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किडनी फंक्शन टेस्ट: महत्वपूर्ण जानकारी और नॉर्मल रेंज


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Kidney Function Test: किडनी हमारे शरीर में हमेशा खून से गंदगी को निकालकर उसे साफ करते रहता है. अगर खून साफ नहीं हुआ तो हमें भयंकर परेशानी हो सकती है. ऐसे में साल में एक बार किडनी फंक्शन टेस्ट की दरकार होती है.

साल में एक बार क्यों कराना चाहिए किडनी फंक्शन टेस्ट, इससे क्या-क्या पता चलता ह

किडनी फंक्शन टेस्ट.

हाइलाइट्स

  • किडनी फंक्शन टेस्ट साल में एक बार जरूरी है।
  • किडनी खून से गंदगी निकालकर साफ करती है।
  • ब्लड और यूरिन टेस्ट से किडनी की स्थिति का पता चलता है।

Kidney Function Test Chart: किडनी के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते. यही कारण है कि किडनी को शरीर की पावरफुल केमिकल फैक्ट्री भी कहा जाता है. किडनी शरीर से सभी तरह के हानिकारक केमिकल को बाहर निकाल देती है और अच्छी चीजों को खून में वापस कर देती है. किडनी शरीर की तरलता को बैलेंस रखती है जिससे शरीर का तापमान स्थिर रहता है. किडनी हार्मोन भी रिलीज करती है और ब्लड प्रेशर भी रेगुलेट करती है. इसके अलावा यह विटामिन डी को सक्रिय कर हड्डियां को मजबूत करती है. यह खून में लाल रक्त कोशिकाओं यानी आरबीसी प्रोडक्शन को कंट्रोल करती है. इन सबके बावजूद जब किडनी पर अतिरिक्त लोड बढ़ता है तो किडनी को परेशानी होती है. आजकल जिस तरह का हमारा लाइफस्टाइल और खान-पान है, उसमें हमें हर साल किडनी फंक्शन टेस्ट की जरूरत होगी क्योंकि तब हम गंभीर बीमारी से बच जाएंगे.

किडनी टेस्ट क्यों कराना चाहिए हर साल
क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक किडनी हार्मोन और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने का काम करती है. वहीं यह रेड ब्लड सेल्स को बनाने और विटामिन डी को मैंटेन करने के लिए भी जरूरी है. आजकल हर चार में से 1 लोगों को ब्लड प्रेशर की शिकायत रहती है. इसलिए किडनी टेस्ट कराने से पता चलेगा कि बीपी का किडनी पर कितना असर पड़ा है. वहीं गलत और ज्यादा केमिकल युक्त खाना खाने से किडनी को हर समय फालतू के केमिकल को निकालना पड़ता है जिसके कारण हमेशा किडनी पर अतिरिक्त लोड पड़ता है. यही कारण है 30 साल के बाद हर इंसान को साल में कम से कम एक बार किडनी फंक्शन टेस्ट कराना ही चाहिए. वहीं जिन लोगों को हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, फेमिली हिस्ट्री है, उन लोगों को हर हाल में किडनी फंक्शन टेस्ट कराना चाहिए.

किडनी टेस्ट से क्या-क्या पता चलेगा
किडनी टेस्ट में सहसे महत्वपूर्ण है ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (GFR). यह किडनी की कार्यक्षमता का माप है और यह यह दर्शाता है कि किडनी शरीर से कितनी प्रभावी ढंग से गंदगी और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकाल रही है. यह अगर 90 से ज्यादा है तो किडनी सही काम कर रही है. दूसरा है क्रिएटिनिन लेवल. क्रिएटिनिन लेवल किडनी की कार्यप्रणाली को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण संकेतक है. यह हाई लेवल किडनी की खराब कार्यक्षमता को संकेत कर सकते हैं. इसके बाद है बाइल और यूरिया लेवल. इस टेस्ट से शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में किडनी की क्षमता का पता चलता है. केएफटी में खून के साथ-साथ यूरिन का सैंपल भी लिया जाता है. यूरिन से किडनी में किसी प्रकार के संक्रमण, किडनी स्टोन या अन्य समस्याओं के बारे में जानकारी मिलती है. वहीं इससे यह पता चलता है कि किडनी प्रोटीन को छानने में सफल है या नहीं. इससे एल्ब्यूमिन प्रोटीन का पता लगाया जाता है. इसी से एसीआर की गणना की जाती है. एसीआर का नॉर्मल रेंज 30 से कम होना चाहिए. यूरिन से ही क्रिएटिनिन क्लीयरेंस टेस्ट किया जाता है. इससे यह पता चलता है कि किडनी कितने टॉक्सिक मैटेरियल को छान सकती है. इसके साथ ही यूरिन में ब्लड, पस, बैक्टीरिया, शुगर आदि का पता लगाया जाता है.

           KFT में क्या कितना होना चाहिए

टेस्ट
नॉर्मल रेंज
1
सोडियम
135-145 mEq/L
2
पोटैशियम
3.0-5.0 mEq/L
3
क्लोराइड
90-107 mEq/L
4
बायकार्बोनेट
20-29 mEq/L
5
फॉस्फोरस
2.5-4.5 mg/dL
6
कैल्शियम
8.5-10.2 mg/dL
7
ग्लूकोज
70.100 mg/dL फास्टिंग में
8
ब्लड यूरिया नाइट्रोजन
7-20 mg/dL
9
किएटीनाइन
06-1.2 mg/dL
10
एलब्यूमिन
3.4-5.0 mg/dL
11
ईजीएफआर
60 से ज्यादा
12
ब्लड यूरिया नाइट्रोजन
6.22

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साल में एक बार क्यों कराना चाहिए किडनी फंक्शन टेस्ट, इससे क्या-क्या पता चलता ह


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-why-we-must-do-kidney-function-test-in-year-how-to-keep-your-kidneys-healthy-and-safe-8985604.html

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