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार के लिए किया जाता है. इनका उपयोग दर्द निवारण, घाव भरने और जोड़ों की समस्याओं के इलाज में किया जाता है. इसके अलावा, गठिया और आर्थ्राइटिस जैसी बीमारियों में भी शिरीष की पत्तियां लाभकारी मानी जाती हैं.
सुश्रुत संहिता में शिरीष के फूलों और पत्तियों को विभिन्न रोगों के उपचार के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है. यह शरीर की आंतरिक ऊर्जा को संतुलित करने और संचार प्रणाली को बेहतर बनाने में सहायक होता है. इनका सेवन रक्त प्रवाह को सुचारू करता है, जिससे त्वचा विकार और रक्त संबंधी समस्याओं में सुधार होता है. इसके अलावा, यह त्वचा में नमी बनाए रखने में मदद करता है, जिससे शुष्क त्वचा की समस्या कम होती है.
शिरीष के फूलों का पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाने से दाग-धब्बे, झाइयां और अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है. यह रक्त संचार को दुरुस्त करता है और शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है. आयुर्वेद में इसे बाहरी और आंतरिक दोनों रूपों में उपयोगी बताया गया है.
चरक संहिता के अनुसार, शिरीष के फूल शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होते हैं. यह वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित करके समग्र स्वास्थ्य में सुधार लाता है. इसके फूलों और पत्तियों का नियमित उपयोग शरीर को शुद्ध करता है और ऊर्जा को सही दिशा में प्रवाहित करने में मदद करता है.
शिरीष के फूल और पत्तियां न केवल शारीरिक विकारों को दूर करने में सहायक होती हैं, बल्कि मानसिक सुदृढ़ता को भी बढ़ाती हैं. आयुर्वेद में इसे जीवन शक्ति बढ़ाने और संतुलन बनाए रखने के लिए उपयोगी माना गया है. इसके नियमित सेवन से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं, जिससे व्यक्ति अधिक ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस करता है.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-medicinal-properties-of-shirish-flowers-and-leaves-important-revelation-in-ayurveda-9138861.html